सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)।
नई दिल्ली:
सरकारी विज्ञापनों में मुख्यमंत्रियों की तस्वीरों के इस्तेमाल पर लगी रोक पर अब राज्यों को एक और उम्मीद बंधी है। सुप्रीम कोर्ट अपने उस फैसले पर दोबारा विचार करने को राजी हो गया है, जिसमें कहा गया था कि करदाताओं के पैसों से किए जाने वाले सार्वजनिक विज्ञापनों में सिर्फ प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश की तस्वीरें ही इस्तेमाल की जा सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार के अलावा सभी राज्यों को नोटिस जारी कर उनकी राय मांगी है।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट मे जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने कहा कि वह राज्यों की बात सुनने को तैयार है। इस मामले की सुनवाई 13 अक्टूबर को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और सारे राज्यों को नोटिस जारी कर उनकी राय मांगी है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता एनजीओ को भी नोटिस जारी किया है।
दरअसल कर्नाटक, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और असम ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर की थी। इन चारों राज्यों में से किसी में भी बीजेपी का शासन नहीं है। इन राज्यों का कहना है कि प्रधानमंत्री की तरह मुख्यमंत्री भी सरकार के निर्वाचित प्रमुख होते हैं, इसलिए सरकारी नीतियों और उपलब्धियों के प्रचार के विज्ञापनों में उनकी तस्वीरों का इस्तेमाल होना चाहिए।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट मे जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने कहा कि वह राज्यों की बात सुनने को तैयार है। इस मामले की सुनवाई 13 अक्टूबर को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और सारे राज्यों को नोटिस जारी कर उनकी राय मांगी है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता एनजीओ को भी नोटिस जारी किया है।
दरअसल कर्नाटक, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और असम ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर की थी। इन चारों राज्यों में से किसी में भी बीजेपी का शासन नहीं है। इन राज्यों का कहना है कि प्रधानमंत्री की तरह मुख्यमंत्री भी सरकार के निर्वाचित प्रमुख होते हैं, इसलिए सरकारी नीतियों और उपलब्धियों के प्रचार के विज्ञापनों में उनकी तस्वीरों का इस्तेमाल होना चाहिए।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं