भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा प्रस्तुत 'वैज्ञानिक सर्वेक्षण' रिपोर्ट (Gyanvapi Case Survey Report) याचिकाकर्ता पक्ष को दी जानी चाहिए या नहीं, ये वाराणसी की अदालत आज यह तय करेगी. सुप्रीम कोर्ट द्वारा सील किए गए 'वज़ुखाना' को छोड़कर, मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण का आदेश वाराणसी अदालत ने यह चेक करने के लिए दिया था कि क्या 17वीं सदी के अंत में बनी मस्जिद किसी हिंदू मंदिर के ऊपर बनाई गई थी. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने सोमवार को सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सौंपी. मस्जिद समिति ने एक सार्वजनिक रिपोर्ट का विरोध करते हुए कहा कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है, वहीं याचिकाकर्ताओं ने सीलबंद रिपोर्ट पर आपत्ति जताई.
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मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाए जाने का दावा
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मंगलवार को, सिविल मुकदमों को चुनौती देने वाली मस्जिद समिति की सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें मस्जिद स्थल पर एक मंदिर को खोले जाने की मांग की गई थी. हाई कोर्ट ने वाराणसी अदालत से 1991 में दायर इन दीवानी मुकदमों में से एक की सुनवाई छह महीने के भीतर पूरी करने को कहा है. दक्षिणपंथी समूहों का दावा है कि मस्जिद बनाने के लिए मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश पर एक मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया था. यह प्रतिष्ठित काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में है. यह सर्वेक्षण इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा वाराणसी अदालत के आदेश को बरकरार रखने के बाद शुरू हुआ. हाई कोर्ट ने कहा कि सर्वेक्षण "न्याय के हित में जरूरी " था और इससे दोनों पक्षों को लाभ होगा.
हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
इसके बाद ज्ञानवापी मस्जिद समिति ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया लेकिन, 4 अगस्त को, अदालत ने रोक लगाने से इनकार कर दिया. हालांकि मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने एएसआई को आक्रामक कार्य नहीं करने का निर्देश दिया, जिसने वाराणसी अदालत द्वारा की गई खुदाई को खारिज कर दिया.
शीर्ष अदालत ने सर्वेक्षण के गैर-आक्रामक तरीकों का आदेश देते हुए कहा कि कुछ क्षेत्र सीमा से बाहर हैं. इसमें उस वजुखाने का जिक्र किया गया, जिसमें पिछले साल अप्रैल में एक वीडियो सर्वेक्षण में शिवलिंगनुमा आकृति मिली थी. उस दौरान मस्जिद प्रबंधन समिति ने दावा किया कि एएसआई बिना अनुमति के 354 साल पुराने परिसर के तहखाने और अन्य स्थानों में खुदाई कर रहा है, जिससे इसके ढहने का खतरा है.
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