दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High court) ने कहा है कि सड़कों पर मानवरहित बैरिकेड्स (Unmanned barricades)लगाने का कोई उद्देश्य नहीं है और इससे जनता को परेशानी होती है. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को शहर में बैरिकेड्स लगाने के लिए अपनाए गए प्रोटोकॉल को प्रस्तुत करने को कहा. दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र का स्वत: संज्ञान लिया, जिसे दक्षिणी दिल्ली क्षेत्र में कई सड़कों पर मानव रहित बैरिकेड्स लगाने के खिलाफ कार्रवाई करने के अनुरोध को लेकर दिल्ली HC को भेजा गया था.
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जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने कहा, ‘‘ओम प्रकाश गोयल (जिन्होंने पत्र लिखा था) द्वारा उठाए गए मुद्दे पर विचार करने की आवश्यकता है क्योंकि सड़कों पर इन मानवरहित बैरिकेड्स का प्रथम दृष्टया कोई उद्देश्य नहीं है और वास्तव में इससे बड़े पैमाने पर जनता को असुविधा होती है. इस तरह के बैरिकेड्स का इस्तेमाल कियोस्क लगाने और वाहनों की पार्किंग के लिए भी किया गया है.'' कोर्ट ने दिल्ली पुलिस आयुक्त, दिल्ली सरकार, केंद्र और आयुक्त के माध्यम से दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को नोटिस जारी किया और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 13 अप्रैल को सूचीबद्ध किया.
बेंच ने कहा, ‘‘प्रतिवादी (प्राधिकारी) सुनवाई की अगली तारीख से पहले अपनी संबंधित स्थिति रिपोर्ट दाखिल करेंगे. दिल्ली पुलिस उस प्रोटोकॉल को रिकॉर्ड में रखेगी, जिसका पालन वे शहर में बैरिकेड्स लगाने के संबंध में करते हैं.''गोयल द्वारा 10 दिसंबर 2021 को भेजे गए पत्र का संज्ञान लेते हुए एक जनहित याचिका दर्ज की गई थी. गोयल दिल्ली प्रदेशिक अग्रवाल सम्मेलन के अध्यक्ष होने का दावा करते हैं.उन्होंने दक्षिणी दिल्ली के कालकाजी और सीआर पार्क पुलिस थाना क्षेत्रों में मानव रहित बैरिकेड्स स्थापित करने से संबंधित शिकायतों को उठाया.
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