प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने देश में बच्चों के लिए ‘समान शिक्षा’ की पैरवी करते हुए इस विषय को समान नागरिक संहिता में शामिल करने की मांग की है और इस संदर्भ में उसने विधि आयोग के पास अपनी सिफारिश भी भेजी है. आयोग ने यह भी कहा कि धार्मिक शिक्षा सभी का संवैधानिक अधिकार है तो उसी तरह बुनियादी तालीम भी बच्चों का संवैधानिक अधिकार है और बच्चों को इससे उपेक्षित रखना न सिर्फ उनके मौलिक अधिकार का हनन है, बल्कि उनके संवैधानिक अधिकार का भी हनन है.
एनसीपीसीआर के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने ‘भाषा’ से कहा, ‘‘विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता को लेकर राय मांगी थी. ऐसे में हमने सोचा कि समान नागरिक संहिता में बच्चों की शिक्षा के विषय को भी शामिल कराया जाना चाहिए. इसी वजह से हमने विधि आयोग के पास अपनी ओर से एक पत्र भेजा है. हमने यह भी कहा है कि आगे इस विषय पर अगर किसी मदद की जरूरत होगी तो आयोग इसके लिए तैयार है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘देश में सभी बच्चों के लिए समान शिक्षा होनी चाहिए. बुनियादी तालीम हासिल करना सभी बच्चों का मौलिक और संवैधानिक अधिकार है. इस दौर में बच्चों को बुनियादी तालीम से उपेक्षित नहीं रखा जा सकता.’’ यह पूछे जाने पर कि आयोग की इस मांग से अल्पसंख्यक संस्थानों के संदर्भ में विवाद खड़ा हो सकता है, तो उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप संवेदनशील विषय पर बात नहीं करेंगे तो फिर कैसे काम चलेगा. मदरसों और वैदिक पाठशालाओं में जा रहे बच्चों को कई राज्यों में स्कूल से बाहर माना जा रहा है. आठ करोड़ बच्चों को स्कूल से बाहर बताया गया है. हमारा मानना है कि इनमें वे भी बच्चे शामिल हैं जो मदरसों और वैदिक पाठशालाओं में जाते हैं. इसलिए हम चाहते हैं कि सभी बच्चों को बुनियादी तालीम मिले.’’
प्रियंक कानूनगो ने कहा, ‘‘हम धार्मिक शिक्षा के खिलाफ नहीं हैं. धार्मिक शिक्षा सभी को मिलनी चाहिए. परंतु बच्चों को बुनियादी तालीम से दूर नहीं रखा जा सकता है.’’ उन्होंने यह मानने से इंकार किया कि समान नागरिक संहिता में बच्चों की शिक्षा के विषय को शामिल करना शिक्षा के अधिकार कानून के उस प्रावधान के विपरीत होगा जिनमें अल्पसंख्यक संस्थानों को छूट मिली हुई है.
एनपीसीपीआर के सदस्य ने कहा, ‘‘शिक्षा के अधिकार कानून की धारा 2 में इसका प्रावधान किया गया है कि अल्पसंख्यक संस्थानों पर यह कानून लागू नहीं होगा. परंतु हम शिक्षा के अधिकार कानून की बात नहीं कर रहे हैं. हम समान शिक्षा की बात कर रहे हैं. हम चाहते हैं कि बच्चों को बुनियादी तालीम मिले क्योंकि यह उनका हक है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस विषय पर आगे विचार-विमर्श होना चाहिए. बिना सार्थक बहस के हम सकारात्मक दिशा में नहीं बढ़ सकते.’’
हाल ही में विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता सहित कुछ बिंदुओं पर लोगों की राय मांगते हुए एक प्रश्नावली जारी की थी. मुस्लिम संगठनों ने इसका विरोध किया जिसके बाद इसको लेकर विवाद खड़ा हो गया. मुस्लिम संगठनों का आरोप है कि सरकार पूरे देश को एक रंग में रंगना चाहती है, हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि समान नागरिक संहिता देश पर थोपी नहीं जाएगी.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
एनसीपीसीआर के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने ‘भाषा’ से कहा, ‘‘विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता को लेकर राय मांगी थी. ऐसे में हमने सोचा कि समान नागरिक संहिता में बच्चों की शिक्षा के विषय को भी शामिल कराया जाना चाहिए. इसी वजह से हमने विधि आयोग के पास अपनी ओर से एक पत्र भेजा है. हमने यह भी कहा है कि आगे इस विषय पर अगर किसी मदद की जरूरत होगी तो आयोग इसके लिए तैयार है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘देश में सभी बच्चों के लिए समान शिक्षा होनी चाहिए. बुनियादी तालीम हासिल करना सभी बच्चों का मौलिक और संवैधानिक अधिकार है. इस दौर में बच्चों को बुनियादी तालीम से उपेक्षित नहीं रखा जा सकता.’’ यह पूछे जाने पर कि आयोग की इस मांग से अल्पसंख्यक संस्थानों के संदर्भ में विवाद खड़ा हो सकता है, तो उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप संवेदनशील विषय पर बात नहीं करेंगे तो फिर कैसे काम चलेगा. मदरसों और वैदिक पाठशालाओं में जा रहे बच्चों को कई राज्यों में स्कूल से बाहर माना जा रहा है. आठ करोड़ बच्चों को स्कूल से बाहर बताया गया है. हमारा मानना है कि इनमें वे भी बच्चे शामिल हैं जो मदरसों और वैदिक पाठशालाओं में जाते हैं. इसलिए हम चाहते हैं कि सभी बच्चों को बुनियादी तालीम मिले.’’
प्रियंक कानूनगो ने कहा, ‘‘हम धार्मिक शिक्षा के खिलाफ नहीं हैं. धार्मिक शिक्षा सभी को मिलनी चाहिए. परंतु बच्चों को बुनियादी तालीम से दूर नहीं रखा जा सकता है.’’ उन्होंने यह मानने से इंकार किया कि समान नागरिक संहिता में बच्चों की शिक्षा के विषय को शामिल करना शिक्षा के अधिकार कानून के उस प्रावधान के विपरीत होगा जिनमें अल्पसंख्यक संस्थानों को छूट मिली हुई है.
एनपीसीपीआर के सदस्य ने कहा, ‘‘शिक्षा के अधिकार कानून की धारा 2 में इसका प्रावधान किया गया है कि अल्पसंख्यक संस्थानों पर यह कानून लागू नहीं होगा. परंतु हम शिक्षा के अधिकार कानून की बात नहीं कर रहे हैं. हम समान शिक्षा की बात कर रहे हैं. हम चाहते हैं कि बच्चों को बुनियादी तालीम मिले क्योंकि यह उनका हक है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस विषय पर आगे विचार-विमर्श होना चाहिए. बिना सार्थक बहस के हम सकारात्मक दिशा में नहीं बढ़ सकते.’’
हाल ही में विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता सहित कुछ बिंदुओं पर लोगों की राय मांगते हुए एक प्रश्नावली जारी की थी. मुस्लिम संगठनों ने इसका विरोध किया जिसके बाद इसको लेकर विवाद खड़ा हो गया. मुस्लिम संगठनों का आरोप है कि सरकार पूरे देश को एक रंग में रंगना चाहती है, हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि समान नागरिक संहिता देश पर थोपी नहीं जाएगी.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, समान शिक्षा, समान नागरिक संहिता, विधि आयोग, NCPCR, Equal Education, Law Commission, Right To Education, Comman Civil Code