किसानों को शंभू बॉर्डर पर कैसे रोका गया? 'दिल्ली कूच' से पहले रणनीति बनाने में जुटी दिल्ली पुलिस

दिल्ली पुलिस ये समझने की कोशिश कर रही है कि प्रदर्शनकारी किसानों (Farmer's Protest) की साइकोलॉजी क्या है. सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली की टीम ने शंभू बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस की तैयारियों का जायजा लिया.

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार और किसानों के बीच चौथे राउंड की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद, किसानों (Farmer's Protest) ने 21 फरवरी को एक बार फिर से दिल्ली कूच का ऐलान किया है. प्रदर्शनकारी किसान पिछले कई दिनों से शंभू बॉर्डर पर डंटे हुए हैं. इस बीच दिल्ली पुलिस, हरियाणा-पंजाब को जोड़ने वाले शंभू बॉर्डर पर पहुंची. दिल्ली पुलिस के IPS रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में पुलिस की टीम शंभू बॉर्डर पर पहुंची. पुलिस का मकसद हरियाणा पुलिस की रणनीति को समझना था.

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हरियाणा पुलिस की रणनीति समझ रही दिल्ली पुलिस

जिस तरह से हरियाणा पुलिस ने RAF के साथ मिलकर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी किसानों का मुकाबला किया, पुलिस का मकसद उस रणनीति को समझना था. हरियाणा पुलिस ने बॉर्डर पर किस तरह का इंतजाम किया है, किस तरह के हथियारों का इस्तेमाल किया गया, प्रदर्शनकारियों को लेकर हरियाणा पुलिस की के पास किस तरह के इंटेल हैं, पुलिस ये जानना चाहती थी. 

 किसानों को दिल्ली बॉर्डर पर रोकने की तैयारी

दिल्ली पुलिस ये समझने की कोशिश कर रही है कि शंभू बॉर्डर पर मौजूद प्रदर्शनकारियों की साइकोलॉजी क्या है. सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली की टीम ने शंभू बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस की तैयारियों का जायजा लिया. अब उसी हिसाब से दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों को रोकने के लिए इंतजाम किए जा रहे हैं. 

किसान दिल्ली कूच के लिए फिर तैयार

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बता दें कि केंद्र और किसानों के बीच बातचीत का पेंच MSP को लेकर ही फंसा है. एक अनुमान के मुताबिक, अगर सरकार ने किसानों की मांग मान ली, तो नई दिल्ली पर करीब 10 लाख करोड़ रुपये का बोझ आ जाएगा. लेकिन किसानों का तर्क है कि उनकी खेती कारपोरेट के हाथों में जा सकती है. आमतौर पर MSP फसल उत्पादन की लागत पर 30 फीसदी ज्यादा रकम होती है, लेकिन किसानों की मांग इससे कहीं ज्यादा की है. कई दौर की बातचीत बेनतीजा ही रही है. जिसके बाद बॉर्डर पर डंटे किसान फिर दिल्ली कूच को तैयार हैं.