जीएसटी बिल बुधवार को पेश होने के कयास हैं.
नई दिल्ली:
मंगलवार या बुधवार - बीजेपी और कांग्रेस के बीच अब इस बात की खींचतानी है कि जीएसटी बिल को किस दिन राज्यसभा में पेश किया जाए. हालांकि सरकार का रुख इस पर नरम पड़ सकता है और सूत्रों की मानें तो बुधवार को ही यह बिल राज्यसभा में पेश किया जाएगा क्योंकि इससे जुड़े सभी मुद्दे सुलझा लिए गए हैं.
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस नहीं चाहती थी कि मंगलवार को बिल पेश किया जाए क्योंकि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी संसद में मौजूद नहीं होंगी. वह प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में यूपी की चुनावी रैली को संबोधित करने वाली हैं. यही वजह थी कि बीजेपी चाहती थी कि बिल मंगलवार को पेश किया जाए ताकि सोनिया गांधी के यूपी दौरे से ध्यान हटकर सबका ध्यान इस मुद्दे से जुड़ी बहस और बिल के पास होने पर रहे.
मंगलवार को यह नेता नहीं होंगे
गौरतलब है कि सोनिया गांधी राज्यसभा की सदस्य नहीं है लेकिन कांग्रेस का कहना है कि बिल पेश होने वाले इस अहम दिन पर संसद में उनकी मौजूदगी जरूरी है. कांग्रेस ने यह भी कहा कि मंगलवार को बिल इसलिए न लाया जाए क्योंकि सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद मौजूद नहीं होंगे. बता दें कि गुलाम नबी आजा़द यूपी में पार्टी प्रभारी हैं और वाराणसी में चुनावी अभियान में वह सोनिया गांधी के साथ जाने वाले हैं. उनके साथ यूपी में पार्टी अध्यक्ष राज बब्बर भी होंगे जो राज्यसभा के सदस्य हैं.
अध्ययन के लिए दिया जाएगा
अपने पक्ष को और सफाई से रखते हुए विपक्ष की मुख्य पार्टी ने उस नियम का हवाला दिया जिसके तहत जरूरी है कि बहस से पहले संशोधनों के साथ बिल सभी सासंदों को अध्ययन के लिए दिया जाए. उम्मीद है कि यह प्रक्रिया आज शाम या कल सुबह तक पूरी हो जाएगी. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पार्टी के सांसदों को मंगलवार तक सरकार के साथ हुई बातचीत का विवरण देंगे.
एक तरफ सरकारी सूत्रों का कहना है कि जीएसटी से जुड़े सभी मुद्दे सुलझ चुके हैं, वहीं कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक अहम पहलू पर अभी भी सहमति नहीं बन पाई है. यह मांग है कि जीएसटी रेट पर लगने वाली सीमा को बिल में दिखाया जाए. पिछले हफ्ते सरकार ने काफी बातचीत के बाद जीएसटी बिल पर, जिसके लिए संविधान में संशोधन की जरूरत है, ज्यादातर पार्टियों का समर्थन हासिल कर लिया है, क्योंकि इसके लिए राज्यसभा में दो तिहाई बहुमत जरूरी है.
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस नहीं चाहती थी कि मंगलवार को बिल पेश किया जाए क्योंकि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी संसद में मौजूद नहीं होंगी. वह प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में यूपी की चुनावी रैली को संबोधित करने वाली हैं. यही वजह थी कि बीजेपी चाहती थी कि बिल मंगलवार को पेश किया जाए ताकि सोनिया गांधी के यूपी दौरे से ध्यान हटकर सबका ध्यान इस मुद्दे से जुड़ी बहस और बिल के पास होने पर रहे.
मंगलवार को यह नेता नहीं होंगे
गौरतलब है कि सोनिया गांधी राज्यसभा की सदस्य नहीं है लेकिन कांग्रेस का कहना है कि बिल पेश होने वाले इस अहम दिन पर संसद में उनकी मौजूदगी जरूरी है. कांग्रेस ने यह भी कहा कि मंगलवार को बिल इसलिए न लाया जाए क्योंकि सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद मौजूद नहीं होंगे. बता दें कि गुलाम नबी आजा़द यूपी में पार्टी प्रभारी हैं और वाराणसी में चुनावी अभियान में वह सोनिया गांधी के साथ जाने वाले हैं. उनके साथ यूपी में पार्टी अध्यक्ष राज बब्बर भी होंगे जो राज्यसभा के सदस्य हैं.
अध्ययन के लिए दिया जाएगा
अपने पक्ष को और सफाई से रखते हुए विपक्ष की मुख्य पार्टी ने उस नियम का हवाला दिया जिसके तहत जरूरी है कि बहस से पहले संशोधनों के साथ बिल सभी सासंदों को अध्ययन के लिए दिया जाए. उम्मीद है कि यह प्रक्रिया आज शाम या कल सुबह तक पूरी हो जाएगी. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पार्टी के सांसदों को मंगलवार तक सरकार के साथ हुई बातचीत का विवरण देंगे.
एक तरफ सरकारी सूत्रों का कहना है कि जीएसटी से जुड़े सभी मुद्दे सुलझ चुके हैं, वहीं कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक अहम पहलू पर अभी भी सहमति नहीं बन पाई है. यह मांग है कि जीएसटी रेट पर लगने वाली सीमा को बिल में दिखाया जाए. पिछले हफ्ते सरकार ने काफी बातचीत के बाद जीएसटी बिल पर, जिसके लिए संविधान में संशोधन की जरूरत है, ज्यादातर पार्टियों का समर्थन हासिल कर लिया है, क्योंकि इसके लिए राज्यसभा में दो तिहाई बहुमत जरूरी है.
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