प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट के सर्च इंजन पर लिंग परीक्षण संबंधी विज्ञापन और जानकारियां नहीं दिखेंगी. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इन तीनों कंपनियों ने गर्भ में लिंग जांच से जुड़ी सारी सूचनाओं को ऑटो ब्लॉक करने का नया तरीका अपनाया है.
कंपनियों ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने लिंग परीक्षण से जुड़े लिंग जांच जैसे 22 प्रमुख कीवर्ड की पहचान की है, जिससे कि कोई भी व्यक्ति वेबसाइट पर ये शब्द टाइप करेगा तो उसे इस बाबत कोई जानकारी नहीं मिल पाएगी. इन कंपनियों ने कोर्ट को साथ ही बताया कि इन 22 कीवर्ड्स के अलावा भी कुछ नए शब्द सुझाए जाते हैं, तो वह उसे अपने ऑटो ब्लॉक सिस्टम में शामिल करने को तैयार है.
आपको बता दें कि लिंग जांच संबंधी विज्ञापनों के खिलाफ याचिका दायर करने वाले डॉ. साबू जॉर्ज ने ये कीवर्ड सुझाए थे. जॉज का आरोप था कि ऑनलाइन सर्च इंजन कंपनियां इस तरह के विज्ञापन दिखा कर कानून का उल्लंघन कर रही हैं.
भारत में गिरते लिंग अनुपात को रोकने और कन्या भ्रूण हत्या रोकने के मकसद से गर्भाधान एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) अधिनियम लागू है, जिसमें जन्म पूर्व लिंग जांच पर प्रतिबंध है.
इससे पहले पिछली सुनवाई में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि सरकार इंटरनेट सर्च इंजन कंपनियों से मिलकर इस समस्या का समाधान निकालेगी कंपनियों के साथ एक बैठक हो चुकी है, जबकि दूसरी मंगलवार को होनी है. केंद्र सरकार ने इस संबंध में 10 दिनों की मोहलत मांगी थी. इस मामले की अगली सुनवाई 16 नवंबर को होगी.
कंपनियों ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने लिंग परीक्षण से जुड़े लिंग जांच जैसे 22 प्रमुख कीवर्ड की पहचान की है, जिससे कि कोई भी व्यक्ति वेबसाइट पर ये शब्द टाइप करेगा तो उसे इस बाबत कोई जानकारी नहीं मिल पाएगी. इन कंपनियों ने कोर्ट को साथ ही बताया कि इन 22 कीवर्ड्स के अलावा भी कुछ नए शब्द सुझाए जाते हैं, तो वह उसे अपने ऑटो ब्लॉक सिस्टम में शामिल करने को तैयार है.
आपको बता दें कि लिंग जांच संबंधी विज्ञापनों के खिलाफ याचिका दायर करने वाले डॉ. साबू जॉर्ज ने ये कीवर्ड सुझाए थे. जॉज का आरोप था कि ऑनलाइन सर्च इंजन कंपनियां इस तरह के विज्ञापन दिखा कर कानून का उल्लंघन कर रही हैं.
भारत में गिरते लिंग अनुपात को रोकने और कन्या भ्रूण हत्या रोकने के मकसद से गर्भाधान एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) अधिनियम लागू है, जिसमें जन्म पूर्व लिंग जांच पर प्रतिबंध है.
इससे पहले पिछली सुनवाई में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि सरकार इंटरनेट सर्च इंजन कंपनियों से मिलकर इस समस्या का समाधान निकालेगी कंपनियों के साथ एक बैठक हो चुकी है, जबकि दूसरी मंगलवार को होनी है. केंद्र सरकार ने इस संबंध में 10 दिनों की मोहलत मांगी थी. इस मामले की अगली सुनवाई 16 नवंबर को होगी.
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