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अब तक उत्तराखंड में जंगलों की आग कम भड़की, देश में 13वां स्थान; तेलंगाना में सबसे ज्यादा फायर अलर्ट

पूरे देश में अगर 1 नवंबर 2024 से 20 मार्च 2024 तक फायर सीजन में आग लगने के अलर्ट की बात करें तो सबसे पहला नंबर तेलंगाना राज्य का है. जहां पर 11499 घटनाएं दर्ज की गई हैं.

अब तक उत्तराखंड में जंगलों की आग कम भड़की, देश में 13वां स्थान; तेलंगाना में सबसे ज्यादा फायर अलर्ट
नई दिल्ली:

उत्तराखंड में हर साल जंगलों में आग लगने की वजह से वन संपदा के साथ-साथ वन्यजीवों को भी भारी नुकसान होता है. साथ ही जंगलों की आग से निकलने वाला धुआं पर्यावरण और हिमालय के ग्लेशियरों को भी भारी नुकसान पहुंचता है. ऐसे में पिछली बार से सबक लेते हुए इस बार वन विभाग ने फॉरेस्ट फायर सीजन के लिए अपनी पुख्ता तैयारी के दावे किए हैं. फिलहाल 20 मार्च 2025 तक के आंकड़े देखें तो उत्तराखंड में 1347 फायर अलर्ट की घटनाएं सामने आई हैं.

उत्तराखंड वन विभाग ने 1 नवंबर 2024 से शुरू होने वाले इस फायर सीजन में 22 मार्च 2025 तक के अपने जारी आंकड़ों में बताया है कि गढ़वाल रेंज के रिजर्व फॉरेस्ट में 12 घटनाएं हुई हैं और वन पंचायत सिविल सोयम क्षेत्र में तीन घटनाएं दर्ज की गई हैं. गढ़वाल क्षेत्र में कुल 15 घटनाएं हुई हैं, वहीं 17.02 रिजर्व फॉरेस्ट हेक्टेयर एरिया प्रभावित हुआ है. वन पंचायत और सिविल सोयम क्षेत्र में 6 हेक्टर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है. इसके अलावा गढ़वाल क्षेत्र में 2.5 हेक्टर प्लांटेशन एरिया प्रभावित हुआ है.

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वहीं कुमाऊं मंडल में फिलहाल वन अग्नि से कोई नुकसान नहीं हुआ है, ना ही जंगल प्रभावित हुआ है.

वाइल्डलाइफ एरिया करियर के फॉरेस्ट एरिया में सात घटनाएं हुई हैं. इसके अलावा वन पंचायत सिविल सोयम क्षेत्र में 6 घटनाएं दर्ज की गई है. कुल मिलाकर वाइल्डलाइफ एरिया में 13 घटनाएं दर्ज की गई, इसके अलावा वाइल्डलाइफ एरिया के रिजर्व फॉरेस्ट में 18.4 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है. वन पंचायत सिविल सोयम क्षेत्र में 8.5 हेक्टेयर एरिया प्रभावित हुआ है.

पूरे देश में अगर 1 नवंबर 2024 से 20 मार्च 2024 तक फायर सीजन में आग लगने के अलर्ट की बात करें तो सबसे पहला नंबर तेलंगाना राज्य का है. जहां पर 11499 घटनाएं दर्ज की गई हैं. इसके अलावा उड़ीसा दूसरे स्थान पर है, जहां पर 10231, महाराष्ट्र 8732, छत्तीसगढ़ 7353, आंध्र प्रदेश 7044, कर्नाटक 6747, मध्य प्रदेश 5490, मिजोरम 5042, मणिपुर 2841, मेघालय 2417, असम 1850, नागालैंड 1797, उत्तराखंड 1347, झारखंड 1339, हिमाचल प्रदेश 1160, जम्मू कश्मीर 993, राजस्थान 858, तमिलनाडु 855, अरुणाचल प्रदेश 845, गुजरात 829, केरल 734, उत्तर प्रदेश 540, पश्चिम बंगाल 489, त्रिपुरा 152, बिहार 132, पंजाब 26, हरियाणा 21, गोआ 14 और दिल्ली में आग लगने के 10 अलर्ट रिकॉर्ड किए गए हैं.

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फिलहाल उत्तराखंड में 20 मार्च 2024 तक पिछले 3 सालों में आग लगने के अलर्ट के रिकॉर्ड देखें तो 2023 में उत्तराखंड में फायर सीजन में 1844 आग लगने के अलर्ट दर्ज किए गए. इसके अलावा साल 2024 में 3084 और 2025 में अब तक 1347 आग लगने के अलर्ट दर्ज किए गए हैं.

वन विभाग में फायर सीजन के नोडल अधिकारी, आईएफएस निशांत वर्मा के मुताबिक पिछली बार के फायर सीजन से सबक लेते हुए इस बार पहले से पुख्ता तैयारी की गई है. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के मुताबिक 1 नवंबर 2024 से फायर सीजन माना जाता है. इसलिए वन विभाग ने पहले से इसकी सारी तैयारी कर ली थी, जिसमें वन विभाग में कर्मचारी, फॉरेस्ट फायर वॉचर्स, फॉरेस्ट रेंजर और वन विभाग के अधिकारियों को ट्रेनिंग दी गई. फॉरेस्ट फायर सीजन को देखते हुए वन पंचायत, महिला मंगल दलों के साथ मिलकर जंगलों को आग से कैसे बचाना है. उसमें उनकी भागीदारी सुनिश्चित की गई.
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आईएफएससी अधिकारी ने बताया कि फॉरेस्ट फायर लाइन की भी सफाई करवाई गई. फॉरेस्ट फायर के लिए बजट भी पहले ही पास करवा लिया गया था. वहीं उत्तराखंड में जंगलों की आग को कैसे कंट्रोल करना है, इसके लिए शीतला खेत मॉडल को अप्लाई किया गया है. इस बार 7000 से ज्यादा वनकर्मी जो आग बुझाने के काम में रहते हैं, उनके लिए जीवन बीमा करवाया गया है और फायर इक्विपमेंट भी प्रोवाइड करवाए गए हैं.

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