28 महीने की बेबी अरिहा के मामले में अब विदेश मंत्रालय ने भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिप ऐकरमैन को बुलाकर साफ कहा कि वहां पर फॉस्टर केयर में रखे जाने से उसके सांकृतिक और भारतीयता के अधिकारों का हनन हो रहा है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि जल्द से जल्द उसे वापस भेजा जाए और ये भी कि इस मामले में वो लगातार कोशिश कर रहे हैं और जर्मन अधिकारियों के संपर्क में हैं.
इसी मामले में अरिहा की मां धारा शाह बुधवार को संसद भवन पहुंचीं. उनके साथ कई महिला सांसद भी थीं. धारा शाह ने कहा कि उनके ऊपर बच्ची को 2021 में चोट लगने का कारण जो सेक्शुल असॉल्ट के आरोप लगे थे उसे अस्पताल ने ग़लत पाया था और पुलिस जांच में भी उन्हें क्लीन चिट मिली थी. उन्होंने अधिकारियों को बताया कि बच्ची की दादी जो भारत से उसे देखने गई थीं उनसे बच्ची को चोट लगी है. लेकिन वहीं की फैमिली कोर्ट ने इसे नहीं माना.
13 जून 2023 को भी कोर्ट ने दो आदेश जारी किए . कोर्ट ने माता -पिता दारा और भावेस शाह की वो अर्ज़ी ख़ारिज कर दी जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत में ही उसे चाइल्ड वेलफेयर होम में रखा जाए. कोर्ट ने कहा कि अब अभिभावकों को कोई अधिकार नहीं ये तय करने का कि बच्ची कहां रहे. साफ लगता है कि मामला क्योंकि कोर्ट के पास है और आरोप गंभीर, तो लाख कोशिशों के बावजूद लंबा खिंच सकता है.
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