दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका (Arvind Kejriwal Bail Hearing) पर आज सुनवाई हुई. कोर्ट में उनकी तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और विक्रम चौधरी पेश हुए, वहीं सीबीआई की तरफ से लोक अभियोजक डीपी सिंह ने अपने तर्क कोर्ट के सामने रखे. केजरीवाल के वकील ने अपनी दलील खत्म करते हुए दिल्ली सीएम की गिरती सेहत का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल की ब्लड शुगर 5 बार सोते हुए 50 के नीचे जा चुकी है. क्या वह समाज के लिए खतरा हैं. उन्होंने कहा कि इस मामले में सबको जमानत मिल रही है, मेरी पार्टी का नाम आम आदमी पार्टी (AAM Admi Party) है, लेकिन मुझे बेल नहीं मिल रही. तथ्यों को देखते हुए मुझे जमानत दी जाए. अरविंद केजरीवाल के वकील सिंघवी की दलील के जवाब में सीबीआई (CBI) के वकील डीपी सिंह ने भी अपने तर्क कोर्ट के सामने रखे.
CBI के वकील की दलीलें
- जहां तक आरोपियों की बात है, तो उन्हें सभी विशेषाधिकार और अधिकार प्राप्त हैं. जांच एजेंसी के पास विशेषाधिकार बहुत कम हैं.
- मेरा विशेषाधिकार यह है कि जो गवाह और सबूत जरूरी हैं, उन्हें इकट्ठा कर लेता हूं. मैं जिस चीज पर भरोसा करता हूं, उसे विश्वसनीय दस्तावेज के रूप में रखता हूं और जिस पर भरोसा नहीं करता, उसकी सूची अदालत को दे देता हूं, जिसका निरीक्षण आरोपी कर सकता है.
- मुझे यह तय करने का अधिकार है कि किस आरोपी को कब गिरफ्तार किया जाए, वो सीएम हैं. उनकी भूमिका शुरू में स्पष्ट नहीं थी, क्योंकि यह आबकारी मंत्री के अधीन हुआ था. कुछ चीजें हमारे सामने आईं लेकिन उस समय हमने उनके खिलाफ आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया क्योंकि वह सीएम हैं.
- सीबीआई ने मंत्री को गिरफ़्तार किया था. मंत्री को ज़मानत नहीं दी गई है. हाईकोर्ट ने दो बार इसे खारिज कर दिया है और अब यह सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.
- हाईकोर्ट, ट्रायल कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में बार-बार याचिकाएं दायर की गई हैं. आज तक ऐसा कोई आदेश नहीं हुआ है, जो कहता हो कि हम प्रक्रिया या अपनी शक्ति का अतिक्रमण कर रहे हैं या उसका उल्लंघन कर रहे हैं.
- केजरीवाल एक पब्लिक सर्वेंट है. PC एक्ट की धारा 17 के तहत जांच के लिए अनुमति की आवश्यकता होती है. यह कहना है कि जनवरी में मेरे पास मगुंटा रेड्डी का बयान था, लेकिन अप्रैल में मंजूरी मिली. सीबीआई एक सिस्टम के तहत काम करती है.
- अकेले कोई जांच अधिकारी फैसला नहीं ले सकता. हमें सारे मैटेरियल इकट्ठा करने में तीन महीने लगे. ऐसा नहीं है कि हमने कुछ नहीं किया.
- जिन पांच लोगों को जमानत दी गई है, वो के. कविता, मनीष सिसोदिया या केजरीवाल के अधीन काम कर रहे थे. वे विशेष क्यों हैं? वे उनके (कविता, सिसोदिया और केजरीवाल) अधीन काम कर रहे थे.
केजरीवाल के वकील ने क्या-क्या कहा?
बता दें कि केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पहले अपनी दलील में कहा, “सीबीआई के पास अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं. साजिशन उन्हें फंसाने की कोशिश की जा रही है. जब लगा कि ईडी वाले मामले में उन्हें सलाखों के पीछे नहीं रखा जा सकता तो सीबीआई से उन्हें गिरफ्तार करवाया गया. यह पीएमएलए का मामला नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का आदेश बताता है कि अरविंद केजरीवाल को रिहा किया जाना चाहिए. अब उन्हें सलाखों के पीछे रखने का कोई औचित्य नहीं है. यह सारा प्रपंच सिर्फ उन्हें सलाखों के पीछे रखने के मकसद से किया गया है, इसमें सच्चाई बिल्कुल भी नहीं है."
सिंघवी ने कहा, "इसी मामले में सीबीआई ने दो एफआईआर दर्ज की थी. इसके बाद 14 अप्रैल 2023 को केजरीवाल को समन जारी किया गया. 16 अप्रैल को उनसे इस मामले में कई घंटे पूछताछ हुई, लेकिन कोई तथ्य सामने नहीं आया. ध्यान देने वाली बात है कि 21 मार्च 2023 से पहले सीबीआई ने उन्हें कभी नहीं बुलाया. इसके बाद ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. सीबीआई ने केजरीवाल के खिलाफ एक साल तक कुछ नहीं किया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ईडी वाले मामले में उन्हें अंतरिम जमानत दी. इसके बाद उन्हें दो जून को वापस तिहाड़ भेज दिया गया."
केजरीवाल को गिरफ्तार क्यों किया, अब तक नहीं बताया
अभिषेक मनु सिंघवी ने आगे कहा, "अभी तक सीबीआई यह नहीं बता पाई है कि आखिर केजरीवाल को गिरफ्तार क्यों किया गया है? यह पूरी तरह से कानून का उल्लंघन है. केजरीवाल देश के सम्मानित राजनेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं, लिहाजा उन्हें जमानत मिलनी चाहिए."
बता दें कि दिल्ली सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी के संबंध में 25 जून को याचिका दाखिल की गई थी. सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी को केजरीवाल ने चुनौती दी है. इसमें आर्टिकल 21 से लेकर 22 की अनदेखी का आरोप लगाया गया है. जांच एजेंसी बार-बार यही कह रही है कि केजरीवाल पूछताछ में सवालों का उचित जवाब नहीं दे रहे हैं.
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