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This Article is From Dec 30, 2020

हरी जलेबियों से लेकर बारात निकालने तक इन अनोखे तरीकों से प्रदर्शन कर रहे किसान

पंजाब के मोहाली में भी किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. यहां पर उनके बीच हरी जलेबियां बंटती दिखाई दे रही हैं. जलेबियां बांट रहे किसानों के एक समूह ने कहा कि हरा रंग उनकी फसलों और इससे जुड़ी समृद्धि का प्रतीक है.

हरी जलेबियों से लेकर बारात निकालने तक इन अनोखे तरीकों से प्रदर्शन कर रहे किसान
आंदोलन में अनोखे तरीकों से अपनी बात रख रहे किसान.
नई दिल्ली:

Farmers' Protests: कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ महीने भर से ज्यादा वक्त से प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अपनी बात रखने के कई अनोखे तरीके निकाल लिए हैं. कहीं हरी जलेबियां बांटी जा रही हैं तो कहीं पर किसान दूल्हे समेत पूरी की पूरी बारात ही निकाल रहे हैं. पंजाब के मोहाली में भी किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. यहां पर उनके बीच हरी जलेबियां बंटती दिखाई दे रही हैं. जलेबियां बांट रहे किसानों के एक समूह ने कहा कि हरा रंग उनकी फसलों और इससे जुड़ी समृद्धि का प्रतीक है. उनकी जलेबियां खाने के लिए बहुत लोग इकट्ठा हो रहे हैं.

प्रदर्शन कर रहे किसान जसवीर चंद ने बताया, 'हम पिछले कुछ दिनों से हरी जलेबियां बांट रहे हैं. हर रोज लगभग पांच क्विंटल जलेबियां बंटती हैं.' उनके साथ प्रदर्शनस्थल पर मौजूद 65 साल के बलदेव सिंह ने बताया, 'यह हरा रंग हरित क्रांति के साथ-साथ शांति और सौहार्द्रता का प्रतीक है.' उन्होंने कहा कि 'हम केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक महीने से शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं. हालांकि, सरकार ने हमारी मांगें नहीं मानी हैं, हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी रखने को प्रतिबद्ध हैं.'

इसके अलावा, हरियाणा के करनाल में प्रदर्शनस्थल पर कुछ युवाओं ने अपने प्रदर्शन की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए बकायदा एक बारात निकाल दी. करनाल के डबरी गांव से आने वाले 22 साल के जगदीप सिंह ने कहा, 'हमने सोचा कि सरकार और लोगों के सामने अपनी बात रखने के लिए यह एक दिलचस्प तरीका होगा.'

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इस बारात में एक शख्स दूल्हे के वेशभूषा में था, जिसे ट्रैक्टर पर बिठाकर पूरे हाईवे पर घुमाया गया.

जसवीर चंद ने कहा, 'हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार से निवेदन कर रहे हैं कि वो न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी मान्यता दें. सरकार को इन नए कृषि कानूनों पर किसानों की दूसरी चिंताएं भी दूर करनी चाहिए.' उन्होंने कहा, 'अगर सरकार किसी को नौकरी देती है तो उसकी सैलरी नियमित तौर पर संशोधित की जाती है, उसी तरह किसानों की फसलों की भी गारंटीड खरीद होनी चाहिए क्योंकि किसान अपनी मेहनत ही नहीं झोंकते, उनके पास जो कुछ भी होता है सब लगा देते हैं.'

बता दें कि 25 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर मुख्य तौर पर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान मोदी सरकार के नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. सितंबर में किसानों और विपक्ष के विरोध के बीच इन कानूनों को संसद में पास कर दिया गया था. 

Video: किसानों को समर्थन देने के लिए आए स्कूली छात्र, कृषि कानून के खिलाफ निकाला मार्च

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