मामले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गयाः गोवा के बर्खास्त नेता प्रतिपक्ष 

नेता प्रतिपक्ष के पद से बर्खास्त माइकल लोबो से जब यह पूछा गया कि क्या संकट खत्म हो गया है तो उन्होंने NDTV को बताया कि घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है.

मुंबई :

गोवा (Goa) में कांग्रेस (Congress) के 11 विधायकों में से दस ने देर शाम बैठक की और इस बात पर चर्चा की कि पार्टी भाजपा (BJP) द्वारा विभाजन के प्रयास को क्या करती है. पार्टी ने अपने दो प्रमुख विधायकों दिगंबर कामत और माइकल लोबो पर इसमें शामिल होने का आरोप लगाया है. नेता प्रतिपक्ष के पद से बर्खास्त माइकल लोबो से जब यह पूछा गया कि क्या संकट खत्म हो गया है तो उन्होंने NDTV को बताया कि घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है. उन्होंने बाहरी लोगों पर पार्टी के भीतर निशाना बनाने का आरोप लगाया है. 

लोबो ने पहले कहा था कि ‘कुछ गलतफहमी‘ थी और आश्वासन दिया कि वह पार्टी नेतृत्व को ‘समझाएंगे‘. उन्होंने कहा कि उन्होंने मीडिया के साथ एक बातचीत में ‘अपना रुख स्पष्ट‘ किया है. उन्होंने कहा कि और अधिक बातचीत लोगों को ‘भ्रमित‘ करेगी. 

विधायक दल की बैठक से लापता दिगंबर कामत इकलौते विधायक थे. कामत पूर्व में मुख्यमंत्री रह चुके हैं और पार्टी ने पिछले चुनावों में उन्हें मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किया था. हालांकि कांग्रेस हार गई और वह नाराज थे कि उन्हें विपक्ष के नेता के पद की पेशकश नहीं की गई थी.

कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष से कामत और लोबो को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित करने का अनुरोध किया है. 

लोबो और पांच अन्य विधायक रविवार को पार्टी के भीतर खतरे की घंटी बजाते हुए किसी के संपर्क में नहीं थे, जिसके बाद पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को आगे आकर केंद्रीय नेताओं को डैमेज कंट्रोल के लिए भेजना पड़ा. विधायक आज विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन पहुंचे और जोर देकर कहा कि वे बैठक के लिए दक्षिण गोवा गए थे. 

कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि भाजपा के पास की चार्टर्ड फ्लाइट कांग्रेस के छह विधायकों को गोवा से बाहर ले जाने के लिए तैयार थी. भाजपा के एक वरिष्ठ नेता व्यक्तिगत रूप से कांग्रेस विधायकों के संपर्क में थे. कांग्रेस विधायकों को  भाजपा में शामिल होने के लिए 15 से 20 करोड़ रुपये की पेशकश की गई थी. 

सूत्रों के अनुसार, योजना को आखिरकार रद्द करना पड़ा क्योंकि क्योंकि संख्या नहीं बढ़ी. दलबदल विरोधी कानून से बचने के लिए कांग्रेस के दो तिहाई विधायकों का पाला बदलना जरूरी था. कांग्रेस के 11 विधायक होने के कारण कम से कम आठ विधायकों को पाला बदलने के लिए तैयार होना चाहिए था. 

साल 2019 में गोवा में कांग्रेस के 17 में से 15 विधायक पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे. इस बार, पार्टी ने अपने विधायकों को मंदिरों, मस्जिदों और चर्चों में दलबदल विरोधी शपथ दिलाई. साथ ही इसके बाद राहुल गांधी के सामने वफादारी का संकल्प लिया. 

हालांकि सत्तारूढ़ भाजपा ने इस मामले में अपनी संलिप्तता के आरोपों से इनकार किया है. पार्टी प्रवक्ता यतीश नाइक ने कहा, "कांग्रेस पार्टी में जो कुछ भी हो रहा है, उससे बीजेपी का कोई लेना-देना नहीं है."

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