हलाल और झटका मीट विवाद (Halal And Jhatka Dispute) अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. संजीव कुमार की जनहित याचिका में यूपी, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश को आदेश जारी करने की मांग की गई है. इसके साथ ही कहा गया है कि Swiggy, Zomato और इसी तरह के सेवा प्रदाताओं समेत सभी रेस्तरां स्पष्ट रूप से मांस के प्रकार को बताएं, विशेष रूप से हलाल और झटका के बीच अंतर करते हुए जानकारी दें.
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अदालत से क्या है मांग?
इसके अलावा याचिका में मांग की गई है कि फूड डिलीवरिंग सर्विसेज को अपने प्लेटफॉर्म पर मांस के प्रकार के बगल में एक सूचनात्मक (i) बटन जोड़ना है. इस बटन पर क्लिक करने पर, ग्राहकों को हलाल और झटका मांस दोनों के बारे में नीचे दिया गया विस्तृत विवरण मिलेगा, जिससे उपभोक्ताओं के लिए स्पष्टता और सूचित विकल्प सुनिश्चित होंगे.
ऐसे लोगों पर मुकदमा चलाने का निर्देश दिया जाए
याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश को आदेश जारी करें कि झटका मांस का विकल्प न देने वाला कोई भी रेस्तरां संविधान के अनुच्छेद 17 (अस्पृश्यता), अनुच्छेद 19 (1) (जी) और अनुच्छेद 15 का उल्लंघन के तहत आएगा. ऐसा इसलिए है क्योंकि झटका मांस का विकल्प न देने से पारंपरिक रूप से हाशिए पर रहने वाला मांस के कारोबार में शामिल दलित समुदाय प्रभावित होता है. इसलिए, पुलिस को ऐसे गैर-पुष्टि करने वाले रेस्तरां मालिकों के खिलाफ बीएनएस और देश में लागू कानूनों के अनुसार मुकदमा चलाने के निर्देश दिए जाने चाहिए.
क्या है हलाल मीट?
हलाल और झटका कोई मीट नहीं बल्कि जनावर को काटने का तरीका होता है. अरबी शब्द हलाल का मतलब जायज होता है. इस्लाम में माना जाता है कि इसी तरह से काटे गए जानवर का मीट खाना सही है. इस तरीके में जानवर को बहुत ही अलग तरीके से काटा जाता है. इसमें जानवर की गर्दन की नस और सांस लेने वाली नली को काट दिया जाता है. इस दौरान जानवर के खून के बाहर निकलने का इंतजार किया जाता है. हलाल में एक ही झटके में जानवर को अलग नहीं किया जाता है. उसके मरने के बाद उसके सभी हिस्सों को अलग कर दिया जाता है. जानवर को काटने की यह प्रक्रिया इस्लाम में 'जिबाह' कहलाती है.
झटका मीट क्या होता है?
झटके की प्रक्रिया में जानवर को एक ही झटके में काट दिया जाता है. इस प्रक्रिया के तहत पहले जानवर को बेहोश किया जाता है और फिर एक ही झटके में उसकी गर्दन को काट दिया जाता है. झटका से पहले जानवर को खाना नहीं खिलाया जाता बल्कि भूखा रखा जाता है. जो लोग इस प्रक्रिया से जानवर को काटते हैं उनका कहना है कि इससे उसे दर्द नहीं होता. फूड अथॉरिटी के नियम के मुताबिक, किसी भी जानवर को मारने से पहले उसे बेहोश नहीं किया जा सकता है.
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