आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी दलों में एकता के सवाल पर राष्ट्रवादी कांग्रेस (NCP) के प्रमुख शरद पवार का कहना है कि विपक्षी एकता विद स्पेसिफ़िक प्रोग्राम, स्पेसिफिक डायरेक्शन होगी तो कामयाब होगी. यदि प्रोग्राम और डायरेक्शन स्पेसिफ़िक नहीं होगा तो विपक्षी एकता देश के लिए लाभदायक नहीं होगी. शरद पवार ने NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया से खास बातचीत में यह बात कही.
शरद पवार ने कहा कि, ''विपक्षी पार्टियों में एकता की जरूरत है, मगर इश्यूज़ के बारे में क्लियरिटी होनी चाहिए. आज क्या हो रहा है? देश का जो विपक्ष है, उसमें अलग-अलग इश्यूज़ हैं. हमारे जैसे लोग विपक्ष में एकता चाहते हैं, मगर हमारा जोर विकास पर है. विपक्षी एकता में हमारे दूसरे भी साथी हैं, वे भी चाहते हैं कि विपक्ष में एकता हो, मगर उनके मन में एक लेफ़्टिस्ट थिंकिंग कई सालों से रही है. वे इससे दूर जाने के लिए तैयार नहीं हैं. विपक्षी एकता विद स्पेसिफ़िक प्रोग्राम, स्पेसिफ़िक डायरेक्शन होगी तो कामयाब होगी. यदि प्रोग्राम और डायरेक्शन स्पेसिफ़िक नहीं होगा तो विपक्षी एकता देश के लिए लाभदायक नहीं होगी.''
सवाल - मसला चुनाव के मैदान में वन ऑन वन कॉन्टेस्ट नहीं होता है और दूसरी बात बीजेपी की चुनौती क्षेत्रीय दल हैं, आप लोग हैं, कांग्रेस नहीं है, अभी के हल्ले-गुल्ले से सभी को भ्रम हो जाएगा कि वह डोमिनेंट पार्टी है, और वही सबसे रोड़ा बनेगी, इस यूनिटी को डिसरप्ट करने में? पर शरद पवार ने जवाब दिया, ''नहीं ये बात सच है कि पुरानी कांग्रेस और आज की कांग्रेस पार्टी में फर्क है, मगर साथ-साथ कांग्रेस को नज़रअंदाज नहीं कर सकते. देश के कई राज्यों में आज भी कांग्रेस है.''
उन्होंने कहा कि, ''हमारे कुछ साथी ऐसी बात करते हैं कि नॉन कांग्रेसी लोगों को एक करना चाहिए. मुझे लगता है, इससे ज़्यादा ज़रूरी है कि विपक्षी एकता क्यों हो, क्या प्रोग्राम होगा, किस रास्ते से जाना है? इसमें क्लियरिटी हो, तो रास्ता निकल सकता है. देश के फायदे की बात हो सकती है, मगर अभी तक हम वहां नहीं पहुंचे. यह बात हमें स्वीकार करनी चाहिए.''
देश में आने वाले समय में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर पूछे गए सवाल पर शरद पवार ने कहा कि, ''मेरा असेसमेंट यह है कि दो किस्म के इलेक्शन हैं, एक नेशनल चुनाव सेंट्रल गर्वमेंट के लिए, एक राज्यों के लिए. मेरा पर्सनल असेसमेंट अलग है, आप शायद स्वीकार नहीं करेंगे. राज्यों के इलेक्शन अलग हैं. कर्नाटक में चुनाव है, मेरा पक्का असेसमेंट है कि वहां कांग्रेस आएगी. मध्य प्रदेश में सरकार थी कांग्रेस की, कमलनाथ सीएम थे. बीजेपी ने वहां विधायकों को तोड़कर सरकार बनाई. वहां चुनाव होगा तो स्थिति बदल सकती है.''
उन्होंने कहा कि, ''आप देखेंगे कि राज्यों के चुनाव में नॉन बीजेपी सपोर्ट आ सकता है. पूरे देश में जब नेशनल चुनाव आएंगे तो हम सब लोग मिलकर कुछ करेंगे. जब तक हम मिलकर कुछ नहीं करेंगे बीजेपी को नजरअंदाज करना इतना आसान नहीं होगा.''
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