दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने उत्तरी दिल्ली में बुराड़ी के एक अस्पताल में महिला संविदा कर्मचारियों के साथ छेड़छाड़ और उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए एक जांच समिति गठित करने का मुख्य सचिव को निर्देश दिया है. पुलिस के मुताबिक, बुराड़ी सरकारी अस्पताल में अनुबंध के आधार पर सफाई कर्मचारी के रूप में काम करने वाली एक महिला ने अपने प्रबंधक और तीन पर्यवेक्षकों पर उसके और दो अन्य कर्मचारियों से छेड़छाड़ करने और उनका उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है.
पुलिस के एक अधिकारी के मुताबिक महिला की शिकायत के आधार पर उसके प्रबंधक और अस्पताल में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी उपलब्ध कराने वाली कंपनी के तीन पर्यवेक्षकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और उन्हें जांच में शामिल होने के लिए कहा गया है.
वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि यह खेदजनक है कि भारद्वाज को नींद से जागने में दो दिन से ज्यादा का वक्त लग गया.
भारद्वाज ने मुख्य सचिव को लिखे एक आधिकारिक पत्र में कहा कि उन्हें सोशल मीडिया से पता चला है कि बुराड़ी अस्पताल में 'महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने और संविदा कर्मचारियों के यौन उत्पीड़न से संबंधित कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं' सामने आई हैं.
महिला ने अपनी शिकायत में दावा किया कि चारों आरोपियों ने 17 दिसंबर और 19 दिसंबर को उससे और दो अन्य महिला कर्मचारियों के साथ छेड़छाड़ की और उनका उत्पीड़न किया.
एक अधिकारी ने बताया कि 17 दिसंबर को आरोपियों ने महिला से कथित तौर पर छेड़छाड़ की और 19 दिसंबर को उन्होंने धमकी दी कि अगर वो उनकी अनुचित मांगों पर सहमत नहीं हुई तो वे उन्हें बर्खास्त कर देंगे.
भारद्वाज ने इस मामले में स्वास्थ्य सचिव की अध्यक्षता में एक जांच समिति के गठन का निर्देश दिया है.
मंत्री ने कहा कि उन्हें पता चला है कि आउटसोर्सिंग कंपनी ने आरोपी पर्यवेक्षकों और प्रबंधकों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं. उन्होंने कहा, 'हालांकि, दोषी पाए जाने पर कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी सुनिश्चित की जानी चाहिए.'
पुलिस ने कहा कि इस सिलसिले में भारतीय दंड संहिता की धारा 323, 354, 506 और 509 के तहत 19 दिसंबर को बुराड़ी पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया था.
उन्होंने कहा, ‘‘यह खेदजनक है कि मंत्री सौरभ भारद्वाज को नींद से जागने और महिला कर्मचारी के यौन उत्पीड़न के मामले पर संज्ञान लेने में दो दिन से ज्यादा का वक्त लगा.''
सचदेवा ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और सरकारी अस्पतालों को महिला कर्मचारियों तथा मरीजों के लिए सुरक्षित बनाने के वास्ते कदम उठाने की मांग की.
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