kathua terrorist attack : धारा 370 हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर में काफी शांति आ गई थीं, मगर यह आतंकियों और कुछ भारत के दुश्मनों को रास नहीं आया. भारतीय सेना का सारा ध्यान कश्मीर में होने के कारण वह चाहकर भी वहां कुछ कर नहीं पा रहे. इसी कारण अब उन्होंने पैटर्न बदल दिया है. अब वह कश्मीर की जगह जम्मू को निशाना बना रहे हैं. सोमवार को अपराह्न करीब साढ़े तीन बजे कठुआ शहर से 150 किलोमीटर दूर लोहई मल्हार में बदनोता गांव के पास माचेडी-किंडली-मल्हार मार्ग पर सेना का वाहन नियमित गश्त पर था. इसी दौरान घात लगाकर बैठे आतंकवादियों ने हमला कर दिया. हमले में जूनियर कमीशन अधिकारी (जेसीओ) समेत पांच जवान शहीद हो गए और पांच अन्य घायल हुए हैं. यह इलाका जम्मू संभाग के कठुआ जिले में आता है.
क्यों जम्मू को बना रहे निशाना?
जम्मू क्षेत्र अपने शांतिपूर्ण माहौल के लिए जाना जाता है. आतंकवाद के चरम पर होने पर भी यहां बमुश्किल ही आतंकवादी घटनाएं हो पाती थीं, लेकिन पिछले महीने से आतंकवादी लगातार इसी संभाग में हमले कर रहे हैं. ये हमले सीमावर्ती जिले पुंछ, राजौरी, डोडा और रियासी में हुए हैं. आतंकी गतिविधियों में हालिया वृद्धि उनके पाकिस्तानी आकाओं द्वारा आतंकवाद को फिर से बढ़ावा देने का प्रयास और जम्मू के लोगों में डर पैदा करने की नियत से किया गया लगता है. साथ ही कश्मीर के लोगों को भी यह संदेश देने की कोशिश आतंकवादी कर रहे होंगे कि वह डरकर भागे नहीं हैं.
कठुआ दूसरी बार बना निशाना
कठुआ जिले में एक महीने के अंदर यह दूसरा बड़ा हमला है. सोमवार के हमले से पहले 12 और 13 जून को इसी तरह की एक मुठभेड़ में दो आतंकवादी मारे गये थे और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक जवान की जान चली गई थी. डोडा जिले के गंदोह इलाके में हाल ही में हुए हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं, जहां 26 जून को मुठभेड़ में तीन विदेशी आतंकवादी मारे गए थे. गोलीबारी की घटना में राजौरी जिले के मंजकोट इलाके में सेना के एक शिविर को निशाना बनाया गया, जिसमें एक सैनिक घायल हो गया था.
रियासी और पुंछ में भी हमले किए
सबसे दुखद घटनाओं में से एक 9 जून को हुई, जब आतंकवादियों ने रियासी जिले के शिव खोड़ी मंदिर से तीर्थयात्रियों को ला रही एक बस पर हमला किया और उसमें नौ लोगों की जान चली गई. हमले में 41 लोग घायल भी हुए. ये घटनाएं क्षेत्र में बढ़ती हिंसा की उस प्रवृत्ति को रेखांकित करती है. सुरक्षा बलों के वाहन, खोज दलों और सैन्य काफिलों पर हुए हमलों में नागरिक और सुरक्षाकर्मी दोनों हताहत हुए हैं. इससे पहले मई में, आतंकवादियों ने पुंछ जिले में भारतीय वायुसेना के काफिले पर घात लगाकर हमला किया था, जिसमें एक सैनिक की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे.
तीन आतंकवादी छिपे हैं जंगल
हमले के बाद आतंकवादी नजदीक के जंगल में भाग गए. पुलिस और अर्द्धसैनिक बल के कर्मियों के सहयोग से सेना शाम से ही जवाबी कार्रवाई कर रही है. आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच गोलीबारी शुरू हो गई और हमलावरों को मार गिराने के लिए क्षेत्र में तुरंत अतिरिक्त सुरक्षा बल भेजे गए. माना जाता है कि आतंकियों की संख्या तीन है और वे हथियारों से लैस हैं तथा वे हाल ही में सीमा पार से घुसपैठ कर आए थे. पुलिस महानिदेशक आर आर स्वैन उधमपुर जिले के बसंतगढ़ से लगे घने वन क्षेत्र में आतंकवाद-रोधी अभियान की व्यक्तिगत रूप से निगरानी कर रहे हैं, जहां पूर्व में कई मुठभेड़ हुई हैं. यह वन क्षेत्र उधमपुर जिले के बसंतगढ़ से लगा हुआ है. बसंतगढ़ के पनारा गांव में 28 अप्रैल को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में ग्राम रक्षा प्रहरी मोहम्मद शरीफ की मौत हो गई थी. अधिकारियों ने कहा कि ऐसी आशंका है कि सीमा पार से घुसपैठ करने के बाद आतंकवादियों ने भीतरी इलाकों तक पहुंचने के लिए इस मार्ग का इस्तेमाल किया था. सेना के वाहन पर 10 जवान सवार थे, जो हमले की जद में आ गए.
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