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This Article is From Apr 21, 2024

जेल में बंद केजरीवाल और हेमंत सोरेन, INDIA गठबंधन की रैली में मंच पर खाली रखी गईं कुर्सियां

Opposition Rally in Ranchi : प्रभात तारा मैदान में आयोजित रैली में कुल 28 राजनीतिक दलों ने हिस्सा लिया. 'उलुगुलान' शब्द का अर्थ क्रांति है. आदिवासियों के अधिकारों के लिए अंग्रेजों के खिलाफ बिरसा मुंडा की लड़ाई के दौरान यह शब्द इस्तेमाल किया गया था.

जेल में बंद केजरीवाल और हेमंत सोरेन, INDIA गठबंधन की रैली में मंच पर खाली रखी गईं कुर्सियां
Lok Sabha Elections 2024 : 'उलगुलान न्याय महारैली' मुख्य रूप से झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) द्वारा आयोजित की गई थी.
रांची:

इंडिया गठबंधन ने रविवार को रांची में एक मेगा रैली का आयोजन किया. 'उलगुलान न्याय महारैली' मुख्य रूप से झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) द्वारा आयोजित की गई थी और बड़ी संख्या में इसके कार्यकर्ताओं ने हेमंत सोरेन के मुखौटे पहने हुए थे. जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए एक-एक कुर्सी मंच पर खाली रखी गई थी.

हेमंत सोरेन को 31 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित भूमि धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था. उसी केंद्रीय एजेंसी ने 21 मार्च को कथित दिल्ली शराब नीति घोटाले में केजरीवाल को भी गिरफ्तार किया था.

झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष की पत्नी कल्पना सोरेन और आम आदमी पार्टी सुप्रीमो की पत्नी सुनीता केजरीवाल मंच पर मौजूद थीं. अपने-अपने जीवनसाथी की गिरफ्तारी के बाद दोनों बड़ी राजनीतिक भूमिका के लिए तैयार दिख रही हैं.

भीड़ ने रैली में "जेल का ताला टूटेगा, हेमंत सोरेन छूटेगा" और "झारखंड झुकेगा नहीं" जैसे नारे लगाए. झारखंड की राजधानी का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास होने के बावजूद चिलचिलाती गर्मी का सामना करते हुए कार्यकर्ता 'उलगुलान न्याय महारैली' के लिए एकत्र हुए.

कल्पना और सुनीता के अलावा, जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन, नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, राजद नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और अन्य ने रैली में शक्ति प्रदर्शन किया. 

प्रभात तारा मैदान में आयोजित रैली में कुल 28 राजनीतिक दलों ने हिस्सा लिया. 'उलुगुलान' शब्द का अर्थ क्रांति है. आदिवासियों के अधिकारों के लिए अंग्रेजों के खिलाफ बिरसा मुंडा की लड़ाई के दौरान यह शब्द इस्तेमाल किया गया था.

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