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This Article is From Dec 29, 2023

सरकार ने उल्फा के साथ किया शांति समझौता, गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- 'असम के लिए बड़ा दिन'

अमित शाह ने कहा कि असम का सबसे पुराना उग्रवादी संगठन उल्फा हिंसा छोड़ने, संगठन को भंग करने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने पर सहमत हुआ है. समझौते के तहत असम को एक बड़ा विकास पैकेज दिया जाएगा. 

शाह ने कहा कि समझौते के तहत असम को एक बड़ा विकास पैकेज दिया जाएगा. (फाइल)

नई दिल्‍ली:

यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (United Liberation Front of Asom) के वार्ता समर्थक गुट ने हिंसा छोड़ने, संगठन को भंग करने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने पर सहमति व्यक्त करते हुए शुक्रवार को केंद्र और असम सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये. अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्‍वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) की उपस्थिति में यहां समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. अमित शाह ने कहा कि यह असम के लोगों के लिए बहुत बड़ा दिन है. उन्होंने कहा, ‘‘असम लंबे समय तक उल्फा की हिंसा से त्रस्त रहा और वर्ष 1979 से अब तक 10 हजार लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी.''

उन्होंने कहा कि असम का सबसे पुराना उग्रवादी संगठन उल्फा हिंसा छोड़ने, संगठन को भंग करने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने पर सहमत हुआ है. उन्होंने कहा कि समझौते के तहत असम को एक बड़ा विकास पैकेज दिया जाएगा. 

शाह ने कहा कि समझौते के प्रत्येक खंड को पूरी तरह से लागू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि अब असम में हिंसा की घटनाओं में 87 प्रतिशत, मौत के मामलों में 90 प्रतिशत और अपहरण की घटनाओं में 84 प्रतिशत की कमी आई है. 

CM सरमा ने समझौते को बताया ऐतिहासिक 

मुख्यमंत्री सरमा ने समझौते को ‘‘ऐतिहासिक'' बताया और कहा कि यह समझौता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री शाह के मार्गदर्शन और नेतृत्व के कारण संभव हो सका है. 

12 साल वार्ता के बाद हुआ है समझौता 

अधिकारियों ने बताया कि अरबिंद राजखोवा के नेतृत्व वाले उल्फा गुट और सरकार के बीच 12 साल तक बिना शर्त हुई वार्ता के बाद इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. इस शांति समझौते से असम में दशकों पुराने उग्रवाद के खत्म होने की उम्मीद है. 

परेश बरुआ गुट समझौते का हिस्‍सा नहीं 

परेश बरुआ की अध्यक्षता वाला उल्फा का कट्टरपंथी गुट हालांकि इस समझौते का हिस्सा नहीं है. ऐसा माना जाता है कि बरुआ चीन-म्यांमार सीमा के निकट एक स्थान पर रहता है. 

1979 में हुआ था उल्‍फा का गठन 

उल्फा का गठन 1979 में ‘‘संप्रभु असम'' की मांग को लेकर किया गया था. तब से, यह विध्वंसक गतिविधियों में शामिल रहा है जिसके कारण केंद्र सरकार ने 1990 में इसे प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया था. 

राजखोवा गुट 2011 में शांति वार्ता में हुआ था शामिल 

राजखोवा गुट तीन सितंबर, 2011 को सरकार के साथ शांति वार्ता में उस समय शामिल हुआ था, जब इसके और केंद्र तथा राज्य सरकारों के बीच इसकी गतिविधियों को रोकने को लेकर समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. 

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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