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This Article is From Feb 22, 2023

"बेटा मर जाता": 3 साल तक खुद को घर में बच्चे के साथ बंद रखने वाली महिला ने पुलिस को बताया

मामला 17 फरवरी को उस समय सामने आया जब मुनमुन के पति सुजान मांझी ने चकरपुर पुलिस चौकी में तैनात सहायक उपनिरीक्षक प्रवीण कुमार से संपर्क किया.

प्रतीकात्‍मक फोटो

नई दिल्‍ली:

हरियाणा के गुरुग्राम के चकरपुर में 33 वर्षीय एक महिला ने अपने नाबालिग बेटे के साथ खुद को किराये के घर में तीन वर्ष तक 'कैद' रखा. उसने कोरोना महामारी से बचने के लिए ऐसा किया था. पुलिस के अनुसार, घटना मंगलवार को सामने आई जब अधिकारियों की एक टीम इन दोनों को घर से बाहर लेकर आई. पुलिस टीम, स्‍वास्‍थ्‍य विभाग और चाइल्‍ड वेलफेयर डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने मुख्‍य दरवाजे को तोड़कर मुनमुन मांझी और उसके 10 वर्षीय बेटे को बाहर निकाला. बाद में मां-बेटे को गुरुग्राम के सिविल अस्‍पताल पहुंचाया गया. 

सिविल सर्जन गुरुग्राम, डॉक्‍टर वीरेंद्र यादव के अनुसार, "महिला को कुछ मनोवैज्ञानिक समस्‍याएं हैं. दोनों को पीजीआई, रोहतक रेफर किया गया है, जहां उन्हें इलाज के लिए मनोरोग वार्ड में भर्ती कराया गया है." मामला 17 फरवरी को उस समय सामने आया जब मुनमुन के पति सुजान मांझी ने चकरपुर पुलिस चौकी में तैनात सहायक उपनिरीक्षक प्रवीण कुमार से संपर्क किया. सुजान एक निजी कंपनी में इंजीनियर हैं. 

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पुलिस के अनुसार, अपने बेटे के साथ तीन साल के लिए खुद को 'कैद' करने के दौरान महिला ने, 2020 में पहले लॉकडाउन प्रतिबंध में रियायत दिए जाने के बाद ऑफिस गए अपने  पति को भी घर में आने की इजाजत नहीं दी. पति सुजान ने पहले कुछ दिन दोस्‍तों और रिश्‍तेदारों के साथ गुजारे और जब वह पत्‍नी को मनाने में नाकाम रहा तो उसने उसी इलाके में एक अन्‍य किराए के मकान में रहना शुरू कर दिया. पति के अनुसार, इस दौरान पत्‍नी और बेटे से संपर्क में रहने का वीडियो कॉल ही एकमात्र जरिया था. इस दौरान वह घर का किराया और बिजली का बिल चुकाता था. अपने बेटे की स्कूल की फीस जमा करता, किराने का सामान और सब्ज़ियां ख़रीदता था और राशन के बैग्‍स भी पत्‍नी वाले घर के मुख्य दरवाज़े के बाहर छोड़ दे देता था. 7 वर्ष की उम्र में महिला ने बच्चे को घर में कैद किया, अब बच्चा करीब 10 वर्ष का हो चुका है. तीन साल से बच्चे की पढ़ाई,  खेल और दोस्त- सब कुछ छूट गए थे. बच्चे की मां घर में ही उसके और अपने बाल काटती थी. यहां तक कि 3 वर्षों से घर का कूड़ा भी नहीं बाहर फेंका गया था, जिस कमरे में बच्चा रहता था उसी कमरे में कूड़ा, कटे हुए बाल और गंदगी जमा रहती थी. आस-पड़ोस के लोगों को भी नहीं पता था कि घर में मां-बेटे के साथ कैद है. घर में दीवारों पर ही बच्चा पेंटिंग बनाता था और दीवारों पर ही पेंसिल से पढ़ाई करता था. 

एएसआई प्रवीण कुमार ने बताया, "शुरुआत में मुझे सुजान के दावों पर यकीन नहीं हुआ लेकिन जब उसने अपनी पत्‍नी और बेटे से वीडियो कॉल पर मेरी बात कराई तब मैंने मामले में दखल दिया. जिस घर में महिला रह रही थी, उसमें इतनी गंदगी और कचरा जमा हो गया था कि अगर कोई कुछ दिन और बीतते तो कुछ अनहोनी भी हो सकती थी." इस महिला के बेटे ने पिछले तीन सालों से सूरज नहीं देखा था. यहां तक कि इस महिला ने इन तीन वर्षों के दौरान कोविड के डर से रसोई गैस और स्‍टोर किए गए पानी का इस्‍तेमाल भी नहीं किया. तीन वर्ष बाद अपनी पत्‍नी और बेटे को पाकर सुजान बेहद खुश है, उसने पुलिस को इसके लिए धन्‍यवाद दिया. उसने कहा, "अब उनका इलाज चल रहा है. उम्‍मीद हैं कि मेरी जिंदगी जल्‍द ही पटरी पर लौट आएगी. " (PTI से भी इनपुट)

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