गुजरात के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि बड़ी संख्या में आईपीएस अधिकारी राज्य के चीफ सेक्रेटरी के पास पहुंचे और शिकायत की कि राज्य में तरक्की के मामले में उनके साथ अन्याय हो रहा है।
उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार, केरल, महाराष्ट्र समेत देश के ज़्यादातर राज्यों में 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी आईजी से एडिशनल डीजीपी बना दिए गए हैं, लेकिन गुजरात में अभी पिछले हफ्ते ही 1987 बैच को प्रमोट किया गया, लेकिन उसमें भी आधा बैच प्रमोट नहीं हुआ।
यानि, अगर दिल्ली में देशभर के आईपीएस अधिकारियों की कोई बैठक हो तो 1990 तक के ज़्यादातर अधिकारी एडिशनल डीजीपी के तौर पर उसमें शिरकत करेंगे, लेकिन गुजरात के उसी बैच के अधिकारी आईजी के तौर पर, और देर से प्रमोशन मिलने से आर्थिक नुकसान तो होता ही है।
आईपीएस अधिकारियों की फरियाद है कि गुजरात में प्रमोशन का पूरा ढांचा ही बर्बाद हो चुका है। आमतौर पर हर साल 31 दिसंबर तक वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (Annual Confidential Report - या एसीआर) बन जाती है, लेकिन गुजरात में आईपीएस अधिकारियों की एसीआर बनाने का कोई सिस्टम नहीं है, और इसके आधार पर प्रमोशन की सिफारिश करने वाली डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी की बैठक भी नियमित रूप से नहीं होती, यानि, प्रमोशन का पूरा ढांचा ठीक नहीं है।
अधिकारियों ने शिकायत की कि इस अन्याय के चलते राज्य में पुलिस अधिकारियों का मनोबल काफी गिरा है। पदोन्नति में अन्याय का यह मामला सिर्फ एडीजीपी स्तर पर ही नहीं, एसपी से आईजी रैंक तक के अफसरों में भी है और सभी लोग खफा हैं।
अधिकारियों ने यह भी बताया कि राजस्थान के आईपीएस दिनेश एमएन सोहराबुद्दीन मामले में आरोपी थे। वह एसपी थे, लेकिन जैसे ही वह ज़मानत पर रिहा हुए, उन्हें दोबारा से सीनियॉरिटी के साथ स्थापित किया गया और कुछ ही दिनों में एसपी से डीआईजी और फिर आईजी का प्रमोशन मिल गया, लेकिन गुजरात में सिर्फ आरोपी अफसर ही नहीं, दूसरे बेदाग अफसरों को भी प्रमोशन में अन्याय झेलना पड़ रहा है।
सरकार ने फिलहाल इन्हें भरोसा दिलाया है कि इस मामले में जल्द कार्रवाई होगी और ढांचा दुरुस्त किया जाएगा, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि जब तक प्रमोशन नहीं मिलेगा, भरोसा नहीं लौटेगा।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं