उत्तराखंड त्रासदी के बाद किस तरह काम आए ड्रोन? तीसरी आंख ने यूं की मदद

उत्तराखंड (Uttarakhand Disaster) के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने के बाद आई आपदा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 62 हो गई है. 142 लोग अभी भी लापता हैं.

उत्तराखंड त्रासदी के बाद किस तरह काम आए ड्रोन? तीसरी आंख ने यूं की मदद

उत्तराखंड त्रासदी में मृतकों की संख्या 62 हो गई है. (फाइल फोटो)

खास बातें

  • उत्तराखंड त्रासदी में मृतकों की संख्या हुई 62
  • आपदा के बाद से 142 लोग अभी भी लापता
  • बचाव-राहत कार्यों में ड्रोन कैमरों ने की मदद
चमोली:

उत्तराखंड (Uttarakhand Disaster) के चमोली जिले में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र से एक और शव मिला है, जिससे ग्लेशियर टूटने की आपदा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 62 हो गई है. वहीं NTPC की तपोवन-विशनुगढ़ जलविद्युत परियोजना स्थल पर 13वें दिन भी खोज और बचाव अभियान जारी रहा. उत्तराखंड में आई तबाही की तस्वीर रोंगटे खड़े कर देती हैं. ऐसे में तमाम परेशानियों के बीच राहत और बचाव का काम NDRF, SDRF, ITBP, सेना समेत अन्य एजेंसियां कर रही हैं और तीसरी आंख के तौर पर ड्रोन कैमरे इनकी मदद कर रहे हैं. बचाव कार्यों में एजेंसियों के ड्रोन कैमरों के साथ-साथ प्राइवेट ड्रोन भी इस्तेमाल किए जा रहे हैं.

मिली जानकारी के अनुसार, गरुड़ ड्रोन ने काफी ऊंचाई पर उड़ान भरी ताकि दुर्गम पहाड़ियां ड्रोन के क्रैश की वजह न बन जाए और राहत और बचाव का काम और तेजी से किया जा सके. इन ड्रोन्स ने दिन के उजाले में तो फंसे हुए लोगों को तलाशने का काम किया ही, रात के अंधेरे में भी तलाश जारी रखी. चमोली त्रासदी के दौरान ये ड्रोन्स एनडीआरएफ के लिए काफी मददगार साबित हुए क्योंकि त्रासदी के शुरुआती दिनों और घंटों में प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव का काम काफी मुश्किलों से भरा हुआ था.

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इन ड्रोन्स ने चट्टानों में आई दरार को पहचाना. अगर वक्त रहते मरम्मत न की जाती तो एक और हादसे की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता था. गरुड़ एयरो स्पेस के CEO एलपी चार्ल्स कहते हैं कि हमें रैणी गांव की तरफ जाने को कहा गया था. हम 5 किलोमीटर तक के मिशन पर गए, वहां कहां पर ग्लेशियर हैं यह पता लगाया और मिशन आगे बढ़ा. दूसरे दिन हमने NTPC के मैनेजर के शव को तलाशा. वैसे अगर ऐसे हालात में काम करने की इनकी ट्रेनिंग होती तो ड्रोन्स बेहतर साजो-सामान के साथ वहां ले जाए जाते. इस बार का अनुभव इन्हें भविष्य में जरूर बेहतर बनाएगा.

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गौरतलब है कि चमोली जिले की पुलिस ने शुक्रवार को कहा कि एक शव जोशीमठ और पीपलकोटी के बीच हेलंग में अलकनंदा के तट से बृहस्पतिपार देर रात मिला. पुलिस ने बताया कि शव टीएचडीसी के एक कॉफर बैराज में मिला. पुलिस ने कहा कि इसके साथ ही 7 फरवरी की आपदा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 62 हो गई है जबकि 142 लोग अभी भी लापता हैं. तपोवन-विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना के इनटेक टनल से अब तक 13 शव मिल चुके हैं, जहां आपदा के बाद से अब तक बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान जारी है. पुलिस ने बताया कि इसके अलावा, प्रभावित क्षेत्र में विभिन्न स्थानों से 28 मानव अंग भी मिले हैं, जिनमें से एक की पहचान कर ली गई है. पुलिस ने कहा कि अब तक मिले 62 में से 33 शवों की पहचान कर ली गई है. अज्ञात शवों के DNA को संरक्षित किया जा रहा है. (इनपुट भाषा से भी)

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