दिल्ली में ट्रांसफर पोस्टिंग से जुड़े अध्यादेश के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा है. एसजी ने इस मामले में कहा कि इन पदों पर केवल गलत तरीके से नियुक्त व्यक्ति ही नियुक्त किए गए हैं. विधायकों के पति-पत्नी, आप पार्टी के कार्यकर्ताओं को काम पर लगाया गया था. सीजेआई ने कहा कि हम 437 सलाहकारों को हटाने के संबंध में केंद्र को जवाब दाखिल करने के लिए समय देंगे. CJI डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है.
दिल्ली सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि यह अध्यादेश ‘‘कार्यकारी आदेश का असंवैधानिक इस्तेमाल'' है जो शीर्ष अदालत और संविधान की मूल संरचना का ‘‘उल्लंघन'' करने का प्रयास करता है. दिल्ली सरकार ने अध्यादेश को रद्द करने के अलावा इस पर अंतरिम रोक लगाने का भी अनुरोध किया है. जहां सुप्रीम कोर्ट ने बीती 11 मई को दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला दिया और साफ किया था कि दिल्ली सरकार ही दिल्ली के नौकरशाहों के तबादले और उनकी तैनाती कर सकती है. कोर्ट के फैसले को आम आदमी पार्टी ने अपनी जीत बताया था, लेकिन उनकी ये खुशी ज्यादा दिन नहीं रही क्योंकि केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश, 2023 ले आई.
केंद्र सरकार के अध्यादेश के तहत दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और तैनाती से जुड़ा आखिरी फैसला लेने का हक उपराज्यपाल को दिया. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश, 2023 के तहत दिल्ली में सेवा देने वाले नौकरशाहों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण गठित किया गया है. इस प्राधिकरण के तीन सदस्य होंगे, जिनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव, दिल्ली के गृह प्रधान सचिव होंगे. दिल्ली के मुख्यमंत्री को इस प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया गया है, हालांकि अधिकारियों के तबादले और तैनाती का आखिरी फैसला उपराज्यपाल का ही होगा .
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं