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This Article is From May 03, 2022

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के लिए काल बने हाईटेंशन तार, विलुप्त होने की कगार पर पहुंचा शानदार पक्षी 

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड यानि तिलैय्या कभी हजारों की तादात में गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक में पाया जाता था. लेकिन अब गुजरात में महज चार या पांच नर ग्रेट इंडियन बस्टर्ड बचे हैं जबकि राजस्थान में 100 से भी कम मादा ग्रेट इंडियन बस्टर्ड बची हैं. 

इनकी घटती तादाद को देखते हुए भारत सरकार ने जैसेलमेर में इन पक्षियों के लिए एक सेंटर बनाया है

नई दिल्ली:

बिजली के हाइटेंशन तारों और विंड मिल्स के चलते राजस्थान का राज्य पक्षी विलुप्त होने के कगार पर है. महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्य में ये पक्षी पहले ही करीब करीब खत्म हो चुके हैं. देशभर में 100 से भी कम बचे इन पक्षियों पर सुप्रीम कोर्ट ने भी एक कमेटी गठित की है. दरअसल, राजस्थान का शानदार राज्य पक्षी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड यानि तिलैय्या कभी हजारों की तादात में गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक में भी पाया जाता था. लेकिन अब गुजरात में इस तरह के महज चार या पांच नर ग्रेट इंडियन बस्टर्ड बचे हैं जबकि राजस्थान में 100 से भी कम मादा ग्रेट इंडियन बस्टर्ड बची हैं. 

इनकी घटती तादाद को देखते हुए भारत सरकार ने जैसेलमेर में इन पक्षियों के लिए एक सेंटर बनाया है, जहां इनके अंडे सहेजने की प्रक्रिया की जाती है. ग्रेट इंडियन बस्टर्ड राजस्थान का राज्य पक्षी है. 2011 में इसे तेजी से विलुप्त होती प्रजाति घोषित किया जा चुका है. जैसलमेर इन पक्षियों का कुदरती आवास है, लेकिन अब इन जगहों पर बिजली के नए प्लांट और विंड मिल्स बड़ी संख्या में लगाए जा रहे हैं, जिनसे टकराकर ये पक्षी लगातार मर रहे हैं. जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने कंपनियों से कहा है कि इन पक्षियों के प्राकृतिक आवास से गुजरने वाली जगहों पर तार अंडर ग्राउंड होने चाहिए.

बता दें कि आबादी के बढ़ते दबाव के बीच जैसलमेर के आसपास बायोडायवर्सिटी के लिहाज से 13000 स्कावयर किमी का क्षेत्र ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के लिये बचा है. लेकिन इस डेसर्ट नेशनल पार्क से अब हाइटेंशन तारें गुजरने से खतरा बढ़ गया है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब देखना है कि कंपनियां कितने दिनों में रिफ्लेक्टर लगाने और तारों को अंडर ग्राउंड करने का काम करती है. फिलहाल जितनी देर होगी, उतना ही इस शानदार पक्षी के विलुप्त होने का खतरा बढ़ता जाएगा.

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