असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने आज कहा कि इस साल बिजली की मांग में भारी वृद्धि के कारण राज्य की अपने स्रोतों से बिजली उत्पादन क्षमता करीब समाप्त हो गई है. उन्होंने कहा कि सरकार अतिरिक्त बिजली की जरूरत पूरी करने के विकल्पों पर विचार कर रही है और स्थिति में सुधार हुआ है.
राज्य विधानसभा के शरदकालीन सत्र के पहले दिन बिजली परिदृश्य पर स्थगन प्रस्ताव का जवाब देते हुए सरमा ने कहा कि, राज्य में पीक आवर्स के दौरान बिजली की मांग में अचानक वृद्धि देखी गई है.
उन्होंने कहा, "2018-19 में पीक आवर्स की मांग लगभग 1,600 मेगावाट थी, अगले दो वर्षों में यह 1,800 मेगावाट थी और 2022-23 में 1,970 मेगावाट तक पहुंच गई."
उन्होंने कहा कि, "यह पहली बार है जब मांग 2,500 मेगावाट तक पहुंच गई है. मुझे भी नहीं पता कि क्या हुआ, यह अभूतपूर्व है." राज्य को उम्मीद है कि अगले साल पीक आवर्स में मांग 3,000 मेगावाट और 2026 में उनकी सरकार का कार्यकाल समाप्त होने तक 4,000 मेगावाट तक पहुंच जाएगी.
इस मुद्दे को लेकर विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला. स्थगन प्रस्ताव पेश करते हुए कांग्रेस विधायक भरत चंद्र नारा ने कहा कि सरकार को मांग पूरी करने के लिए खुले स्रोत से बिजली खरीदनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि, सरकार के पास विभिन्न योजनाओं के लिए पैसा है, जिसमें पौधरोपण अभियान के लिए करोड़ों रुपये भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि कुछ पैसे का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए कर सकते हैं कि लोगों को ऐसी गर्मी की स्थिति में बिजली मिले.
निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई ने कहा, "असम में पीक आवर्स में उत्पादन 250 मेगावाट है और हमारी अधिकतम मांग 2,500 मेगावाट है, इसलिए स्थगन प्रस्ताव में हमने सरकार पर अपना बिजली उत्पादन बढ़ाने के लिए दबाव डाला."
सरकार अचानक वृद्धि के कारणों का विश्लेषण कर रही
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार अचानक वृद्धि के कारणों का विश्लेषण कर रही है. उन्होंने कहा कि, "इसमें व्यावसायिक गतिविधियों में वृद्धि के साथ-साथ लोगों की समृद्धि ने योगदान दिया है." उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे अधिक उद्योग राज्य में कारखाने खोलने की तैयारी कर रहे हैं, मांग और बढ़ेगी. सरकार इसे पूरा करने की तैयारी कर रही है.
विपक्षी कांग्रेस ने भी बीजेपी पर हमला बोला. राज्य कांग्रेस के प्रमुख भूपेन बोरा ने कहा, "2014 में भाजपा ने 24 घंटे बिजली का वादा किया था. अब असम में 24 घंटे में 24 बार बिजली कटौती होती है. अगर आपके पास बिजली खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं, तो आप स्मार्ट मीटर पर 4,000 करोड़ से अधिक क्यों खर्च कर रहे हैं."
हालांकि मुख्यमंत्री ने स्थगन प्रस्ताव में इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण दिया. उन्होंने कहा, "जब तक हम मार्घेरिटा में कोयला आधारित संयंत्र नहीं लगाते, हमारे पास अपने आप में बिजली उत्पादन की कोई क्षमता नहीं है. लेकिन यह पर्यावरणीय मुद्दों में उलझा हुआ है और हमें अपनी जैव विविधता की रक्षा पर भी ध्यान देना होगा."
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