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This Article is From Apr 27, 2023

दंतेवाड़ा नक्सली हमले का Exclusive वीडियो आया सामने, घायल जवान ने ऐसे किया मुकाबला

राजधानी रायपुर से लगभग 450 किलोमीटर दूर हुआ यह विस्फोट पिछले दो सालों में छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ा माओवादी हमला है.

आईईडी विस्फोट में 10 जिला रिजर्व गार्ड कर्मियों और एक नागरिक चालक की मौत हो गई थी.

दंतेवाड़ा (छत्तीसगढ़):

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में बुधवार को हुए नक्सली हमले में 10 जवान शहीद हो गए थे. एनडीटीवी के पास इस हमले से जुड़ा एक Exclusive वीडियो है, जो धमाके के ठीक बाद के क्षणों को दिखा रहा है. वीडियो में एक पुलिसकर्मी रेंगते हुए पोजीशन में आता हुआ दिख रहा है और इसके बाद वो विस्फोट करने वाले नक्सलियों पर जवाबी फायरिंग करता है.

ये वीडियो मौके पर मौजूद एक अन्य पुलिसकर्मी ने शूट किया है, जो विस्फोट के बाद एक अन्य वाहन के पीछे छिपकर नक्सलियों से मुकाबला कर रहा था. वीडियो में गोलियों की आवाजें सुनाई दे रही हैं- 'उड़ गया, पूरा उड़ गया." जिसका अर्थ है- पूरी गाड़ी विस्फोट से उड़ा दी गई है.

जिस जवान ने ये वीडियो शूट किया, उन्होंने एनडीटीवी से खास बातचीत में कहा कि नक्सल विरोधी अभियान के लिए हम सभी मंगलवार से बाहर थे. बुधवार दोपहर करीब 1.30 बजे जब धमाका हुआ तो वापस लौट रहे थे. सात गाड़ियों के काफिले में से उन्होंने तीसरी गाड़ी पर निशाना लगाया, जिसमें जवान थे. उनमें जीवित कोई नहीं बचा, सभी की मौत हो चुकी थी.

100 से 150 मीटर की दूरी पर था वाहन
पुलिसकर्मी ने कहा कि वह और सात अन्य जवान उस USV के ठीक पीछे थे, जिसे धमाके से उड़ाया गया था. हमारा वाहन उससे 100 से 150 मीटर पीछे था. जवान ने बताया कि सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक- संवेदनशील इलाकों में इस तरह के हमलों में बड़े पैमाने पर हताहत होने से बचने के लिए काफिले के बीच सुरक्षित फासला बनाकर रखा जाता है.

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यह पूछे जाने पर कि क्या विस्फोट के बाद भी नक्सली आसपास थे, पुलिसकर्मी ने जवाब दिया, "जब हमने उनकी दिशा में फायरिंग की, तो उनकी तरफ से एक या दो राउंड फायर किए गए, फिर फायरिंग बंद हो गई."

आईईडी विस्फोट में 10 जवानों की हुई मौत
इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) के कारण हुए विस्फोट में 10 जिला रिजर्व गार्ड कर्मियों और एक नागरिक चालक की मौत हो गई. जिला रिजर्व गार्ड में माओवादियों से निपटने के लिए प्रशिक्षित स्थानीय आदिवासी पुरुष शामिल होते हैं. एक मिनी माल वैन, सुरक्षा कर्मियों द्वारा किराए पर लिया गया था. राज्य की राजधानी रायपुर से लगभग 450 किलोमीटर दूर हुआ यह विस्फोट पिछले दो सालों में छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ा माओवादी हमला है.

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नक्सलियों को बख्शा नहीं जाएगा- CM बघेल
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि माओवादियों के खिलाफ लड़ाई अपने अंतिम चरण में है और नक्सलियों को बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने कहा, "हम समन्वित तरीके से काम करेंगे और नक्सलवाद को खत्म करेंगे."

गृह मंत्री ने दिया हर संभव मदद का आश्वासन
वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हमले को कायराना करार दिया और राज्य सरकार को हर संभव मदद का आश्वासन दिया. उन्होंने ट्वीट किया, "दंतेवाड़ा में छत्तीसगढ़ पुलिस पर हुए कायरतापूर्ण हमले से क्षुब्ध हूं. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से बात की है और राज्य सरकार को हर संभव मदद का आश्वासन दिया है. शहीद जवानों के शोक संतप्त परिजनों के प्रति मेरी संवेदनाएं."

सुरक्षा में बड़ी चूक पर उठ रहे सवाल
इधर हमले के बाद सुरक्षा में बड़ी चूक को लेकर कई सवाल उठे हैं. काफिले द्वारा लिए गए मार्ग को किसी भी सड़क गश्ती दल ने तय नहीं किया था. सड़क मार्ग को हरी झंडी देने वाली गश्ती दल में आमतौर पर एक छोटी और फुर्तीली टीम होती है जो संभावित घात के लिए उस रास्ते की जांच करती है और मुख्य काफिले के आने से पहले अन्य खतरों को साफ करती है.

इसके अलावा, एनडीटीवी ने घटनास्थल के दौरे के दौरान पाया कि सड़क निर्माण परियोजना के हिस्से के रूप में सड़क के दोनों किनारों पर विशाल गड्ढे खोदे गए थे. इन गड्ढों का इस्तेमाल आईईडी लगाने के लिए किया गया था, इससे सुरक्षाकर्मी नक्सलियों के लिए आसान लक्ष्य बन गए.

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