नई दिल्ली में चल रहे G20 समिट (G20 Summit 2023) के पहले ही दिन साझा बयान पर सहमति बन गई है. G20 ग्रुप के सभी सदस्य देशों ने 'न्यू दिल्ली लीडर्स समिट डेक्लरेशन' यानी 'दिल्ली घोषणापत्र' को मंजूरी दे दी, जिसके बाद ये घोषणापत्र (G20 New Delhi Leaders Declaration) पारित हो गया. 37 पेजों के घोषणापत्र में आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की गई है. इसमें कुल 83 पैराग्राफ हैं. इसमें यूक्रेन जंग (Ukrain War) का 4 बार जिक्र हुआ, लेकिन एक बार भी रूस का नाम नहीं लिया गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार, 9 सितंबर को घोषणा की कि एक आम सहमति बन गई है और 'नई दिल्ली G20 लीडर्स समिट डिक्लेरेशन' / G20 New Delhi Leaders' Declaration को सर्वसम्मति से अपनाया गया है. इस डिक्लरेशन की शुरुआत 'हम एक पृथ्वी, एक परिवार हैं और हमारा भविष्य एक है' से होती है.
न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, New Delhi Leaders Declaration में कहा गया है, "यूक्रेन में युद्ध को लेकर हमने बाली में भी चर्चा की थी, हम अपने देश के रुख पर कायम हैं. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा (A/RES/ES-11/1 and A/RES/ES-11/6) में जो प्रस्ताव अपनाए गए, उसके हिसाब से ही सभी देशों को यूएन चार्टर के सिद्धांतों के अनुकूल लगातार काम करना होगा. यूएन चार्टर के हिसाब से सभी देशों को धमकी देने से बचना चाहिए या किसी भी देश की क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता या राजनीतिक स्वतंत्रता के खिलाफ उसके किसी भूभाग पर कब्जे के लिए ताकत के इस्तेमाल से बचना चाहिए. धमकी या परमाणु हथियारों का इस्तेमाल अस्वीकार्य है."
New Delhi G-20 Leaders' Summit Declaration: "Concerning the war in Ukraine, while recalling the discussion in Bali, we reiterated our national positions and resolutions adopted at the UN Security Council and the UN General Assembly (A/RES/ES-11/1 and A/RES/ES-11/6) and… pic.twitter.com/RBqXlmeYIh
— ANI (@ANI) September 9, 2023
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने राजनयिक सूत्रों के हवाले से बताया है कि यूक्रेन संघर्ष से संबंधित पैराग्राफ पर आम सहमति नहीं होने के कारण, भारत ने शुक्रवार को सकारात्मक परिणाम निकालने के प्रयास में भू-राजनीतिक संबंधी पैराग्राफ के बिना ही सदस्य देशों के बीच शिखर सम्मेलन घोषणापत्र का मसौदा वितरित किया था.
देशों से "क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को बनाए रखने" का आग्रह किया गया है. घोषणापत्र में "यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और टिकाऊ शांति" की अपील भी की गई है.
इसके विपरीत इंडोनेशिया में पिछले साल के शिखर सम्मेलन के बाद की घोषणा अधिक स्पष्ट थी, जिसमें संयुक्त राष्ट्र के एक प्रस्ताव का हवाला दिया गया था. साथ ही यूक्रेन के खिलाफ रूसी संघ की आक्रामकता की कड़े शब्दों में निंदा की गई थी. वहीं, 37 पेज के नई दिल्ली घोषणापत्र में फरवरी 2022 से जंग झेल रहे यूक्रेन का सिर्फ चार बार जिक्र किया गया है.
रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर संयुक्त बयान पर सहमति भारत की कूटनीतिक दक्षता को भी दर्शाती है. अमेरिका और यूरोप के ज्यादातर देश यूक्रेन युद्ध को लेकर घोषणापत्र में रूस के खिलाफ कड़ी भाषा के इस्तेमाल पर अड़े हुए थे. दूसरी तरफ रूस और चीन रूस-यूक्रेन जंग के जिक्र का विरोध कर रहे थे. भारत के G20 शेरपा अमिताभ कांत ने कहा कि दिल्ली घोषणापत्र को "100 प्रतिशत सर्वसम्मति" के साथ पारित किया है.
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