आजादी की सालगिरह पर एक खास इंटरव्यू सीरीज हम आपके लिए लेकर आए हैं, जिनमें हम बहुत चुने हुए लोगों से बात कर रहे हैं कि उनकी नजर में यह आजादी की सालगिरह उनको कैसी दिखती है, और आगे की रूपरेखा उनकी नजर में क्या है? AZADI@76 सीरीज के तहत NDTV के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर और एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया ने असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा से एक्सक्लूसिव बातचीत की. हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि नार्थ ईस्ट में 2014 के बाद से एक परसेप्शनल चेंज हुआ है.
आपने हमारे लिए वक्त निकाला हिमंता, बहुत शुक्रिया. आपका एक फोकस रहा रहा है नार्थ ईस्ट को लेकर, असम को लेकर, और हम लोक पेट्रोनाइजिंग ढंग से बोलते रहे हैं, मुख्य धारा में शामिल करेंगे.. डिकेड से सुनते आए हैं, जब से जर्नलिज्म शुरू किया. शायद गलती हमारी भी है. लेकिन यह जो इंटिग्रेशन होना चाहिए, इमोशनल हो चाहे फिजिकल कनेक्टिविटी का हो, या जो पॉलिटिकल इनस्टेबिलिटी के दौर से हम गुजरे.. कौन से साइनपोस्ट आप देखते हैं, जिससे हम आज जहां पहुंचे हैं, वहां हैं?
देखिए नार्थ ईस्ट एक बहुत ही क्रिटिकल, क्रुशियल यट वेरी-वेरी पॉटेंट एंड रिसोर्सफुल ज्याग्रफी है, भारत की. बहुत सारी कम्युनिटी होती हैं, कम्युनिटी की आईडेंटिटी भी होती है कि हमारी एक इंडीविजुअल आइईडेंटिटी है.देन वाज इनवोक स्टेट आईडेंटिटी, देन वाज आल सो इनवोक्ड इमोशनल आईडेंटिटी ऑफ नार्थ ईस्ट. कभी-कभी हम हमारे बीच में लड़ते हैं, कभी-कभी वी फाइट विद द हू हेज पॉवर इन द डेल्ही. एंड यट आप जब दिल्ली के लोग, मुंबई, चेन्नई, बेंगलोर के लोग नार्थ ईस्ट आते हैं, हम बहुत ही हॉस्पिटेलिटी से उनका स्वागत भी करते हैं. तो थोड़ी विविधता है, लेकिन धीरे-धीरे जब से नार्थ ईस्ट के लोग बाहर, यानी नार्थ ईस्ट के बाहर.. काफी सारी यंग पॉपुलेशन नार्थ ईस्ट के बाहर काम करने गई..वहां उनकी अच्छी खासी इनकम हुई, सैटलमेंट हुआ, स्टेबलिश हुए, काफी सारे गैप रिमूव होना स्टार्ट हो गए हैं. कुल मिलाकर 2010, 14, 16.. इन लॉस्ट डिकेड द कॉन्फ्लिक्ट विथ द मेनलैंड कमडाउन सिग्नीफिकेंटली.
इस सरकार में खास बात यह हुई है कि पॉलिटिक्स हो या गवर्नेंस, या जिसको कहें डेवलपमेंट, उसके नाते जो बॉर्डर स्टेट्स हैं, उन पर बहुत ज्यादा ध्यान दिया गया. नार्थ ईस्ट से लेकर जम्मू कश्मीर तक.. बड़े-बड़े लैंडमार्क हैं ये. नार्थ ईस्ट में पिछले बरसों में चेंज क्या हुआ है, जैसे आपने पीपल इंटरेक्शन इंटरफेज का एक चेंज बताया. पॉलिटिक्स कितनी बदली है, क्योंकि इनस्टेबिलिटी तो अभी भी है?
नार्थ ईस्ट में एक परसेप्शनल चेंज हुआ 2014 से, यह मैं नहीं बोलूंगा कि 2014 से पहले काम नहीं हुआ. पर काम उसी स्पीड से होता था कि कोई चीफ मिनिस्टर आए, यहां कैंप करे, पर्टिकुलर रास्ते के लिए सिक्योरिटी लेकर जाए, कोई बड़ा मंत्री, एमपी यहां आकर बात करे, कोई एक रेलवे ट्रैक की सिक्योरिटी लेकर जाए. डेवलपमेंट वाज ए वेरी-वेरी स्लो पेस.. फ्राम 2014 सडनली कनेक्टिविटी में एक बहुत बड़ा ट्रांसफार्मेशन हुआ. एकदम चाइना बॉर्डर तक रोड बनना शुरू हुआ, रेलवे ट्रैक शुरू हुआ, सडनली आल मीटर गेज कनवर्टेड टू ब्रॉड गेज.. एक गुवाहाटी एयरपोर्ट है, लगता है कि एक नया हवाई जहाज इंट्रोड्यूज हो जाए तो लैंडिंग के लिए जगह नहीं है. सो इट बिकम टू सो मच बिजिएस्ट एयरपोर्ट, इंडिया फिफ्थ बिजिएस्ट एयरपोर्ट इन टर्म्स ऑफ पैसेंजर. सारे नार्थ ईस्ट में एयरपोर्ट शुरू हो गए, उड़ान स्कीम आई, इंटरनेट कनेक्टिविटी बहुत बड़े पैमाने पर सुधर गई. तो 2014 से एक ह्यूज परसेप्शनल चेंज हैपन इन नार्थ ईस्ट. सम बडी केयरिंग फार द रीजन, सम बडी इज वॉकिंग फार द रीजन..यू डोंट हेव टू गोइंग टू देल्ही एंड गेटिंग योर लेजिटिमेटिव ड्यूज डन..बी कॉज ब्राडगेज वाज लेजिटिमेटिक्स एक्सपेक्टेशन. हर स्टेट कैपिटल राजधानी एक्सप्रेस से जुड़े, दैट वाज अवर लेजिमेटिक्स एक्सपेक्टेशन, बट वह काम नहीं होता था. मैं नहीं कह रहा कि काम नहीं हुआ, कोई फोकस नहीं था कि नार्थ ईस्ट को करना है. कोई एक बड़ा व्यक्ति एमपी बना, उनकी कांस्टीट्एंसी में काम हुआ, लेकिन नाउ इट इज बियांड दैट रीजन.. द रीज न हैज बी कम फोकस..एक बहुत बड़ा उदाहरण मैं देता हूं, आप देखिए मणिपुर में अभी भी डिस्टर्बेंस है,बट नो बडी किटीसाइजिंग सेंट्रल गवर्नमेंट. कोई प्रधानमंत्री को किटीसाइज नहीं कर रहे, कोई गृह मंत्री को किटीसाइज नहीं कर रहे, नो बडी सेइंग दैट दिस इज हैपनिंग फार सेंट्रल गवर्नमेंट. पहले कुछ भी हो जाता था ब्लेम वुड हैव कम टू डेल्ही..नॉउ पीपुल नो दिस इज अवर कॉन्फ्लिक्ट नथिंग टू डू इट डेल्ही..तो मई से कॉन्फ्लिक्ट की सिचुएशन है नार्थ ईस्ट में, एंड यू विल सी द पॉलिटीशिन फ्राम मेन लैंड इज किटीसाइजिंग नरेंद्र मोदी, बट नो बडी फ्राम मणिपुर इज ब्लेमिंग नरेंद्र मोदी.
आप यह कह रहे रहे हैं कि वहां के लोग, न सिर्फ मणिपुर, पूरे इलाके के लोग यह नहीं कह रहे कि दिल्ली ने किया?
अभी दिल्ली इज ए सेंस ऑफ ग्रेटिट्यूड, लोगों के मन में यही है कि हमने हमारे बीच में कॉन्फ्लिक्ट रिजॉल्व करके जो हमें दिल्ली को एक स्पेस देना चाहिए था दैट आर नाट एबिल टू प्रोवाइड..सो रादर मेनी पीपुल आर लिटिल बी डिफेंसिव.
आप यह बहुत इंपार्टेंट बात बता रहे हैं, जब लोग डिफेंसिव हैं, लोगों में सोचने में बदलाव है कि हम हर वक्त दिल्ली को ब्लेम नहीं कर सकते, ऐसे में यह जो संकट है, जहां पहुंच गया है, ब्लेम गेम को बिल्कुल छोड़ दें, तो भी सॉल्व करने के लिए आप प्रपोज क्या करते हैं.. यहां हम कम सुन रहे हैं, एनालिसिस सुन रहे हैं, प्रपोजल टू सॉल्व क्या है?
हमारा जो ट्राइबल इलाका है, मणिपुर, अरुणाचल, नागालैंड.. देयर आर वेरी-वेरी डीप रूटेड इश्यूज एक्जिस्ट. क्या आप सोच भी सकते हैं कि एक कम्युनिटी, यू आर ए पीपुल ऑफ मणिपुर..पर अभी आप मणिपुर के ही टू थर्ड हिस्से में लैंड नहीं खरीद सकते. लेकिन जो टू थर्ड हिस्से में है, दे केन परचेज लैंड एंटायर स्टेट..देयर आर इश्यूज.. आप कांग्रेस के समय से, उसके पहले.. हमारे जैसे भारत में स्टेट बने, उत्तराखंड बना, झारखंड बना, छत्तीसगढ़ बना.. मध्य प्रदेश सरकार भी जानती है कि मेरी सीमा कहां है, छत्तीसगढ़ भी जानता है. उत्तराखंड जानता है कि मेरी सीमा कहां है, यूपी जानता है कि मेरी सीमा कहां है..लेकिन मैं नहीं जानता हूं, असम की सीमा कहां है, मिजोरम की सीमा कहां है..मैं नहीं जानता हूं कि अरुणाचल की सीमा कहां है, अरुणाचल नहीं जानता है कि मेरी सीमा कहां है..स्टेट वेयर कर्व आउट फ्राम असम, पीपुल आफ असम नेवर रेज एनी आब्जेक्शन..उसी समय एक सीमा बना दी जाती, कि नए राज्य की यह सीमा होगी..लेकिन जानबूझकर सीमांकन नहीं किया गया. सो वी आर फाइटिंग टुडे..
जानबूझकर नहीं किया गया या एडहॉक तरीके से कि स्टेट बना दो और गवर्नेंस भूल गए?
व्हाय पीपुल ऑफ नार्थ ईस्ट एंग्री विथ द डेल्ही, बी कॉज हमारा वहां परसेप्शन है कि यह जानबूझकर नहीं किया गया. इसलिए दिल्ली के ऊपर, हू हेज इन द पॉवर इन डेल्ही, वी रिमेन एंग्री. हमें लगता है कि हमें लड़वाने की व्यवस्था आप ही लोग करके गए. अदर वाइज वी काल अस वी आर सेवन सिस्टर्स..
यह एक लिंगरिंग प्राब्लम है, अब आप लोग इसको कैसे फिक्स करने का सोच रहे हैं, सीमाएं पक्की हो जाएं?
इट विल टेक टाइम. धीरे-धीरे 2014 से प्रधानमंत्री जी ने क्या किया, नार्थ ईस्ट के लोगों के लिए एक हीलिंग टच लेकर आए, कि आलराउंड डेवलपमेंट..यू गो टू गुवाहाटी, इफ यू विजिटेड 20 इयर्स बैक, यू नाट सी द सेम सिटी.. इफ यू गो टू एनी पार्ट ऑफ नार्थ ईस्ट इट इज नाट सेम ज्याग्रफी नाउ..मैं आपको और थोड़े पहले की कहानी बताता हूं..थोड़े दिन पहले इंडियन आर्मी के जवानों ने नागालैंड में किसी स्थान पर फायरिंग की, कई लोग मारे गए. अगर पहले आर्मी की फायरिंग में, किसी भी कारण यदि कम्युनिटी के लोग मारे जाते तो कम से कम एक साल वह स्थान अशांत रहता था. ह्यूज प्रोसेशन थाउजेंड्स ऑफ पीपुल आन रोड..एनी थिंग..जो आर्मी के साथ झगड़ा है, इट वुड कम टू द इंडियन. धीरे-धीरे वही काम शुरू हो जाता था, मारवाड़ी लोगों के ऊपर, हिंदी भाषी लोगों के ऊपर.. पीपुल स्टार्टेड सीइंग रिफ्लेक्शन ऑफ आर्मी आन दोज पीपुल..दैड वाज अवर पेनफुल हिस्ट्री..पर अभी इतना बड़ा कांड हुआ, लोगों ने इंडियन आर्मी को ब्लेम नहीं किया. दे से एक्शन अगेंस्ट पर्टिकुलर पर्सन ऑफ इंडियन आर्मी.दिस इज रांग डन बाई दिस पीपुल, लेट कोर्ट मार्शल हैपंस अगेंस्ट दिस पीपुल.अभी भी जो मणिपुर का कॉन्फ्लिक्ट है, मैतेई पीपुल डिमांडिंग ट्राइबल स्टेटस, कुकी पीपुल से नो, वी नाट गिव. मैतेई पीपुल आर सेइंग वी नीड इक्वल लैंड राइट्स, अदर पीपुल आर आब्जेक्टिंग. मैतेई पीपुल आर सेइंग दैड नो यू केन नाट गिव शेल्टर टू द कुकीज फ्राम म्यांमार..कुकी सेइंग नो.. नो दे आर अवर ब्रदर.. दे आर कमिंग हियर दे आर रिफ्यूजी..मैतेई इज सेइंग डेमोग्राफी इज चेंजिंग.. कुकी इज सेइंग नो, इट इज सेम डेमोग्राफी, बी कॉज द इंडिया एंड म्यांमार न्यू क्रेशन..ज्याग्राफी फ्राम थाउसेंड्स ऑफ ईयर्स.. वेरी काम्पलेक्स, माइक्रोलेबल इशू. इट हैव कीप कमिंग बैक 1993 यू हैव सीन आलमोस्ट 2000 पीपुल गाट किल आउट आफ कॉन्फ्लिक्ट.. एंड 1993 टू 2023, इन लास्ट 20 ईयर्स, एक्सेप्ट दैट फ्यू ईयर्स.. पोस्ट 2016 देयर वाज नो परमानेंट पीस इन कम्युनिटी आफ मणिपुर. देयर आर लांग लीगल रीजन, कॉन्सटीट्यूशनल रीजन, एथेनिक रीजन, कल्चरल रीजन.. एंड यू केन नाट साल्व जस्ट लाइक दैट..
हाउ डू यू प्रपोज टू साल्व एज दी इमीडिएट हीलिंग टच?
आई थिंक सिचुएशन इज इम्प्रूव इन लास्ट टू मंथ्स. देयर आर नो मेजर इंसिडेंट हैपनिंग.. द वायरल वीडियो हैज शॉक्ड द कॉन्शियस नेशन बट दैड वीडियो वाज लिटिल बिट प्री डेटेड..इट हैपन 45 डेज बैक. बट एज ऑफ नाउ मणिपुर सिचुएशन इज इम्प्रूव. वन सिचुएशन इज इम्प्रूव लॉ एंड आर्डर पाइंट ऑफ व्यू. वी नीड टू स्टार्ट आफीशियल डिस्कशन विथ द कम्युनिटीज.. टुडे एव्रीबडी टॉकिंग टू गवर्नमेंट ऑफ इंडिया. बट दे आर नाट टाकिंग टू ईच अदर. सो वी नीड टू गो टू द नेक्स्ट स्टेप. बट सम पीपुल ऑफ डेल्ही सेइंग, वन विजिट ऑफ वन पर्सन विल रिजाल्व, वन स्टेटमेंट वाज रिजाल्व.. इट इज नाट इजी थिंग..
वैसे तो आप असम के मुख्यमंत्री हैं, लेकिन हम लोग कैसे देखते हैं कि जो पूरी 25 सीट हैं, तो आप उसके डिफेक्टो लीडर या इंचार्ज हैं और आपको वो डिलीवर करना है. आप इस बारे में स्टेटमेंट भी दे रहे हैं. मेरा आपसे क्वेश्चन यह है कि असम की यदि हम बात करें तो जो पॉलिटिक्स साइड में आपने जो इशू पिक किए हैं, या उसको जैसे फ्रेम किया है, मैटनरल हो या इनफेंट मोर्टलिटी हो, इम्पार्टेंट इशूज हैं..लेकिन एक दूसरा क्रिटक यह है कि बहुत इंटरेस्टिंग ढंग से, सिग्नीफिकेंट ढंग से आइडियोलॉजिकल तरीके से इसको आप डायवर्सिफिकेशन भी कह सकते हैं. आप इस कमेंट्री पर कैसे रिएक्ट करते हैं?
देखिए लोगों का परसेप्शन बनता है, कुछ-कुछ बात बोलने के कारण. पर मेरा जो टेस्ट है, वह है हाउ आई एम गवर्निंग असम..आज अगर आप असम में जाते हो.. असम इज द स्टेट वेयर हिंदू एंड मुस्लिम्स लिविंग पीसफुली..ड्युरिंग द कांग्रेस रिजीम, आई वाज आल सो मिनिस्टर बी कॉज ऑफ द रांग पॉलिसी.. कम से कम एवरी फाइव इयर्स आर फोर इयर्स देयर वाज ए कम्युनल कॉन्फ्लिक्ट. फ्राम 2014 असम इज कम्पलीटली पीसफुल. एक एक करके जनजातीय विद्रोही संगठन मेन स्ट्रीम में आ रहे हैं. हिंदू एंड मुस्लिम लिविंग पीसफुली. आप जानकर आश्चर्य करेंगे जब मैं दिल्ली में बोलता हूं, मदरसा बंद कीजिए, मुसलमान बेटा-बेटी को डॉक्टर बनना है. आज असम में आउट आफ 1200 मेडिकल सीट, 380 मेडिकल सीट गोज टू द मुस्लिम ब्वायज एंड गर्ल्स. जो मैं बोल रहा हूं बाहर, लोग कहते हैं कि इट इज ए कम्युनल स्टेटमेंट, बट इन असम द ट्रांसफार्मेशन हैज हैपनिंग. सारी मुस्लिम बेटियों को आप स्कूल में देखेंगे.
हम लोग तो पॉलिटिक्स और इलेक्शन देखते हैं. आपकी बात को अगर मैं यूं इंटरप्रेट करूं, कि आप यह कह रहे हैं कि असम से बीजेपी का मुसलमानों का वोट शेयर सबसे ज्यादा डिलीवर करेंगे?
अभी वोट नहीं सही, मेरा एक प्रोनाउंस स्टैंड है कि अभी मुसलमान लोगों का, खासकर के जो बंगाली मुसलमान लोगों का वोट है, अभी हमें नहीं सही.. सारा जो प्राब्लम हुआ, वोट के लिए हुआ. कांग्रेस को वोट चाहिए था, इसलिए कांग्रेस ने क्या किया.. उन्होंने रोड नहीं बनाया, इलेक्ट्रीसिटी लेकर नहीं गए, स्कूल नहीं बनाए, कालेज नहीं बनाए, कोई घर नहीं दिया.. आई हैव टेकन ए प्रिंसिपल स्टैंड, कि देखो मुझको वोट नहीं सही, मुझको अभी नेक्सट 10 इयर्स आपके इलाके में डेवलपमेंट करना है. आपके इलाके में चाइल्ड मैरिज को खत्म करना है. आपके इलाके में मुझको यह इनश्योर करना है कि लोग मदरसा न जाएं, लोग मेडिकल कालेज जाएं. लोगों को मुझको यह इनश्योर करना है कि हर मुसलमान गर्ल गोज टू द स्कूल एंड कंटीन्यू अप टू ग्रेजुएशन लेवल..मुझको 10-15 साल यह काम करना है. फिर जाकर मैं वोट मांगूंगा.अभी वोट की जरूरत नहीं है. वोट मांगने से लेना-देना जैसा हो जाएगा. मैं इसको अभी ट्रांजेक्शनल नहीं बनाना चाहता हूं.2016 इलेक्शन में, 2020 इलेक्शन में मैंने स्टैंड लिया कि आपके इलाके में मैं कैंपेन के लिए नहीं जाऊंगा. आज से मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट शुरू हो गया, आज से मैं आपके यहां नहीं आऊंगा. फिर चुनाव जीतने के बाद आऊंगा. इस बार भी लोकसभा चुनाव के पहले मैं यही बोल रहा हूं कि आपको जिसको भी वोट देना है, ज्यादा टेंशन नहीं लेना..बीजेपी आपके यहां कैंपेन के लिए भी नहीं जाएगी, लेकिन आप मुझे काम करने का मौका दो.
लेकिन अभी जब आप इमोशनल कनेक्शन की बात कर रहे थे नेशनल संदर्भ में, तो वो इमोशनल कनेक्शन, वोट लें न लें, बनाना चाहिए और फिर भी आपको जाना चाहिए कैंपेन के लिए.
देखिए, कैंपेन में नहीं जाना चाहिए, बाकी समय जाईए. खाली 21 दिन ही मत जाईए न. वह समय कांग्रेस को दे दीजिए. इट इज लेट देम रियलाइज, कांग्रेस और मेरा संबंध वोट का है. और बीजेपी और मेरा संबंध वोट से ऊपर है. तो मैं उसी ढंग से, वेरी पॉजिटिव वे.. मैं कर रहा हूं. मैं हर महीने किसी न किसी मुस्लिम जिले में जाता हूं. किसी मुस्लिम इलाके में जाता हूं, सबसे मिलता हूं. अभी 15 दिन पहले उन्हीं के इलाके में एक बहुत बड़े ब्रिज का उद्घाटन था, वहां भी मैं गया. हर जगह जाता हूं लेकिन मैं पॉलिटिक्स और वोट की बात नहीं करता.
इंटरेस्टिंग है आपका काम करने का तरीका. मैंने कोशिश की और अच्छी बातें हुईं और आपने बहुत डिटेल में बताया कि हम लोग कुछ खास तरह की पॉलिटिक्स की बात नहीं करेंगे क्योंकि आपने ज्यादातर इंटरव्यू एंकर लोग ही डॉमिनेट करवा देते हैं, खास आदमी और खास पार्टी के बारे में बात करने के लिए. लेकिन मैंने एक अजीब सा स्टेटमेंट देखा जिसकी मैं चर्चा करना चाहता हूं, कल ही हुआ ये. आपके पुराने दोस्त जयराम रमेश ने दो लोगों को पापी कहा. एक हितेश्वर सैकिया को और एक गोगोई साहब को. मुझे लगता है इस पर आपके कुछ कमेंट्स जरूर होंगे.
देखिए, एक बात है जब मैं कांग्रेस में रहा, जयराम रमेश नेवर काइंड टू मी, आई वाज आल सो नाट काइंड टू हिम. मैं उनके घर में कभी नहीं गया. जब वे असम में जाते थे तो मैंने उनको कभी रिसीव नहीं किया. आई वाज स्माल पॉलिटिकल वर्कर. पहले दिन से उनसे मेरा वाइव्ज अच्छा नहीं रहा.
क्या प्राब्लम है आपको जयराम रमेश से?
प्राब्लम यही है कि इटोपियान है. आप ही खुद राज्यसभा में आते हैं, आप ही पापुलर लीडर को गाली देते हैं. आप सोचिए अगर जयराम रमेश जी मेरे ऊपर टिप्पणी करते हैं, और मेरे जैसे लोगों को आप बोलते हैं कि देखो ही इज दैट, ही इज दिस..विल पीपुल ऑफ असम एप्रिसिएट हिम? हाउ दे आर डिस्कनेक्टेड.
उन्होंने कहा सिन, पाप किया कि आपको मौका दिया.
उन्होंने मुझको मौका नहीं दिया. गोगोई साहब जब जिंदा थे, मैंने उनको प्रूफ करके दिखाया कि मैं आपकी सिंपेथी के लिए यहां नहीं हूं मेरी अपनी जमीन है. हितेश्वर सैकिया जी मुझको कांग्रेस में नहीं लाए, मैंने पूरे असम की स्टूडेंट्स कम्युनिटी को, उनके रिक्वेस्ट पर कांग्रेस के साथ जुड़वाया. उसके लिए आई बीकम टारगेट ऑफ अल्फा. एंड आई सेव माई लाइफ, और डेस्टिनी हेव सेव माई लाइफ इन एट लीस्ट थ्री क्लोज एनकाउंटर. हितेश्वर सैकिया जी से मैं मिला था. दैट टाइम आई वाज थ्री टाइम जनरल सेक्रेटरी ऑफ असम बिगेस्ट एजुकेशनल इंस्टीट्यूट. मैंने पहले दिन से ही कांग्रेस को बोला, आपने मुझको कुछ नहीं दिया, मैंने आपको बहुत दिया. मैं इस बात को कभी नहीं मानता हूं कि गांधी फैमिली हमें कुछ देती है. मैं हमेशा मानता हूं कि हमारे खून से गांधी फैमिली बनी है. लोग जब बोलते हैं न कि इसको राहुल जी ने इतना दे दिया.. राजीव जी ने इतना दे दिया..मैं नहीं मानता. मैं मानता हूं, इट वाज ए स्ट्रीट सोल्जर ऑफ कांग्रेस पार्टी. वे खून देते हैं, और आप दिल्ली में बैठकर राज करते हैं. इट इज रादर रिवर्स रिलेशन. तो यह जयराम रमेश जैसे लोग.. वे लोग दरबारी हैं. दरबारी लोग हकीकत नहीं जानते हैं कि पॉलिटिक्स क्या है.
आपने कहा राज्यसभा, आपने कहा दरबारी, आप यह कह रहे हैं कि राज्यसभा और दरबारी टाइप के लोग अपनी पॉलिटिकल लीडरशिप को मिसलीड भी कर सकते हैं.
पूरा, इसीलिए हमारे प्रधानमंत्री हमेशा बोलते हैं कि एक्सेप्ट इंटलेक्चुअल पीपुल जयशंकर जी हों, निर्मला सीतारमण हों.. डॉ मनमोहन सिंह..एक्सेप्ट द फ्यू पीपुल हू बी कॉज ऑफ डामेन नॉलेज, लोकसभा नहीं लड़ सकते, उनकी देश को अलग से जरूरत है, बी कॉज ऑफ देयर एक्सपीरिएंस, नॉलेज.. जिसको हम लोग पॉलिटिक्स में बुलाते हैं कि आप लोग आईए..एंड दे कम टू पॉलिटिक्स सेक्रीफाइजिंग देयर पर्सनल बूमिंग कैरियर, टुडे आई केन से दैट जयशंकर, निर्मला सीतारमण जी.. यह एक क्लास है, बाकी जो दरबारी लोग हैं, दरबारी लोगों को हमेशा लोकसभा लड़ना चाहिए. अपने आप को प्रूफ करना चाहिए. किसी रीजन में आप चुनाव हार गए तो आपको राज्यसभा मिलेगी, पार्टी अगर चाहे. लेकिन पीपुल लाइक जयराम रमेश, कभी चुनाव ही नहीं लड़ा. आप मेरे ऊपर कमेंट करते हो, मैंने 27 साल से चुनाव लड़ा. और अभी जब मैं जीता प्रोबेबली आई गॉट 90 परसेंट ऑफ वोट. कैन इट बी बी कॉज ऑफ समबडी इज लॉफ फार मी. बी कॉज समबडी पेट्रोनाइज मी. ये लोग जो बोलते हैं, कि इसने बनाया, उसने बनाया..एक बार भी नहीं बनाया, लोगों ने बनाया. दैट इज फ्रूडल एप्रोच टू लाइफ..हितेश्वकर सैकिया ने बनाया, तरुण गोगोई ने बनाया..तरुण गोगोई को हम लोगों ने चीफ मिनिस्टर बनाया. एज एमएलए वी वोट फार हिम..दैट्स द कॉन्स्टीट्यूशनल नॉर्म्स.
अब आखिरी एक सवाल मैं पर्सनल नोट पर पूछना चाहता हूं आपसे. आपसे मेरा एक क्रिब है, आपने एक बात कही है, कई बार कही है, कि पर्सनल लाइफ हो, घर हो, दफ्तर हो, बाहर हो.. पर सोना एक ही होना चाहिए, दो नहीं होना चाहिए. जब मैं पहली बार आपसे मुंबई में मिला तो तरुण गोगोई बीमार थे, और आप हफ्तों-महीनों उनकी सेवा में वहीं कैंप करते रहे. आपको ज्यादातर लोग एक विनम्र, सौम्य रूप में जानते हैं..लेकिन आजकल जो नए लोग आपको इंट्रोड्यूज हो रहे हैं वे आपको बहुत एग्रेसिव, बहुत ही रफ-टफ व्यक्ति के रूप में जानते हैं.
पॉलिटिक्स में आप अपने व्यूज रखने के लिए यू हैव टू बी एग्रेसिव, बट पर्सनल लाइफ में आप एग्रेसिव नहीं हो सकते. बी कॉज यू आर नाट किंग, यू आर वन अमंग द पीपुल. जब आपने गोगोई जी का नाम लिया.. आपको जब मैं मुंबई में मिला था, उनकी सर्जरी हुई थी हार्ट की, आई थिंक हम लोग तीन दिन तक सोये भी नहीं थे. हम लोग उधर ही पड़े रहे, हास्पिटल के बाहर. बी कॉज दैट काइंड ऑफ पर्सनल रिलेशन. जब वह सीएम नहीं थे एंड आई बीकम द चीफ मिनिस्टर.. एंड दैट पाइंट आफ टाइम आई वाज हैल्थ मिनिस्टर..गोगोई जी को कोविड हुआ. गोगोई जी को मेडिकल कालेज में दाखिल किया. कोविड के समय लोगों को मास्क लगाना होता था, कोविड पेशेंट के पास तो जाना ही संभव नहीं था. उस समय गोगोई जी कोविड वार्ड में बिस्तर पर थे और मैं कोविड वार्ड के अंदर था. सर्जरी उससे पहले हुई थी 2011 में. पर अभी 2020 में जब गोगोई जी बीमार हुए, कोविड हुआ और मैं उनके बेड के पास था. एंड आई मीट टू हिम एवरी अल्टरनेट डे. मैं आता था काम से, तुरंत मैं डॉक्टर वाली ड्रेस पहन लेता था..आई यूज टू गो टू हिज रूम. दैट टाइम आई वाज इन बीजेपी एंड ही वाज इन कांग्रेस..वे मुझको सलाह देते थे कि हिमंता ऐसा कर लो, एनसीसी लोगों को बुला लो, मास्क नहीं पहनता तो तुम लोग फाइन मत करो..एनसीसी से फाइन करवा दो. सो लाइक दैट काइंड ऑफ डिस्कशन यूज टू हैव इनसाइड कोविड वार्ड. असम के किसी पॉलिटीशियन से मेरा झगड़ा नहीं है. अपोजीशन, रूलिंग सबके घर में मैं जाता हूं. सब मेरे घर में आते हैं. वी हैव क्रिएटेड वेरी-वेरी फेवरेबल पॉलिकल क्लाइमेट इन असम. आप असम में ही देखिएगा कोई भी सरकार आती है, रूलिंग, अपोजीशन.. वी लिव लाइक ए फैमिली.
सुपर लास्ट क्वेश्चन, आपने कहा है कि बहुत सारे कांग्रेसी बीजेपी ज्वाइन करना चाहते हैं, तो आपने जरूर एक लिस्ट बनाई होगी..उसमें गौरव का नाम है ऊपर में?
मुझे लगता है कि गौरव गोगोई बीजेपी में सरवाइव नहीं कर पाएगा. मेरा मानना है, इफ आई प्रूव रांग, आई विल बी हैप्पी..कांग्रेस का जो फ्यूडल लार्डस है, या लार्डस था..उनका जो कल्चर है, दे हैव सीन ए कल्चर देयर होम विच इज एलियन टू कल्चर ऑफ बीजेपी. तो इसीलिए यहां आकर ज्वाइन करके अपने आप में बड़ा ट्रांसफार्मेशन करना पड़ेगा. मुझे प्राब्लम नहीं हुई, बी कॉज माई फादर वाज नाट ए पॉलिटीशियन..यह जो ट्रांसफार्मेशन है, कम ही लोग कर पाते हैं. यह भी नहीं है कि कोई भी नहीं कर सकता. पीपुल लाइक गौरव गोगोई व्हेन दे हैव टू कम टू बीजेपी, दे हैव टू कम बिग कल्चरल ट्रांसफार्मेशन. उसको तो मैं बचपन से जानता हूं, सो आई विल फील दैट इट विल डिफीकल्ट फार हिम.इट विल नाट बी वेरी ईजी. घर के कई सारे लोग एनजीओ में इनवॉल्व हैं.. तो यह बहुत ईजी नहीं होगा.
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