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फ्लैट के नाम पर करोड़ों की ठगी, बिहार के दानापुर में नामी कंस्‍ट्रक्‍शन कंपनी का बिल्‍डर फरार

अनु आनंद कंस्ट्रक्शन बिल्डर प्राइवेट लिमिटेड नामक बिल्डर पर ग्राहकों से करोड़ों रुपए लेकर फ्लैट ना देने और सरकारी सिस्टम की मिलीभगत से फरार हो जाने का आरोप है.

फ्लैट के नाम पर करोड़ों की ठगी, बिहार के दानापुर में नामी कंस्‍ट्रक्‍शन कंपनी का बिल्‍डर फरार
  • दानापुर के अनु आनंद कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड पर करोड़ों रुपये लेकर फ्लैट न देने और फरार होने का आरोप.
  • बिल्डर ने सरकारी अधिकारियों और सूर्य नेक्स्ट बिल्डर के साथ मिलकर जमीन का अवैध ट्रांसफर किया है.
  • बिल्डर के खिलाफ पटना के बुद्ध थाना में दर्जनों एफआईआर, ईडी और ईओयू की छापेमारी हुई है, लेकिन वह अब तक फरार है.
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दानापुर:

खबर दानापुर से है जहां रियल एस्टेट में एक बार फिर धोखाधड़ी का बड़ा मामला सामने आया है. अनु आनंद कंस्ट्रक्शन बिल्डर प्राइवेट लिमिटेड नामक बिल्डर पर ग्राहकों से करोड़ों रुपए लेकर फ्लैट ना देने और सरकारी सिस्टम की मिलीभगत से फरार हो जाने का आरोप है. इसके अलावा बिल्डर पर RERA (रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) के नियमों की अनदेखी और कानूनी प्रक्रियाओं को नजरअंदाज करने का भी आरोप है. बताया जा रहा है कि कई वीआईपीज के पैसे भी इसमें अटक गए हैं. 

एडवांस में लिए करोड़ों रुपये 

शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि अनु आनंद कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के एक प्रोजेक्ट 'कैपिटल सेंटर साईं सिटी' में ग्राहकों से करोड़ रुपए की अग्रिम राशि लेकर उन्हें फ्लैट नहीं दिया. उसके बाद सरकारी अधिकारी और दूसरे बिल्डर सूर्य  नेक्स्ट बिल्ड से मिलकर उसने संपत्ति (जमीन) का अवैध तरीके से ट्रांसफर कर दिया. यह मामला न केवल रियल एस्टेट धोखाधड़ी को उजागर करता है बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार के गठजोड़ का जीता जागता उदाहरण है. 

हाई कोर्ट में चल रहा है केस 

आरोप है कि बिल्डर के एक अन्य प्रोजेक्ट (साईं एनक्लेव) को भी समय पर पूरा नहीं किया जिससे सैंकड़ों ग्राहक प्रभावित हुए हैं. बिल्डर के खिलाफ बुद्ध थाना पटना में  दर्जनों FIR दर्ज है.  ED एवं EOU के भी छापे पड़े हैं और इसके बावजूद बिल्डर अब तक फरार है. पीड़ितों ने पुलिस और प्रशासन से तुरंत कार्रवाई की मांग की है लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है. बिल्डर के विरुद्ध माननीय उच्च न्यायालय पटना में भी मामला प्रक्रियाधीन है. 

रेरा की भूमिका संदिग्‍ध 

हैरानी की बात यह है कि रेरा जिसका मुख्‍य मकसद ग्राहकों के हितों की रक्षा करना है, इस मामले में निष्क्रिय बनी हुई है. रेरा के नाक के नीचे सारी घटना हो रही है परंतु रेरा कान में तेल डालकर सो रहा है.  प्रभावित लोगों का कहना है कि रेरा की लचर करवाई एवं निष्क्रियता ने बिल्डर को और बढ़ावा दिया है. पीड़ित ग्राहकों ने न्यायिक हस्तक्षेप और सरकारी जांच की मांग की है. उनका आरोप है कि बिल्डर प्रशासनिक अधिकारी और रेरा के बीच गठजोड़ के कारण उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है. 

दूसरे बिल्‍डर को दे दी जमीन 

यह मामला एक बार फिर रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता और कानून के शासन की कमी को उजागर करता है. प्रशासन और रेरा की गंभीरता से जांच और त्वरित कार्रवाई से ही ऐसे बिल्डरों पर अंकुश लगाया जा सकता है. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि एक पूरे टावर (T6) की जमीन को बिल्डर ने एक और बिल्डर (Surya Nestbuild) के नाम पर ट्रांसफर कर दिया है. इस ट्रांसफर में नियमों का खुलेआम उल्लंघन हुआ है लेकिन इसके बावजूद रेरा जैसी सरकारी नियामक संस्था इस पूरे मामले में चुप्पी साधे हुए हैं. इससे उसकी भूमिका पर बड़े सवाल उठ रहे हैं. 

पीड़ित ग्राहकों ने अब न्यायालय का दरवाजा खटखटाने और आंदोलन का रास्ता अख्तियार करने की चेतावनी दी है. उनकी मांग है कि सरकार तत्काल मैं संज्ञान ले ऑनलाइन ट्रांसफर की जांच करें और ग्राहकों को उसका फ्लैट बनवाने और सुपुर्द करने का आदेश जारी करें. 

(दानापुर से गौरव कुमार की रिपोर्ट) 
 

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