आगरा में ताजमहल के अंदर बंद 20 कमरे खोलने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर याचिका पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाई है. याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा कृपया PIL सिस्टम का मज़ाक मत बनाएं. इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज ने कहा इस मुद्दे पर डिबेट करने के लिए अपने ड्राइंग रूम में स्वागत करते है. लेकिन कोर्ट रूम में नहीं. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि कल आप हमारा कमरा खोल कर देखना चाहेंगे. वहीं इस मामले की सुनवाई 2 भेजे तक के लिए टाल दी गई है. 2 बजे के बाद सुनवाई फिर शुरू की जाएगी.
ये याचिका अयोध्या निवासी डॉक्टर रजनीश सिंह ने अपने वकीलों राम प्रकाश शुक्ला और रुद्र विक्रम सिंह के माध्यम से दायर की है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में दायर याचिका में कहा गया है ताजमहल के इतिहास के सच को सामने लाने के लिए तथ्यों की जानकारी करने वाली एक कमेटी के गठन किया जाए. शनिवार को दायर की गई याचिका में इतिहास को स्पष्ट करने के लिए ताजमहल के 22 बंद कमरों को भी खोलने की मांग की गई.
याचिका में 1951 और 1958 में बने कानूनों को संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध घोषित किए जाने की भी मांग की गई है. इन्हीं कानूनों के तहत ताजमहल, फतेहपुर सीकरी का किला और आगरा के लाल किले आदि इमारतों को ऐतिहासिक इमारत घोषित किया गया था . इसमें केंद्र सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण तथा राज्य सरकार को विपक्षी पक्षकार बनाया गया है. याचिका में ये भी दावा किया गया कि माना जाता है कि ताजमहल के बंद दरवाजों के भीतर भगवान शिव का मंदिर है. याचिका में अयोध्या के जगद्गुरु परमहंस के वहां जाने और उन्हें उनके भगवा वस्त्रों के कारण रोके जाने संबंधी हालिया विवाद का भी जिक्र किया गया है. (भाषा इनपुट के साथ)
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