नई दिल्ली:
फ्रांस के राष्ट्रपति भारत आ चुके हैं और सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी आधिकारिक वार्ता होगी, लेकिन अब तक राफेल डील पर अंतिम मुहर नहीं लग पाई है।
एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के हाथ इस बार तो राफेल डील शाय़द ही लगेगी। हां बाद में इस सौदे पर अंतिम मुहर लग जायेगी, यानी फ्रांस के राष्ट्रपति को गणतंत्र का तोहफा नहीं मिल पाएगा। ये अलग बात है कि वो 67वें गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि हैं।
हालत ये है कि ना तो भारत और ना ही फ्रांस सरकार इस सौदे पर मुंह खोलने को तैयार है कि आखिर मामला कहां फंस गया है। सरकार और राफेल बनाने वाली कंपनी के बीच कीमत और ऑफसेट को लेकर बात होती रही है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
वैसे फ्रांस से सीधे 36 राफेल खरीदने का फैसला तो करीब नौ महीने पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान ही हो गया था। सूत्रों के मुताबिक भारत 36 विमानों के लिये 60 हजार करोड़ देने को तैयार है लेकिन फ्रांस इसके लिये 65 हजार करोड़ से भी ज्यादा की डिमांड कर रहा है। ये दोनों देशों के लिये कोई अच्छी स्थिति नही होगी कि महज कीमतों की वजह से राफेल डील की डगर मुश्किल हो जाए।
चाहे ना चाहे इसका असर तो दोनों देशों के बढ़ते सामरिक रिश्ते पर जरूर पड़ेगा। वैसे कोशिश तो जरूर हो रही है आपसी संबध और प्रगाढ़ व मजबूत हों, तभी राजपथ पर गणतंत्र दिवस के मौके पर फ्रांस की सेना की टुकड़ी हिस्सा ले रही है। पहली बार किसी विदेशी देश की सेना परेड में हिस्सा लेगी।
एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के हाथ इस बार तो राफेल डील शाय़द ही लगेगी। हां बाद में इस सौदे पर अंतिम मुहर लग जायेगी, यानी फ्रांस के राष्ट्रपति को गणतंत्र का तोहफा नहीं मिल पाएगा। ये अलग बात है कि वो 67वें गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि हैं।
हालत ये है कि ना तो भारत और ना ही फ्रांस सरकार इस सौदे पर मुंह खोलने को तैयार है कि आखिर मामला कहां फंस गया है। सरकार और राफेल बनाने वाली कंपनी के बीच कीमत और ऑफसेट को लेकर बात होती रही है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
वैसे फ्रांस से सीधे 36 राफेल खरीदने का फैसला तो करीब नौ महीने पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान ही हो गया था। सूत्रों के मुताबिक भारत 36 विमानों के लिये 60 हजार करोड़ देने को तैयार है लेकिन फ्रांस इसके लिये 65 हजार करोड़ से भी ज्यादा की डिमांड कर रहा है। ये दोनों देशों के लिये कोई अच्छी स्थिति नही होगी कि महज कीमतों की वजह से राफेल डील की डगर मुश्किल हो जाए।
चाहे ना चाहे इसका असर तो दोनों देशों के बढ़ते सामरिक रिश्ते पर जरूर पड़ेगा। वैसे कोशिश तो जरूर हो रही है आपसी संबध और प्रगाढ़ व मजबूत हों, तभी राजपथ पर गणतंत्र दिवस के मौके पर फ्रांस की सेना की टुकड़ी हिस्सा ले रही है। पहली बार किसी विदेशी देश की सेना परेड में हिस्सा लेगी।
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