बेंगलुरु इन दिनों पानी के भीषण संकट (Bengaluru Water Crisis) से जूझ रहा है. जल संकट की वजह से यहां के लोगों का जीवन मुश्किल में पड़ गया है. बेंगलुरु के लोग पानी की एक-एक बूंद के लिए संघर्ष कर रहे हैं. पानी की किल्लत से निजात पाने के लिए लोग रीसाइक्लिंग के तरीकों को भी अपना रहे हैं. NDTV की टीम ने सूखे से जूझ रहे कुछ इलाकों का दौरा किया और वहां के लोगों के बात की कि उनके जीवन में कैसे बदलाव आया है. उपनगरीय बाबूसपाल्या के रहने वाले लोग हर दिन पानी की आपूर्ति के लिए पानी के टैंकरों पर निर्भर हैं और पिछले कुछ महीनों में इसका उनके जीवन पर गंभीर असर पड़ा है.
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"जरूरत के मुताबिक नहीं मिल रहे पानी के टैंकर"
बाबूसपाल्या के रहने वाले एक शख्स मे कहा, "हमें रोजाना पानी के चार टैंकरों की जरूरत है. हमें केवल एक या दो ही टैंकर मिल रहे हैं. हम पिछले दो-तीन महीनों से भारी समस्याओं से जूझ रहे हैं." जब उनसे यह पूछा गया कि क्या टैंकर के पानी की कीमतें तय करने के शहर प्रशासन के आदेश से मदद मिली है, इस पर एक शख्स ने कहा, "दरें स्थिर हो गई हैं, लेकिन समस्या बड़ी बनी हुई है. ज्यादा डिमांड की वजह से हमें समय पर टैंकर नहीं मिल रहे हैं."
इलाके के एक अपार्टमेंट में रहने वाली एक महिला काम पर जा रही थी. जब एनडीटीवी ने उनसे पानी के भारी संकट के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, "हमारा एक बच्चा है, यह बहुत मुश्किल है. टैंकर नहीं आ रहे हैं. सरकार ने कीमतें कम कर दी हैं, लेकिन टैंकर नहीं आ रहे हैं. अगर आते भी हैं तो पर्याप्त पानी नहीं आता. मुझे नहीं पता कि इसका समाधान कब होगा और हम सामान्य जीवन में कब वापस आएंगे."
"सरकारों के रवैये की वजह से पैदा हुआ जल संकट"
जब उनसे पूछा गया कि क्या मानसून आने के बाद पानी की किल्लत से निजात मिलने की उम्मीद है, तो इस पर एक निवासी ने कहा," सरकारों द्वारा विकास परियोजनाओं को लागू करने के तरीके से समस्याएं पैदा हुई हैं. उन्होंने लोगों की भलाई के बारे में नहीं सोचा. सरकारों का ध्यान सिर्फ अपार्टमेंट और सड़कों के निर्माण पर रहा, लेकिन हमें भूजल स्तर पर काम करने की जरूरत है,जो कि कभी नहीं किया गया."उन्होंने कहा कि मैं यहां 15 साल से हूं, किसी भी सरकार ने इस दिशा में कदम नहीं उठाए. उन्होंने कहा कि लोग पीने के पानी के लिए कई किलोमीटर लंबी कतारों में इंतजार कर रहे हैं.वहीं जल संकट का जिक्र करते हुए एक शख्स ने बताया कि वह पिछले एक पिछले एक महीने में सिर्फ 5 बार ही नहाए हैं.
"वर्क फ्रॉम होम अच्छा विकल्प"
आईटी सिटी होने की वजह से बेंगलुरु में बड़ी संख्या में देश के दूसरे हिस्सों के लोग रहते हैं. पानी की किल्लत की वजह से अब वे लोग घर से काम करने के विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. श्रुति नाम की एक इंजीनियर ने कहा, "घर से काम करना एक अच्छा विकल्प होगा, लेकिन सिर्फ तब, जब लोग घर जाएं, ताकि जनसंख्या कम हो और पानी की खपत कम हो."
बेंगलुरु को मिल रहा जरूरत से कम पानी
बता दें कि बेंगलुरु में मुख्य रूप से कावेरी नदी और भूजल से ही पानी की आपूर्ति होती है. अधिकांश बिना पीने के पानी के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से रीसाइकल पानी का उपयोग किया जाता है. पिछले कुछ समय से बारिश नहीं होने की वजह से प्राथमिक स्रोत भी नीचे पहुंच गए हैं. बेंगलुरु को प्रतिदिन 2,600-2,800 मिलियन लीटर पानी की जरूरत होती है और फिलहाल आपूर्ति जरूरत से आधी है. इसी वजह से शहर के लोगों को पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.
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