कद्दावर नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने कांग्रेस छोड़ने के बाद अपनी पार्टी बनाई थी और उनकी पार्टी ने आजाद के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) लड़ने का भी ऐलान किया था. हालांकि इस घोषणा के बावजूद हो सकता है कि गुलाम नबी आजाद यह चुनाव न लड़ें. आजाद की पार्टी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (Democratic Progressive Azad Party) ने अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट (Anantnag- Rajouri Lok Sabha Seat) से उनकी उम्मीदवारी की घोषणा की है.
आजाद ने एनडीटीवी से कहा, "मैंने अभी तक यह तय नहीं किया है कि मैं चुनाव लड़ूंगा या नहीं. मेरी पार्टी ने इसकी घोषणा कर दी है लेकिन मैंने अंतिम फैसला नहीं किया है."
2022 में कांग्रेस छोड़ने के बाद गुलाम नबी आजाद के जम्मू कश्मीर की अनंतनाग सीट से चुनाव लड़ने को उनकी लोकप्रियता की पहली परीक्षा से जोड़कर देखा जा रहा था.
आजाद के उतरने से त्रिकोणीय मुकाबला
अनंतनाग नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच एक विवादित सीट है, अगर आजाद चुनाव मैदान में उतरते हैं तो यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो जाएगा.
विपक्षी गठबंधन इंडिया के सहयोगियों के बीच सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बनने के बाद पीडीपी अकेले चुनाव लड़ेगी. पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को अनंतनाग से उम्मीदवार घोषित किया गया है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने आज कांग्रेस के साथ अपने सीट बंटवारे के समझौते की घोषणा की है, वह भी इस सीट पर चुनाव लड़ेगी.
भाजपा से निर्देश मिले हैं : उमर अब्दुल्ला
पार्टी प्रमुख उमर अब्दुल्ला ने डीपीएपी प्रमुख की टिप्पणी का मजाक उड़ाया. उन्होंने संवाददाताओं से कहा आजाद को "भाजपा से निर्देश मिले हैं." साथ ही अब्दुल्ला ने कहा, "उनकी पार्टी ने घोषणा की है और पीछे हटने की कोशिश करना और यह कहना कि उन्होंने अपना मन नहीं बनाया है, काफी सरल है."
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "हम संसदीय चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन पर फैसला करेंगे."
आजाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उन्होंने मतदाताओं की प्रतिक्रियाएं जानने के लिए पहले कई सार्वजनिक बैठकें की थीं.
उन्होंने एनडीटीवी से कहा था, "बहुत से लोग मुझसे चुनाव लड़ने के लिए कह रहे हैं. मुझसे संसद में रहने की मांग है, लेकिन ऐसी आवाजें भी हैं जो चाहती हैं कि मैं विधानसभा चुनाव लड़ूं."
6 साल से नहीं हुआ है विधानसभा चुनाव
जम्मू-कश्मीर में अगस्त 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत विशेष स्थिति को छीन लिया गया थो इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया गया था. यहां पर छह साल से विधानसभा चुनाव नहीं हुआ है.
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय पर कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा था कि 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराना होगा.
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