- जम्मू-कश्मीर सीआईडी घाटी में श्रीनगर-दिल्ली विस्फोट मामले की जांच के तहत तेरह स्थानों पर छापेमारी कर रही है
- नौगाम से जैश-ए-मोहम्मद के डॉक्टर टेरर मॉड्यूल का पोस्टर मिला, जिससे डॉ. आदिल की गिरफ्तारी हुई है
- शोपियां के मौलवी इरफान अहमद को इस आतंकी मॉड्यूल का मास्टरमाइंड और डॉक्टरों का ब्रेनवॉश करने वाला माना जाता है
जम्मू-कश्मीर सीआईके की घाटी में 13 जगहों पर छापेमारी चल रही है. ये छापे कथित तौर पर श्रीनगर-दिल्ली विस्फोट मामले की सीआईडी द्वारा चल रही जांच से जुड़े हैं. जल्द ही गिरफ़्तारी और बरामदगी की संभावना है. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, यह छापेमारी जम्मू-कश्मीर सीआईडी द्वारा एकत्र की गई खुफिया जानकारी के आधार पर की जा रही है. जांच एजेंसियों को शक है कि यह नेटवर्क दिल्ली के लाल किले के पास हुए विस्फोट की साजिश में शामिल हो सकता है.
देश भर में नेटवर्क का संदेह
कई टीमें स्थानीय पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर इन जगहों पर तलाशी अभियान चला रही हैं. छापेमारी का केंद्र उन व्यक्तियों और परिसरों पर है जिनका संबंध प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से होने का संदेह है. सूत्रों ने बताया कि यह कार्रवाई देशभर में सक्रिय आतंकी मॉड्यूल्स को खत्म करने के लिए चलाए जा रहे व्यापक अभियान का हिस्सा है. जांच एजेंसियों का कहना है कि इस अभियान से कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों में फैले आतंक नेटवर्क की गतिविधियों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी.
नौगाम टू सहारनपुर टू फरीदाबाद
वहीं श्रीनगर के नौगाम से जैश-ए-मोहम्मद के एक एक्सक्लूसिव पोस्टर की कॉपी शेयर की गई है, जिससे जैश के डॉक्टर टेरर मॉड्यूल का पर्दाफाश हुआ. यह पोस्टर 16/17 अक्टूबर को चिपकाया गया था और इसी के चलते 27 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से डॉ. आदिल की गिरफ्तारी हुई.
दिल्ली धमाके और उससे जुड़े फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल के पीछे आखिर सबसे बड़ी भूमिका किसकी थी, ये सच्चाई भी सामने आ रही है. शोपियां के मौलवी इरफान अहमद को इनका सरगना माना जा रहा है, जिसने डॉक्टरों को शागिर्द बनाया और फिर उन्हें आतंक की राह पर धकेल दिया.
मास्टरमाइंड इरफान
सूत्रों का कहना है कि मास्टरमाइंड इरफान ने डॉक्टरों का ब्रेनवॉश कर उन्हें इस बड़ी आतंकी साजिश का हिस्सा बनाया है. उसने अनंतनाग और पुलवामा के डॉ. आदिल अहमद और डॉ. उमर को आतंकी नेटवर्क से जोड़ा और फिर उनके जरिये डॉ. मुजम्मिल और शाहीन भी इस जिहादी मॉड्यूल में जुड़ी.
दरअसल, जैश ए मोहम्मद से जुड़े जो पोस्टर श्रीनगर में लगाए गए थे, उसमें मौलवी इरफान अहमद का नाम सामने आया था. पोस्टर लगाने वाले की धरपकड़ हुई तो उन्होंने मौलवी इरफान का राज उगला. ये मौलवी इरफान श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में पैरामेडिकल स्टाफ था. जबकि उमर मोहम्मद नबी भी इसी कॉलेज में डॉक्टर था और यहीं से खुफिया सूत्रों के मुताबिक़, मौलवी इरफान अहमद ने मेडिकल छात्रों को कट्टरपंथ की राह पर धकेलने में अहम भूमिका निभाई है
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