विज्ञापन
This Article is From Jul 03, 2024

सिपाही से बाबा बने सूरज पाल का कई राज्यों में फैला है साम्राज्य, सफेद सूट और टाई है इनकी पहचान

भोले बाबा यानि साकार हरि नारायण का जन्म उत्तर प्रदेश के ऐटा में बहादुर नगर गांव में हुआ है और उनका असली नाम सूरज पाल है. उनके दो भाई हैं, जिनमें से एक की मौत हो गई है और उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव में ही की थी.

सिपाही से बाबा बने सूरज पाल का कई राज्यों में फैला है साम्राज्य, सफेद सूट और टाई है इनकी पहचान
नारायण हरि आमतौर पर भगवा वस्त्र की बजाय सूट और टाई पहनना पसंद करते हैं.
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश के हाथरस में भोले बाबा के सत्संग के बाद मची भगदड़ में 116 लौोगों की मौत हो गई. लेकिन आखिर ये भोले बाबा कौन हैं? जिनका कहना है कि वो पहले सिपाही की नौकर कर चुके हैं. उन्होंने अपने अनुयायियों को बताया था कि वो जब सिपाही की नौकरी कर रहे थे तब से ही आध्यात्मिक थे और फिर 1999 में उन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और अपना आध्यात्मिक सफर शुरू किया. 

उत्तर प्रदेश के बहादुर नगर गांव के रहने वाले हैं बाबा

भोले बाबा यानि साकार हरि नारायण का जन्म उत्तर प्रदेश के ऐटा में बहादुर नगर गांव में हुआ है और उनका असली नाम सूरज पाल है. उनके दो भाई हैं, जिनमें से एक की मौत हो गई है और उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव में ही की थी. इसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश पुलिस की स्थानीय खुफिया इकाई में हेड कांस्टेबल के तौर पर काम किया था. वहीं उनके तीसरे भाई बीएसपी में नेता हैं और वह गांव बहादुर नगर के 15 साल पूर्व प्रधान भी रहे हैं. 

सफेट सूट और टाई है बाबा की पहचान

बाकि गुरुओं से जो चीज उन्हें अलग बनाती है वो है उनका सफेद सूट और टाई. वह अन्य गुरुओं की तरह भगवा वस्त्र धारण नहीं करते हैं. इसके अलावा वह कई बार कुर्ता पजामा भी पहनते हैं. अपने प्रवचनों के दौरान वे कहते हैं कि उन्हें जो दान मिलता है, उसमें से वे कुछ भी नहीं रखते और उसे अपने भक्तों पर खर्च कर देते हैं. उनकी पत्नी प्रेम बती अक्सर उनके साथ होती हैं. 

धीरे-धीरे कई राज्यों में फैला बाबा का साम्राज्य 

नारायण साकार का आस्था का साम्राज्य देश के कई राज्यों में फैल चुका है. उन्होंने उत्तर प्रदेश से शुरुआत की थी और पहले उनसे मुख्य तौर पर वंचित समाज के लोग जुड़े लेकिन अब सभी जाति-वर्ग के लोग उनके अनुयायियों में शामिल हो गए हैं. उनके सभी सत्संग सभाओं में लाखों की भीड़ उमड़ती है लेकिन इसके लिए कभी भी पुलिस की सुरक्षा का आवेदन नहीं किया जाता है और न ही किसी प्रकार का बड़ा प्रचार या प्रसार किया जाता है. 

घूम-घूमकर की थी सत्संग की शुरुआत

आरोप लगाए जा रहे हैं कि नारायण साकार ने गांव में जमीनों पर अवैध कब्जा कर आश्रम की स्थापना की थी. इसके बाद उन्होंने घूमघूम कर सत्संग करना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे नारायण साकार का प्रभाव बढ़ने लगा और वह गांव से शहर के लोगों के बीच जाने जाने लगें. इसके बाद गांव और शहरों में समितियों का निर्माण हो गया. इसके बाद ये समितियां ही बाबा के सत्संग का आयोजन कराने लगीं. समिति में 50 से 60 सदस्य होते हैं और उन्ही के माध्यम से सत्संग का प्रस्ताव उन तक पहुंचाया जाता है. 

समिति करती है सत्संग का आयोजन

इस पर उनकी स्वीकृति मिलने के बाद ही सत्संग का आयोजन होता है. आयोजन का खर्च भी धनराशि समिति के सदस्य ही जुटाते हैं. वक्त के साथ बाबा के अनुयायी राजस्थान, उत्तराखंड और मध्यप्रदेश तक बन गए. हर सत्संग के लिए आयोजन समिति ही अनुयायियों तक पहुंचती थी और उनतक जानकारी भी पहुंचाती थी. नारायण साकार की अनुमति के बाद ही आयोजकों द्वारा भंडारे का आयोजन किया जाता था. बाबा के सभी सत्संग में लाखों की भीड़ जुटती थी. बाबा के सत्संग मध्यप्रदेश के ग्वालिय, राजस्थान और उत्तराखंड के कई जिलों में होते हैं.

हाथरस में मंगलवार को हुआ दिल दलहा देने वाला हादसा

हाथरस जिले के फुलराई गांव में मंगलवार को नारायण हरि के सम्मान में आयोजित 'सत्संग' में मची भगदड़ में कम से कम 116 लोगों की मौत हो गई. पुलिस ने बताया कि जिस जगह पर कार्यक्रम आयोजित किया गया था, वह वहां जमा भीड़ के लिए काफी छोटा था. घटना की जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई है और आयोजकों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com