आज़ादी के बाद तीसरी बार बुधवार को लोकसभा स्पीकर पद के लिए चुनाव होगा. इससे पहले सत्ताधारी गठबंधन एनडीए और इंडिया ब्लॉक से जुड़े विपक्षी दलों के बीच सोमवार और मंगलवार को तीन दौर की बातचीत के बाद भी स्पीकर पद के उम्मीदवार के नाम पर आम सहमति नहीं बन सकी. 18वीं लोकसभा का कार्यकाल शुरू होने के तीसरे ही दिन होने वाला स्पीकर का चुनाव एक तरह का शक्ति प्रदर्शन होगा. इससे पहले सिर्फ 1952 और 1976 में स्पीकर पद के लिए चुनाव हुआ था.
आठ बार लोकसभा के सांसद रहे कांग्रेस नेता के. सुरेश विपक्ष के उम्मीदवार होंगे. एनडीटीवी से बातचीत में के.सुरेश ने कहा, "मेरी पार्टी ने फैसला किया है कि मुझे चुनाव लड़ना चाहिए, क्योंकि सरकार उपसभापति का पद विपक्ष को देने पर सहमत नहीं है."
सोलहवीं लोकसभा (2014-2019) में स्पीकर और डिप्टी स्पीकर दोनों सत्ताधारी दल से थे. सत्रहवीं लोकसभा (2019-2024) में बीजेपी सांसद ओम बिड़ला पहली बार स्पीकर बने, जबकि डिप्टी स्पीकर का पद पांच साल तक खाली रहा.
ओम बिड़ला एक छात्र नेता के रूप में अपने राजनीतिक जीवन के शुरुआती दिनों से ही भाजपा से जुड़े रहे हैं. वो राजस्थान के कोटा संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं और हाल ही में लगातार तीसरी बार चुने गए.
के. सुरेश को विपक्ष का उम्मीदवार बनाना कांग्रेस का एकतरफा फैसला- टीएमसी
उधर तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस सांसद के. सुरेश को विपक्ष का उम्मीदवार बनाने के फैसले को कांग्रेस लीडरशिप का एकतरफा फैसला बताया है. टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने पत्रकारों से कहा कि लोकसभा अध्यक्ष चुनाव के लिए विपक्षी उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस के के. सुरेश को नामित करने और समर्थन करने का निर्णय एक 'एकतरफा निर्णय' था. उन्होंने कहा, "इस बारे में हमसे संपर्क नहीं किया गया, न कोई चर्चा हुई."
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