"छपास की बीमारी का इलाज नहीं": LG द्वारा 'रेड लाइट ऑन...' कैंपेन की फाइल वापस भेजे जाने पर संजय सिंह 

संजय सिंह ने उप राज्‍यपाल को लेकर कहा कि आजकल उन्‍हें एक बीमारी ने पकड़ लिया है और वो लाइलाज बीमारी है. उस बीमारी का नाम है छपास की बीमारी. बाकी बीमारियों का इलाज तो है, लेकिन इस छपास की बीमारी का कोई इलाज नहीं है.

संजय सिंह ने उप राज्‍यपाल पर तंज कसा है. (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली :

दिल्‍ली के उप राज्‍यपाल विनय कुमार सक्‍सेना (LG Vinai Kumar Saxena) और आम आदमी पार्टी की सरकार के बीच 'रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ' अभियान (Red Light On, Gaadi Off Campaign) को लेकर बयानबाजी तेज हो गई है. पार्टी के नेता और राज्‍यसभा सांसद संजय सिंह (Sanjay Singh) ने कैंपेन की फाइल वापस भेजने को लेकर उप राज्‍यपाल पर तंज कसा है. संजय सिंह ने कहा है कि एलजी को छपास की बीमारी है. ये पहले एलजी हैं जो प्रदूषण का समर्थन कर रहे हैं. इससे पहले, उप राज्‍यपाल ने कैंपेन पर सवाल उठाए थे और इस पर दिल्‍ली सरकार से पुनर्विचार करने के लिए कहा था. 

संजय सिंह ने उप राज्‍यपाल के 'रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ' अभियान की फाइल वापस भेजे जाने पर कहा कि इस देश में कई सारी बीमारियां फैली हुई है. मैं प्रार्थना करता हूँ कि हमारे एलजी स्वस्थ रहें, उनको कोई बीमारी ना पकड़े. लेकिन आजकल उनको एक बीमारी ने पकड़ लिया है और वो लाइलाज बीमारी है. उस बीमारी का नाम है छपास की बीमारी. बाकी बीमारियों का इलाज तो है, लेकिन इस छपास की बीमारी का कोई इलाज नहीं है. ये पहले एलजी हैं जो प्रदूषण का समर्थन कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्‍होंने उप राज्‍यपाल पर सरकार की हर योजना का विरोध करने का आरोप लगाया. 

वहीं दिल्‍ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने उप राज्‍यपाल के द्वारा फाइल वापस भेजे जाने के बाद ट्वीट कर उन्‍हें राजनीति न करने के लिए कहा है. गोपाल राय ने ट्वीट में कहा, "LG साहब से निवेदन है कि दिल्ली के लोगों की सांसों पर राजनीति ना करें. 'रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ' कैम्पेन की फाइल LG साहब को दोबारा प्रस्तुत करेगी सरकार."

 इससे पहले, उप राज्‍यपाल ने रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ अभियान की फाइल को सीएम कार्यालय को वापस भेज दिया था. साथ ही उन्‍होंने कहा था कि इस बात का सबूत नहीं है कि इस तरीके से कैंपेन चलाने से वायु प्रदूषण पर नियंत्रण किया जा सकता है. साथ ही एलजी ने कैंपेन को सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ बताया था और कहा था कि सिविल डिफेंस वॉलेंटियर्स को इस तरीके से भारी ट्रैफिक और प्रदूषण के बीच खड़ा नहीं रखा जा सकता, यह उनके शोषण के साथ साथ बहुत अमानवीय भी है. 

इसके अलावा उप राज्यपाल ने कैंपेन पर सवाल खड़े करते हुए लिखा कि बीते सालों के जो प्रभाव इस कैंपेन के जरिए देखे गए हैं, उनकी जानकारी प्रपोजल में नहीं दी गई है.   

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