EXCLUSIVE: "न मिलते हैं, न सुनते हैं राहुल गांधी..." : कांग्रेस के पूर्व नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद

आजाद ने आगे कहा कि चिट्ठी लिखने से पहले मैं तीन रात नहीं सोया, अब चिट्ठी लिखने के बाद भी मैं नहीं सो पा रहा. हमारे पास कोई दौलत नहीं, मेरे पास एक ही दौलत थी, मेरी 50 साल से एक ही संपत्ति थी, जो मैंने स्टूडेंट्स लाइफ से कश्मीर की लड़ाई लड़ी. हमने तो खून दिया, पसीना तो छोटी चीज है. 

कांग्रेस छोड़ने के बाद वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने NDTV को पहली प्रतिक्रिया में कहा कि राहुल गांधी वरिष्ठों से भी नहीं मिलते. उन्होंने 9 साल की अनदेखी का आरोप लगाया. साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की तारीफ की, लेकिन ये भी कहा कि उन्होंने राहुल गांधी की गलतियों को नजरअंदाज किया. 9 साल से मेरी राय की अनदेखी की गई. राहुल गांधी का हमने पूरा समर्थन किया. राहुल न मिलते हैं और न सुनते हैं. वर्किंग कमेटी में हमने मिसेज गांधी के खिलाफ कभी नहीं बोला. सोनिया गांधी सबकी सुनती थीं. कई सालों से ये चल रहा था. मेरी राय कभी नहीं सुनी गई. मैंने गलत बातों के खिलाफ आवाज उठाई. हमने गांधी परिवार का लिहाज किया है. कांग्रेस को लाने के लिए हमने कई रातें जेल में गुजारी हैं. हमने बहुत कठिन वक्त देखा है. आज सब कुछ खत्म सा होता दिख रहा है.

बातचीत की खास बातें...

  1. कांग्रेस छोड़ने के फैसले पर उन्होंने कहा कि एक दिन में या एक घटना से ऐसी चीजें नहीं होतीं,  ये सालों से चल रहा था, कांग्रेस धीरे-धीरे कमजोर कई सालों से हो रही थी... बहुत सारे लोग यह नहीं समझते.

  2.  कांग्रेस में सबसे बड़ी बीमारी है कि कांग्रेस की आइडियोलॉजी सब मानते हैं, कांग्रेस-कांग्रेस सब करते हैं, लेकिन न गांधी को कभी पढ़ा है ...न नेहरू को कभी पढ़ा है न सरदार पटेल को कभी पढ़ा है...न सुभाष चंद्र बोस को पढ़ा है, न मौलाना आजाद को पढ़ा है... कांग्रेस में उन्हीं से हमारा मुकाबला करा रहे हैं जिनको आज के लीडर्स के बारे में भी कुछ पता नहीं है.संगठन ना होना कांग्रेस की हार का कारण.

  3. हम किसी पार्टी में मेहमान बनकर नहीं रहने वाले. अब हम अपना घर खुद बनाएंगे. मैं किसी पार्टी के साथ नहीं जाऊंगा. अपनी पार्टी बनाएंगे.

  4. मैं नरसिम्हा राव जी की कैबिनेट में मंत्री था. मेरे पास तीन तीन पोर्टफोलियो थे, लेकिन वर्किंग कमिटी में हम उन्हें बोलते थे, विरोध दर्ज करवाते थे, लेकिन ये लोग लकी हैं कि हमने वर्किंग कमेटी में मिसेज गांधी के खिलाफ कभी नहीं बोला. राहुल गांधी के खिलाफ नहीं बोला.

  5. संजय गांधी का लिहाज़, इंदिरा गांधी का लिहाज, राजीव गांधी का लिहाज़, वो हम पर ताला था, इन्होंने कहा दिन तो दिन, रात कहा तो रात, ये कंसेशन दिया कि आप एक्सपीरियंस नहीं हो लेकिन फैमिली के सम्मान में हमने ऐसा किया.

  6. हम जिस तरह की पॉलिटिकल लाइफ से निकल कर आए, मैंने जेल में भी लंबा समय बिताया. इंदिरा गांधी को तो 20 दिसंबर 88 को अरेस्ट कर लिया था तो उन्हें  एक हफ्ते बाद छोड़ दिया था, हमको तो दूसरे साल जनवरी के आखिर में छोड़ा, हम तिहाड़ जेल के हॉल में सीमेंट के बैड पर सोते थे, ये हमने लाइफ गुजारी है, कांग्रेस को लाने के लिए.

  7. 2013 में हमने जयपुर में  एक लंबा चार्ट बना दिया.अगले साल इलेक्शन है ताकि जीत जाएं. अगर हम अदब से कहें कि ये गलत है तो हमको तो 50 लोग गले पड़कर आते हैं उनके क्रिटिसिज्म में और सजेशन में फर्क नहीं पता.

  8. पद्म पुरस्कार पर वे बोले गोगोई को पदम मिला तो कोई सवाल नहीं, मुझे मिले तो क्यों.अगर मुझे नहीं मिलता तो क्या जयराम रमेश को मिलता, जो रोज स्टोरी प्लांट करवाते हैं. मैंने अपनी जान पर खेलकर लड़ाई लड़ी है. मैं ट्वीट से पॉलिटिक्स नहीं करता हूं, मैं कंप्यूटर से पॉलिटिक्स नहीं करता हूं, मैं जनता के बीच जाकर पॉलिटिक्स करता हूं.  

  9. कांग्रेस में नये अध्यक्ष की सुगबुगाहट पर वह बोले- बैंक लूट गया तो आप नया मैनेजर लेकर आओ, लेकिन बैंक में तो पैसा है नहीं, पार्टी हो, तब बदलो, लेकिन पार्टी तो खत्म हो गई. यहां रुस्तम भी आ जाए तो भी कुछ नहीं कर पाएगा क्योंकि पार्टी खत्म हो चुकी है.

  10. हमारे पास कोई दौलत नहीं, मेरे पास एक ही दौलत थी, मेरी 50 साल से एक ही संपत्ति थी, जो मेरी स्टूडेंट्स लाइफ से कश्मीर की लड़ाई लड़ी. हमने तो खून दिया, पसीना तो छोटी चीज है.