चंद्रसिंह राउलजी : पार्टी कोई भी हो, चुनाव जीतने में है महारत, फिर गोधरा से मिला टिकट

बीजेपी ने गोधरा सीट से छह बार के विधायक चंद्रसिंह राउलजी (Chandrasinh Raulji) को फिर मैदान में उतारा है.

चंद्रसिंह राउलजी : पार्टी कोई भी हो, चुनाव जीतने में है महारत, फिर गोधरा से मिला टिकट

चंद्रसिंह राउलजी को गोधरा से बीजेपी प्रत्‍याशी बनाया गया है

Gujarat Elections 2022: गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव में इस बार मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा है राज्‍य में दो दशक से अधिक समय से सत्‍तारूढ़ बीजेपी को इस बार कांग्रेस के साथ अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) से भी चुनौती मिल रही है. पीएम मोदी के गृहराज्‍य होने के नाते गुजरात के चुनाव बीजेपी के लिए प्रतिष्‍ठा का प्रश्‍न बने हुए हैं. मोरबी ब्रिज हादसा और एंटी इनकंबेंसी फैक्‍टर कहीं इस बार जीत की राह में रोड़ा न बन जाए, इसे ध्‍यान में रखकर बीजेपी अपना हर कदम सोच-समझकर उठा रही है.

इसी को ध्‍यान में रखते हुए पार्टी ने इस बार कुछ विधायकों के टिकट काटे हैं, यहीं नहीं पूर्व सीएम विजय रूपाणी सहित कुछ वरिष्‍ठ नेताओं का चुनाव मैदान में न उतरने का फैसला भी राजनीतिक जानकारों को हैरान कर रहा है. गोधरा एक समय पूरे देश में चर्चा का विषय बना था, बीजेपी ने यहां से छह बार के विधायक चंद्रसिंह राउलजी (Chandrasinh Raulji) को फिर मैदान में उतारा है. चंद्रसिंह को सीके राउलजी के नाम से भी जाना जाता है

कई पार्टियों में रह चुके राउलजी की पहचान एक कद्दावर नेता के तौर पर रही है. कांग्रेस के टिकट पर गोधरा में जीतते रहे राउलजी 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ज्‍वॉइन की और चुनाव जीत लिया. एक समय गुजरात के पूर्व सीएम शंकर सिंह वाघेला के करीबियों में गिने जाने वाले राउलजी ने अपने सियासी करियर की शुरुआत जनता दल से की और 1990 के विधानसभा चुनाव में गोधरा सीट पर जीत हासिल की. बाद में उन्‍होंने 1991 में बीजेपी से जुड़े और इसी सीट पर हुए उपचुनाव में बाजी मारी. वर्ष 1995 में भी बीजेपी के टिकट पर वे इस सीट से जीते. वाघेल ने जब राष्‍ट्रीय जनता पार्टी (RJP) बनाई तो राउलजी इससे जुड़ गए. आरजेपी का बाद में कांग्रेस में विलय हो गया और राउलजी ने 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर सफलता हासिल की. 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले राउलजी ने फिर निष्‍ठा बदली और 'भगवामय' होकर बीजेपी से जुड़ गए. यह चुनाव पार्टी के लिए बेहद मुश्किलभरे माने जा रहे थे. नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनकर दिल्‍ली आ चुके थे और राज्‍य में पार्टी नए नेता की अगुवाई में चुनावी समर में उतरी थी. बहरहाल इस कड़ी परीक्षा में भी बीजेपी और राउलजी दोनों खरे उतरे. पार्टी ने जहां राज्‍य में सफलता का परचम लहराते हुए फिर सत्‍ता में वापसी की, वहीं राउलजी भी गोधरा की 'जंग' जीतने में सफल हुए. राउलजी का अपने क्षेत्र के अल्‍पसंख्‍यकों पर भी अच्‍छा असर है जिसका फायदा भी उन्‍हें मिलता है. 

विवादों से भी है नाता 
राउलजी हाल ही में बिलकिस बानो मामले के दोषियों को 'संस्‍कारी ब्राह्मण' बताने संबंधी बयान को लेकर विवादों में आए थे. उन्‍हें एक इंटरव्‍यू में यह कहते हुए सुना गया था, "वे (बिलकिस मामले के दोषी) ब्राह्मण हैं और  ब्राह्मणों को अच्‍छे संस्‍कार के लिए जाना जाता है. हो सकता है कि यह उन्‍हें दंडित करने का किसी का गलत इरादा हो." चंद्रसिंह ने यह भी कहा था कि जेल में दोषियों का व्‍यवहार अच्‍छा था. इस बयान के कारण राउलजी को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था. गौरतलब है कि पूर्व मंत्री राउलजी वे गुजरात सरकार की उस कमेटी का हिस्‍सा थे जिसने बिलकिस बानो से रेप और उसके परिवार के नौ लोगों की हत्‍या के 11 दोषियों की रिहाई के पक्ष में फैसला दिया था. मुंबई में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने 11 दोषियों को बिलकिस  बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या करने के जुर्म में 21 जनवरी 2008 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. बाद में बंबई हाईकोर्ट ने उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा था. गुजरात सरकार ने अपनी माफी नीति के तहत इन लोगों की रिहाई की मंजूरी दी थी.  जीत के विश्‍वास के साथ राउलजी एक बार फिर गोधरा के चुनावी मैदान में हैं. उन्‍हें उम्‍मीद है कि क्षेत्र के वोटर एक बार फिर उन्‍हें आशीर्वाद प्रदान करेंगे. 

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