
दिल्ली दंगे (Delhi Riots) मामले में दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने विभिन्न राजनीतिक नेताओं को पक्ष की तरह अभियोजित करने के अनुरोध को स्वीकृति दे दी है, ताकि उनके खिलाफ जांच और प्राथमिकी दर्ज करने एवं जांच के अनुरोध पर कार्यवाही बढ़ सके. इन लोगों ने कथित रूप से घृणापूर्ण भाषण दिये, जिसके चलते फरवरी 2020 में शहर में हुए दंगे हुए.उच्च न्यायालय ने मौखिक रूप से कहा कि जो लोग मुख्य याचिका पर जवाब दाखिल करना चाहते हैं, वे एक सप्ताह के भीतर ऐसा कर सकते हैं. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए दो अगस्त की तारीख तय की है. न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अमित शर्मा ने अपने आदेश में कहा कि प्रस्तावित प्रतिवादी उन्हें पक्षकार बनाए जाने का अनुरोध करने वाली अर्जियों का विरोध नहीं कर रहे हैं.
राजनीतिक नेताओं में से एक के अधिवक्ता से पीठ ने कहा, ‘हम आपको अभियोजित करेंगे और आपकी दलीलें सुनेंगे. उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में 2020 में हुए दंगों से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि पक्षों के संशोधित मेमो भी दाखिल किए जाएं.अदालत ने साल की शुरुआत में अनुराग ठाकुर (भाजपा), सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा (कांग्रेस), दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और अन्य लोगों को इस मामले से जुड़ी अभियोजन की दो अर्जियों के आधार पर नोटिस जारी किया था. इनमें से एक याचिका शेख मुज्तबा फारूक ने दायर की थी, जिसमें घृणा भाषण देने को लेकर भाजपा नेताओं अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा, परवेश वर्मा और अभय वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया गया था.
दूसरी याचिका लॉयर्स वॉइस ने दायर की है, जिसमें घृणा भाषण को लेकर कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्ला खान, एआईएमआईएम नेता अकबरूद्दीन ओवैसी, एआईएमआईएम के पूर्व विधायक वारिस पठान, वकील महमूद प्राचा, हर्ष मंदर, मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल, स्वरा भास्कर, उमर खालिद, बीजी कोल्से पाटिल सहित अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया गया है.
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