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लाडली बहन, 1 ट्रिलियन की इकोनॉमी... महाराष्ट्र में CM बनने के बाद फडणवीस के सामने होंगी ये चुनौतियां

महाराष्ट्र में बुलेट ट्रेन और वाधवान बंदरगाह के निर्माण को रफ्तार देने की चुनौती भी फडणवीस सरकार के सामने होगी. साथ ही जल्द होने जा रहे हैं बीएमसी समेत महाराष्ट्र की प्रमुख महानगरपालिका में बीजेपी को जीत दिलाने की चुनौती भी फडणवीस सराकर के सामने होगी. 

लाडली बहन, 1 ट्रिलियन की इकोनॉमी... महाराष्ट्र में CM बनने के बाद फडणवीस के सामने होंगी ये चुनौतियां
मुंबई:

बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस 5 दिसंबर को आजाद मैदान में महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे. मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां आजाद मैदान में चल रही हैं. महाराष्ट्र की राजनीति में फडणवीस बीजेपी के सबसे ताकतवर और भरोसेमंद नेता माने जाते हैं. लेकिन अब सवाल यह कि फडणवीस 3.0 सरकार में बतौर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सामने कई चुनौतियां होगी.

पहली चुनौती माझी लाडकी बहीण योजना को जारी रखने की
महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत के पीछे 'माझी लाडकी बहीण योजना' का रोह अहम रहा है. महाराष्ट्र की 'मुख्यमंत्री- माझी लाडकी बहीण योजना में लाभार्थियों को 1500 रुपये दिए जाने हैं. महायुति ने ऐलान किया है कि अगर वो सत्ता में लौटी तो 1500 रुपये की रकम बढ़ा कर 2100 रुपये कर दी जाएगी. इस योजना से सरकार की तिजोरी पर 46000 करोड़ रूपये का बोझ आयेगा. ऐसे में सरकार के सामने इस योजना को जारी रखने के लिए आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.

ज्यादा से ज्यादा निवेश लाने की चुनौती
चुनाव से पहले बीजेपी की ओर से यह कहा गया था कि सरकार बनने के 100 दिनों के भीतर 'विजन महाराष्ट्र 2028' पेश किया जाएगा और इसका लक्ष्य महाराष्ट्र को 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है. महाराष्ट्र राज्यों में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और 2022-23 में इसका जीएसडीपी 435 बिलियन डॉलर था. ऐसे में फडणवीस सरकार के सामने राज्य में अधिक से अधिक निवेश लाने की चुनौती होगी और महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर की ओर अग्रसर करना होगा.

महाराष्ट्र में बुलेट ट्रेन और वाधवान बंदरगाह के निर्माण को रफ्तार देने की चुनौती भी फडणवीस सरकार के सामने होगी. साथ ही जल्द होने जा रहे हैं बीएमसी समेत महाराष्ट्र की प्रमुख महानगरपालिका में बीजेपी को जीत दिलाने की चुनौती भी फडणवीस सराकर के सामने होगी. 

बता दें कि महाराष्ट्र में पावर शेयरिंग के लिए  6-1 का फॉर्मूला तय हुआ है. इसका मतलब ये है कि 6 विधायक पर एक मंत्रिपद मिलेगा. इस फॉर्मूले के तहत BJP अपने पास 20 से 22 मंत्री पद रखेगी. एकनाथ शिंदे गुट के पास 12 मंत्रालय होंगे. जबकि अजित पवार गुट को 9 से 10 मंत्री पद दिए जा सकते हैं. मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर अजित पवार गुट और शिंदे गुट में तकरार देखी गई थी. अजित पवार की NCP ने नई सरकार में शिंदे गुट के बराबर हिस्सेदारी की मांग की है. NCP नेता छगन भुजबल ने कहा भी है कि हमारा स्ट्राइक रेट बेहतर है. इसलिए मंत्रिपद भी उसी हिसाब से मिलने चाहिए. वहीं, शिंदे गुट ने अर्बन, फाइनेंस और होम मिनिस्ट्री मांगी है. जबकि NCP ने भी इन्हीं मंत्रालयों की मांग की है. 

महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को चुनाव हुए. 23 नवंबर को रिजल्ट आया. BJP+ यानी महायुति को 230 सीटों पर जीत हासिल हुई. अकेले BJP ने 132 सीटें जीतीं. शिवसेना (एकनाथ शिंदे) ने 57 और NCP (अजित पवार) ने 41 सीटें मिलीं. जबकि विपक्षी महाविकास अघाड़ी ने सिर्फ 46 सीटें जीती हैं. कांग्रेस के हाथ में 16 सीटें आईं. 10 सीटें शरद पवार गुट को मिलीं. उद्धव ठाकरे गुट के हिस्से में 20 सीटें आई हैं.

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