ऑडिटर फर्म डेलॉयट (Deloitte) एक बार फिर चर्चाओं में है. अमेरिकी नियामक की रिपोर्ट में डेलॉयट के ऑडिटिंग पर बड़े सवाल खड़े किए गए हैं. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नाइजीरियाई कंपनी टिंगो के लिए डेलॉयट द्वारा किए गए ऑडिट में कई अनियमतिता है. ऑडिट कंपनी की तरफ से कहा गया था कि टिंगो (Tingo) के पास बैंक में $ 470 मिलियन से अधिक हैं लेकिन सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमीशन की रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी के पास केवल $ 50 मिलियन हैं. अमेरिकी नियामक की तरफ से जारी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि टिंगो के संस्थापक और पूर्व सीईओ डोजी ममोबुओसी पर "अरबों डॉलर" के फर्जी लेनदेन का मामला बनता है.
डेलॉयट की भारतीय सहयोगी कंपनी भी रही है विवादों में
गौरतलब है कि इससे पहले डेलॉयट ने फिनटेक (Fintech) के लिए भी एक बेहद त्रटिपूर्ण ऑडिट दिया था. गौरतलब है कि डेलॉयट की भारतीय सहयोगी कंपनी भी पिछले पांच सालों में विवादों में रही है. कर्ज में डूबे इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसर IL&FS ग्रुप के डूब जाने के बाद इसकी ऑडिटिंग पर कई सवाल उठे थे. इसके बाद सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय सहित भारतीय नियामकों और एजेंसियों द्वारा जांच की गई. डेलॉयट की ऑडिट गुणवत्ता की जांच नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (NFRA) द्वारा की गई, जिसमें इसकी प्रक्रिया में कई खामियां पाई गई थी.
सरकार ने लगाए थे गंभीर आरोप
IL&FS मामले में, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल और बॉम्बे हाई कोर्ट के समक्ष बहस के दौरान, सरकार ने आरोप लगाया था कि संबंधित IL&FS संस्थाओं का ऑडिट करने वाली डेलॉयट की भारतीय ऑडिट फर्म ने जानकारी छिपाने की कोशिश की थी. साथ ही यह भी कहा था कि कंपनी की तरफ से जानबूझकर गलत रिपोर्ट दी गयी थी. बताते चलें कि डेलॉयट और उसके कुछ साझेदारों द्वारा SFIO की जांच रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी थी. हालांकि मई 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया था. इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, भारतीय रिज़र्व बैंक और एसएफआईओ की रिपोर्टों में यह भी कहा गया था कि ऑडिटर ने अच्छे से काम नहीं किया था.
कंपनी ने कई जानकारियों को छिपा लिया था
सरकार ने आरोप लगाया था कि डेलॉयट ने वित्त वर्ष 2013-14 से 2017-18 तक ऑडिटर की रिपोर्ट में कई तरह की जानकारियों को छिपा लिया था. जिसके कारण धारा 143(1)(a) का अनुपालन नहीं हुआ. नियामकों ने आरोप लगाया कि आईएल एंड एफएस का ऑडिट करने वाली डेलॉयट की कंपनी ने केवल बुक एंट्री के माध्यम से ऋणों को स्थानांतरित करके NPA के प्रावधान और मान्यता को स्थगित करने का प्रयास किया.
ऑडिट पर नजर रखने वाली संस्था ने कहा कि डेलॉयट की ऑडिट फर्मों ने कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 144 के प्रावधानों का उल्लंघन किया है. यह बताया गया कि ऑडिट फर्म के पास ऑडिट रिपोर्ट जारी करने के लिए पर्याप्त औचित्य नहीं था.
टिंगो से पहले भी कई बार उठे हैं सवाल
टिंगो मामला पहला हालिया उदाहरण नहीं है. सितंबर 2023 में, यूएस पब्लिक कंपनी अकाउंटिंग ओवरसाइट बोर्ड (PCAOB) ने डेलॉयट एंड टौच एस.ए.एस. को मंजूरी दे दी थी. इसके गुणवत्ता नियंत्रण उल्लंघनों के लिए और डेलॉयट वैश्विक नेटवर्क के कोलंबियाई सहयोगी पर $900,000 का जुर्माना लगाया गया था.
चीन में भी कंपनी पर उठे थे सवाल
चीनी नियामकों ने भी चीन के स्वामित्व वाली परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी के पर्याप्त ऑडिट में विफलता के लिए डेलॉयट के बीजिंग कार्यालय पर 30.8 मिलियन डॉलर का भारी जुर्माना भी लगाया था. साथ ही उसके पूर्व प्रमुख को भ्रष्टाचार के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी. चीनी नियामक ने कहा था कि डेलॉयट प्रबंधन गतिविधियों पर पर्याप्त ध्यान देने में विफल रहा है और ऑडिट अपेक्षित मानकों को पूरा नहीं करता था.
इसी तरह, मलेशियाई ऑडिट फर्म - डेलॉयट पीएलटी - 2011 से 2014 तक घोटाले से जुड़े राज्य निधि 1एमडीबी और इसकी इकाई एसआरसी इंटरनेशनल के खातों की ऑडिटिंग से संबंधित कुछ दावों को हल करने के लिए मलेशिया सरकार को 80 मिलियन डॉलर का भुगतान करने पर सहमत हुई थी. और नियामकों ने 1MDB के वित्तीय विवरणों की ऑडिटिंग में फर्म की भूमिका की जांच की थी.
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