दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि शादी के तुरंत बाद बेवफाई का पता चलने से महिला के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर गहरा और विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है. इसके साथ ही अदालत ने उस व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया, जिसकी पत्नी ने शादी के महज 13 दिन बाद आत्महत्या कर ली थी.
उच्च न्यायालय ने इस बात का संज्ञान लिया कि मृतका को शादी के एक दिन बाद अपने पति के विवाहेतर संबंध के बारे में पता चला.
अदालत ने कहा कि बेवफाई का पता चलने का भावनात्मक आघात और बाद में जीवनसाथी द्वारा किया गया बुरा व्यवहार संबंधित महिला को आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम उठाने के लिए प्रेरित कर सकता है.
न्यायधीश स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा, ‘‘वर्तमान मामले में, यह देखा गया है कि शादी के तुरंत बाद बेवफाई का पता चलने से पीड़ित के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर गहरा और विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है. सदमे की भावना भारी हो सकती है, क्योंकि एक महिला ने विश्वास और उम्मीद के साथ शादी की होगी, जो मौजूदा मामले में प्रथम दृष्टया उसके पति के कथित विवाहेतर संबंध के सामने आने से टूट गई थी.''
अदालत ने कहा कि आरोपी पति को जमानत देने के लिए पर्याप्त आधार मौजूद नहीं है. पति पर अपनी नवविवाहित पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगा है.
इस जोड़े की शादी 18 मई, 2022 को हुई थी और महिला ने पिछले साल ही 30-31 मई की दरमियानी रात को छत के पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली थी.
मृतका के पिता की शिकायत पर रंजीत नगर थाने में आपराधिक मामला दर्ज किया गया है. मृतका के पिता ने आरोप लगाया कि उनकी बेटी के पति का विवाहेतर संबंध था, जिसकी वजह से उसने आत्महत्या की थी.
हालांकि, आरोपी पति के वकील ने मुवक्किल को निर्दोष बताते हुए कहा कि उसका अपनी पत्नी की आत्महत्या से कोई लेना-देना नहीं है. वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल के पत्नी से अच्छे थे और वह अपनी पत्नी की आत्महत्या के बारे में जानकर सदमे में था.
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