करनाल के एनडीआरआई का कमाल अब 3-डी प्रिंटिंग से बनेगी मनचाही मिठाई बस एक क्लिक पर, मधुमेह प्रभावित लोग भी बर्फी का ले सकेंगे आनंद व कम वसा, उच्च प्रोटीन और शुगर-कंट्रोल जैसे विकल्प भी इस तकनीक से होंगे संभव. करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) ने भारत में पहली बार पारंपरिक दूध की मिठाइयों को 3-डी प्रिंटिंग तकनीक से तैयार करने का अनोखा नवाचार किया है. इससे बरसों से हाथों से बन रही बर्फी अब आधुनिक तकनीक से बनेगी, वह भी मनचाहे आकार, डिजाइन, रंग और स्वाद में. विदेशों में चॉकलेट पर यह तकनीक पहले से उपयोग होती रही है, लेकिन भारतीय पारंपरिक मिठाई में यह पहली ऐतिहासिक पहल है. मनचाही मिठाई अब बस एक क्लिक पर 3-डी तकनीक के जरिए खोए, चीनी और हाइड्रोकोलॉइड से तैयार फूड-ग्रेड पेस्ट को प्रिंटर में भरा जाएगा.इसके साथ गाजर, चुकंदर, आम या चॉकलेट जैसी फ्लेवर इंक भी जोड़ी जाएगी.
स्वास्थ्य का भी पूरा ध्यान
बर्फी खाने से कैलोरी बढ़ने की चिंता रखने वालों के लिए भी यह तकनीक राहत लेकर आई है एनडीआरआई के वैज्ञानिक कैलोरी कम करने वाली बर्फी पर शोध कर रहे हैं. कम चीनी इस्तेमाल कर मधुमेह प्रभावित लोग भी बर्फी का आनंद ले सकेंगे. कम वसा, उच्च प्रोटीन और शुगर-कंट्रोल जैसे विकल्प भी इस तकनीक से संभव होंगे.
डिजाइन में असीम संभावनाएं
इस आधुनिक तकनीक से— त्योहारों और विशेष अवसरों पर नाम, लोगो और खास पैटर्न वाली बर्फी,जटिल कलात्मक आकार,कस्टमाइज्ड संदेश वाली मिठाई अब बिल्कुल संभव होंगे.डिजिटल ब्लूप्रिंट के आधार पर परत-दर-परत बनने वाली बर्फी वह डिज़ाइन देगी, जो हाथों से बनाना असंभव था.
डॉ. धीर सिंह, निदेशक, एनडीआरआई ने बताया कि, 'यह नवाचार पारंपरिक विरासत को आधुनिक परिशुद्धता से जोड़ने वाली तकनीक है. इससे स्वच्छ, अनुकूलित और पोषण-संतुलित मिठाइयों का एक नया युग शुरू होगा.' वहीं, डॉ. कौशिक खमरुई, प्रधान अन्वेषक, शोध परियोजना, ने कहा, 'अब तक बर्फी हाथों से बनती थी, लेकिन 3-डी तकनीक से हर डिजाइन और स्वाद संभव है. आगे हम कई और मिठाइयों को इस तकनीक से जोड़ने की दिशा में काम कर रहे हैं.'
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