हाथरस में भोले बाबा के सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई जबकि बड़ी संख्या में लोग अभी भी गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं. इस घटना को लेकर अब मामला भी दर्ज कर लिया गया है. मामले की जांच के दौरान जो तथ्य निकलकर सामने आ रहे हैं वो बेहद चौकाने वाले हैं. मामले की जांच में जुटे अधिकारियों के अनुसार भीड़ उस वक्त अनियंत्रित हुई थी जब वहां मौजूद श्रद्धालुओं में बाबा के चरण रज व पैर छूने की होड़ लगी गई थी. हर श्रद्धालु किसी तरह भी बाबा के पास पहुंचना चाह रहा था. इसी वजह से एकाएक भगदड़ मच गई. इस भगदड़ की वजह से ये हादसा हुआ जिसमें अभी तक 121 लोगों की जान जा चुकी है जबकि कई लोग अभी भी गंभीर रूप से घायल हैं. जिनका इलाज अलग-अलग अस्पतालों में चल रहा है.
मुख्य सचिव ने 24 घंटे के भीतर मांगी है रिपोर्ट
इस घटना को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने एडीजी और कमिश्नर से 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा है. आपको बता दें कि इस हादसे की सूचना के तुरंत बाद ही मुख्य सचिव और डीजीपी प्रशांत कुमार घायलों से मिलने पहुंचे थे. इसके बाद दोनों अधिकारियों ने घटनास्थल का भी दौरा किया था.
आयोजकों ने शर्त का नहीं किया पालन
इस हादसे को लेकर अभी तक जो जांच हुई है उसके मुताबिक एसडीएम ने इस सत्संग का आयोजन कराने वाले आयोजकों को सशर्त इसकी अनुमति दी थी. लेकिन अभी तक की जांच में पता चला है कि आयोजकों ने प्रशासन के द्वारा रखी गई शर्त को नहीं माना. हम आयोजकों पर सख्त कार्रवाई कर रहे हैं. मुख्य सचिव ने कहा कि फिलहाल हमारी प्राथमिकता है कि घायलों को सही और बेहतर इलाज मिले.
मुआवजे का किया गया है ऐलान
इस हादसे के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पूरे हादसे की जांच के आदेश दिए हैं. राज्य सरकार ने इस हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के लिए मुआवजे का ऐलान भी किया है. इस घटना में जिन लोगों ने अपनी जान गंवाई है उन्हें सरकार की तरफ से दो-दो लाख रुपये, जबकि जो लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं उन्हें 50-50 हजार रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है. इतनी ही राशि केंद्र सरकार की ओर से दी जाएगी.
80 हजार की भीड़ जुटने का था अनुमान पर भीड़ कहीं ज्यादा थी
इस हादसे की अभी तक की जांच में पता चला है कि आयोजकों ने प्रशासन को बताया था कि इस सत्संग में 80 हजार के करीब भीड़ जुट सकती है. प्रशासन ने इतने लोगों के हिसाब से ही आयोजन करने की अनुमति दी थी. लेकिन जांच में अब ये बात निकलकर सामने आ रही है कि सत्संग के दौरान 80 हजार से कहीं ज्यादा लोग मौजूद थे. सत्संग के आयोजन के दौरान किसी तरह की अफरा-तफरी ना मचें इसके लिए पुलिसबल की भी तैनाती की गई थी. जांच में पता चला है कि प्रशासन ने अनुमति देते समय कुछ शर्तें रखीं थी जिसे बाद में नहीं माना गया. और आयोजकों ने उनका उल्लंघन किया.
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