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This Article is From Jan 17, 2022

Ground Report: अली, बाहुबली और बजरंग बली में उलझी लोनी सीट की सियासत, विकास के नाम पर टूटी सड़कें, बजबजाती नालियां

Loni Assembly Constituency : लोनी से बीजेपी के प्रत्याशी नंदकिशोर गुर्जर और गठबंधन उम्मीदवार मदन भैय्या चुनावी मैदान में आमने-सामने हैं.

लोनी से बीजेपी के प्रत्याशी नंदकिशोर गुर्जर गनौली गांव के रहने वाले हैं.

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) से सटे उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गाजियाबाद जिले की लोनी विधानसभा सीट (Loni Assembly Constituency) हिंदुत्व की प्रयोगशाला कही जाती है. यहां 'अली, बाहुबली और बजरंग बली' का नारा देकर हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिशें तेज हो गई हैं, जबकि लोनी में विकास और अपराध सबसे बड़ा मुद्दा है. लोनी से बीजेपी के प्रत्याशी नंदकिशोर गुर्जर और गठबंधन उम्मीदवार मदन भैय्या चुनावी मैदान में आमने-सामने हैं.

लोनी से बीजेपी के प्रत्याशी नंदकिशोर गुर्जर गनौली गांव के रहने वाले हैं. वह एक दबंग नेता के तौर पर जाने जाते हैं. आधा दर्जन हथियारबंद लोग उनकी सुरक्षा में तैनात रहते हैं. नंद किशोर लोनी में गुंडाराज खत्म होने का श्रेय खुद को देते हैं. हालांकि, बीते कई सालों से कभी चिकन व्यापारियों को धमकी देने को लेकर तो कभी प्रशासन पर घूस लेने के आरोप के चलते वो खासे सुर्खियों में रहे हैं. 

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नंदकिशोर गुर्जर को एक बार फिर चुनाव आयोग का नोटिस मिला है. उन पर लोनी में अली, बाहुबली और बजरंग बली का नारा लगाकर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने का आरोप है. आरोपों पर सफाई देते हुए उन्होंने NDTV से कहा, "इस बार यहां के लोग न अली, न बाहुबली को वोट देंगे. जीतेंगे बजरंग बली क्योंकि मैं महाकाल का भक्त हूं, जबकि सपा ने बाहुबली को टिकट दिया है."

नंदकिशोर गुर्जर के खिलाफ सपा और रालोद गठबंधन की तरफ से मदन भैय्या चुनावी मैदान में हैं. चार बार के विधायक रहे मदन भैय्या को सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपराधी बताया था लेकिन मदन भैय्या कहते हैं कि लोनी की गुंडागर्दी और हिंदू-मुसलमान के बीच दिलों की दूरियों खत्म करने की उनकी कोशिश रहेगी.

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मदन भैय्या  ने NDTV से कहा, "हम बजरंग बली के परम भक्त हैं. यहां सांप्रदायिक माहौल बनाने का प्रयास किया गया है लेकिन हम उस माहौल को खत्म करके भाई चारा स्थापित करेंगे."

लोनी विधान सभा क्षेत्र के सियासी समीकरण में करीब डेढ़ लाख मुसलमान वोटर हैं, जबकि 80 हजार गुर्जर और 60 से 70 हजार दलित मतदाता हैं. जब तक यहां धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण नहीं होता तब तक बीजेपी की सियासी नैय्या पार लगना मुश्किल है.

दोनों तरफ के उम्मीदवार भले ही अली, बाहुबली और बजरंग बली के बोल में उलझे हों लेकिन लोनी की सड़कें बदहाल हैं, गंदे पानी से नाले भरे पड़े हैं. विकास के नाम पर चुनाव की तारीखों का ऐलान होने से चंद घंटे पहले  वहां सड़क बनाने का शीलापट्ट लगा है लेकिन काम अब तक नहीं शुरू हुआ है.

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तनातनी के माहौल में लोनी में दोनों ही प्रत्याशियों के घरों पर हथियारबंद दस्ते तैनात हैं. लोनी में अपराध बड़ा मुद्दा है. तीन बार के पार्षद रहे जगत सिंह को पिछले दिनों छह गोलियां मारी गई थीं. आज तक अपराधी पकड़े नहीं जा सके हैं. लोगों का कहना है कि रंगदारी के लिए जगत सिंह को गोली मारी गई थी तो कुछ का कहना है कि सरकारी जमीन पर कब्जा करने की शिकायत के चलते गोली मारी गई थी. 

अपराध खत्म होने के विधायक के दावों से उलट जगत सिंह कहते हैं कि यहां पहले से ज्यादा अपराध है. लोनी के ही हरने वाले विनोद कसाना ने बताया कि उनके पिता की हत्या भी अपराधियों ने कर दी लेकिन आज तक कोई नहीं पकड़ा गया. उन्होंने आरोप लगाया कि खुद विधायक अपराधियों को संरक्षण देते हैं.  बहरहाल, धूल से सनी और अपराध से रंगी लोनी की सियासत एक बार फिर नफरत से बजबजाती दिख रही है.

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