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गर्मी के टॉर्चर के बीच अस्पतालों में हीट स्ट्रोक यूनिट तैनात, बाथ टब और आइस क्यूब्स से हो रहा इलाज

दिल्ली-एनसीआर में हीट वेव का जोरदार असर देखने को मिल रहा है. 27 मई से लेकर 31 मई तक हीट वेव का असर देखने को मिलेगा. 27 मई को गर्मी ने पारे का रिकॉर्ड तोड़ते हुए 46 डिग्री को भी पार कर गया.

गर्मी के टॉर्चर के बीच अस्पतालों में हीट स्ट्रोक यूनिट तैनात, बाथ टब और आइस क्यूब्स से हो रहा इलाज
दिल्ली में भीषण गर्मी का सितम

देश की राजधानी दिल्ली में पारा 45 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच चुका है. ऐसी गर्मी में पसीने में लथपथ शरीर. ऊपर से कड़ी धूप के बीच लू के गर्म थपेड़ों की मार किसी भी इंसान को बीमार बना सकती है. जब आसमान से आग बरस रही हो तब हीट स्ट्रोक से लोगों के बीमार पड़ने की गुंजाइश ज्यादा रहती है. ऐसे में अब अस्पतालों ने लोगों के इलाज के लिए खास तैयारी कर ली है. इस मौसम में लू के थपेड़े का पूर्वानुमान था लिहाज़ा अस्पताल को इंतजाम करने को कहा गया. लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में 4 बेड सिर्फ हीट स्ट्रोक के मरीजों के लिए रखे गए हैं. ऐसा ही इंतजाम राम मनोहर लोहिया अस्पताल ने भी किया है.

अस्पताल की इमरजेंसी बिल्डिंग में एक पूरी हीट स्ट्रोक यूनिट मुस्तैद की गई है. इस यूनिट में डॉक्टर से लेकर नर्स की 24 घंटे की ड्यूटी लगी है. हीट स्ट्रोक में शरीर का तपना पहला लक्षण है. यहां ऐसी व्यवस्था है कि तुरंत शरीर के पहले तापमान को पहले सामान्य किया जाता है.

बाथ टब और आइस क्यूब्स से हो रहा इलाज

हीट स्ट्रोक यूनिट में इलाज के लिए दो बाथ टब लगे हैं. यही नहीं, यहां आइस क्यूब्स निकालने वाली मशीन भी है. मरीज के आते ही पहले उसके शरीर का तापमान लिया जाता है. फिर उसी हिसाब से तप रहे शरीर को आइस क्यूब्स रखकर मरीज को कुछ वक्त के लिए इस टब में लिटा दिया जाता है. सबसे पहले कोशिश यही रहती है कि किसी भी तरह से शरीर के तापमान को सामान्य किया जाए.

मरीज को आइस क्यूब्स से भरे टब में लिटा दिया जाता है, ताकि उसके शरीर के तापमान को सामान्य किया जा सकें. 

वेंटिलेटर का भी बंदोबस्त

हीट स्ट्रोक मैनेजमेंट के बाद मरीज का बीपी और बाकी तमाम टेस्ट करने के साथ ही बेड दे दिया जाता है. ज़रूरी दवाइयां और निगरानी चलती रहती है. अगर मरीज की हालत ज़्यादा बिगड़ती और ज़रूरत वेंटिलेटर की पड़ती है तो इसका इंतजाम भी किया गया है. रोजाना तीन से चार गंभीर रूप से हीट स्ट्रोक से पीड़ित राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंच रहे हैं. डॉक्टर बताते हैं कि कुछ मामलों में वेंटिलेटर की जरूरत भी पड़ जाती है. इसलिए अस्पताल की तरफ से हर बंदोबस्त किया गया है.

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दिल्ली-एनसीआर में हीट वेव का जबरदस्त असर

दिल्ली-एनसीआर में हीट वेव का जोरदार असर देखने को मिल रहा है. आईएमडी के आंकड़े के मुताबिक 27 मई से लेकर 31 मई तक हीट वेव का असर देखने को मिलेगा. ठीक उसी के मुताबिक 27 मई को गर्मी ने पारे का रिकॉर्ड तोड़ते हुए 46 डिग्री को भी पार कर गया. मंगलवार को भी आईएमडी के मुताबिक पारा 46 डिग्री के पार जा सकता है. आलम ये है कि रात में भी न्यूनतम तापमान 30 से 31 डिग्री के आसपास बना रहता है जो किसी सामान्य दिन की तरह गर्म होता है.

हीट वेव के चलते मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी

हीट वेव के चलते अस्पतालों में मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है. ओपीडी में पहुंचने वाले मरीजों की बात करें तो यह संख्या जिले में लगभग 2000 के आसपास पहुंच गई है. मरीजों की संख्या को देखते कई अस्पतालों में कई बेड्स को रिजर्व किया गया है.  डॉक्टरों के मुताबिक हीट वेव से लोगों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. इसमें थकावट (हीट एग्जॉशन) और हीट स्ट्रोक भी लंबे समय तक अधिक तापमान में रहने की वजह से हो सकता है.

हीटवेव के लक्षण, कैसे करें बचाव

थकावट के चलते बहुत ज्यादा पसीना आना और कमजोरी महसूस होना आम बात है. हीट स्ट्रोक के कारण कंफ्यूजन, मूर्छा आना और ऑर्गन डैमेज तक की शिकायत होती है. इसलिए जब भी हीट वेव बढ़े, अपनी सेहत का अधिक ध्यान रखें. इसके लिए जरूरी है कि शरीर में पानी की कमी न होने दें. ठंडे स्थान पर ज्यादा समय बिताएं और लंबे समय तक अधिक गर्मी में न रहें, इनका स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है.

(आईएनएस इनपुट्स के साथ)

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