देहरादून:
उत्तराखंड में भारी बारिश ने राहत अभियान पर ब्रेक लगा दिया है। खराब मौसम के चलते हेलीकॉप्टर उड़ नहीं पा रहे हैं। ऐसे में राज्य सरकार ने खराब मौसम में भी उड़ने की क्षमता रखने वाले हेलीकॉप्टरों की मांग की है। तबाह हुए गांवों में हजारों लोग खाने-पीने के लिए मोहताज हैं और अन्य राहत सामग्री की आस में बैठे हैं लेकिन बारिश के कारण राहत बचाव का काम रुक गया है, जो लोग अपने लापता रिश्तेदारों की तलाश कर रहे थे अब उनका भी हौसला टूटने लगा है।
उत्तराखंड में भारी बारिश ने आम लोगों के साथ ही सरकार की भी परेशानी बढ़ा दी है। राहत अभियान रुक-सा गया है। गांव में फंसे लोगों तक खाने का सामान नहीं पहुंच पा रहा है। अब राज्य सरकार ने उन हेलीकॉप्टर को देने की अपील की है, जो खराब मौसम में भी राहत अभियान को जारी रख सके। रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, बागेश्वर, नैनीताल और अल्मोड़ा में बारिश रुकने का नाम नहीं रही है। भारी बारिश की वजह से केदरनाथ घाटी में राहत अभियान रोकना पड़ा है, दूसरे इलाकों में भी लोग काफी परेशान हैं।
लगातार बारिश की वजह से उत्तरकाशी में भागीरथी नदी उफान पर है। भागीरथी के किनारे को पहले ही खाली करा लिया गया था, लेकिन अब यहां बचे लोगों के उजड़ने की स्थिति बन गई है।
उधर, तबाही के तीन हफ्तों के बाद अभी तक कई इलाके ऐसे हैं, जो कि राहत को तरस रहे हैं। ऐसा ही एक इलाका है, धारचुला जहां के लोग बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। यहां अब तक राहत का सामान नहीं पहुंचा है। यह इलाका नेपाल से सटा हुआ है। आपदा के दो हफ्ते बाद भी अब तक लोगों को राहत का इंतज़ार है। इस इलाके के पैदल पुल बह गए हैं, सड़कें कट गई है और मौसम की खराबी की वजह से हेलीकॉप्टर से भी राहत सामग्री नहीं भेजी जा रही है। यहां जाउल जीवी इलाके में नेपाल को भारत से जोड़ने वाला पुल भी गौरी गंगा में बह गया है, जिसके बाद से नेपाल के 55 गांवों में खाने−पीने की चीज़ों की कमी हो गई।
उत्तराखंड में भारी बारिश ने आम लोगों के साथ ही सरकार की भी परेशानी बढ़ा दी है। राहत अभियान रुक-सा गया है। गांव में फंसे लोगों तक खाने का सामान नहीं पहुंच पा रहा है। अब राज्य सरकार ने उन हेलीकॉप्टर को देने की अपील की है, जो खराब मौसम में भी राहत अभियान को जारी रख सके। रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, बागेश्वर, नैनीताल और अल्मोड़ा में बारिश रुकने का नाम नहीं रही है। भारी बारिश की वजह से केदरनाथ घाटी में राहत अभियान रोकना पड़ा है, दूसरे इलाकों में भी लोग काफी परेशान हैं।
लगातार बारिश की वजह से उत्तरकाशी में भागीरथी नदी उफान पर है। भागीरथी के किनारे को पहले ही खाली करा लिया गया था, लेकिन अब यहां बचे लोगों के उजड़ने की स्थिति बन गई है।
उधर, तबाही के तीन हफ्तों के बाद अभी तक कई इलाके ऐसे हैं, जो कि राहत को तरस रहे हैं। ऐसा ही एक इलाका है, धारचुला जहां के लोग बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। यहां अब तक राहत का सामान नहीं पहुंचा है। यह इलाका नेपाल से सटा हुआ है। आपदा के दो हफ्ते बाद भी अब तक लोगों को राहत का इंतज़ार है। इस इलाके के पैदल पुल बह गए हैं, सड़कें कट गई है और मौसम की खराबी की वजह से हेलीकॉप्टर से भी राहत सामग्री नहीं भेजी जा रही है। यहां जाउल जीवी इलाके में नेपाल को भारत से जोड़ने वाला पुल भी गौरी गंगा में बह गया है, जिसके बाद से नेपाल के 55 गांवों में खाने−पीने की चीज़ों की कमी हो गई।
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