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दिल्ली का AQI 500 है या फिर 1600, समझिए आखिर पूरी कहानी क्या है

देश की राजधानी पर इस प्रदूषण का संकट छाया हुआ है. अंतरराष्‍ट्रीय एजेंसियों के मुताबिक, सोमवार को दिल्‍ली का AQI 1600 था. अंतरराष्‍ट्रीय एजेंसी IQAir का AQI सेंसर-आधारित है.

दिल्ली का AQI 500 है या फिर 1600, समझिए आखिर पूरी कहानी क्या है
अंतरराष्‍ट्रीय और भारतीय एजेंसी कैसे मापती हैं प्रदूषण?
नई दिल्‍ली:

दिल्‍ली में प्रदूषण रिकॉर्ड स्‍तर पर पहुंच गया है. हर जगह बस स्‍मॉग ही स्‍मॉग नजर आ रहा है. सोमवार को दिल्ली में औसत एयर क्‍वालिटी इंडेक्‍स (AQI) 494 था, जो 2015 के बाद से किसी दिन की केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दर्ज की गई दूसरी सबसे बड़ी रीडिंग है. लेकिन दिल्‍ली के प्रदूषण को लेकर इंटरनेशनल एजेंसियों का डेटा डराने वाला है. IQAir जैसे अंतरराष्ट्रीय ऐप सोमवार दोपहर को 1,600 से अधिक AQI रीडिंग दिखा रहे थे. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि दोनों आंकड़ों में से कौन-सा सही है? 

500 AQI मतलब खतरनाक स्‍तर  

दिल्‍ली में वायु प्रदूषण को लेकर भारतीय और अंतरराष्‍ट्रीय एजेंसी दोनों अपनी-अपनी जगह सही हैं. दरअसल, भारत में AQI पैमाने को 500 पर सीमित कर दिया गया है. इसका मतलब यह बिल्‍कुल नहीं है कि वायु में प्रदूषक तत्‍व इससे ज्‍यादा नहीं हो सकते हैं. दिल्‍ली में सोमवार को ही देखने को मिला जब, सुप्रीम कोर्ट में प्रदूषण के मुद्दे पर सुनवाई चल रही थी, तब कोर्ट रूम का एक्‍यूआई 900 था. लेकिन भारतीय एजेंसियां यही दिखा रही थीं कि एक्‍यूआई 500 पहुंच गया है. सीपीसीबी के अधिकारी बताते हैं कि भारतीय विशेषज्ञों ने जब वायु प्रदूषण मापने के लिए सूचकांक तैयार किया था, तो यह महसूस किया गया कि 500 ​​से ऊपर एक्‍यूआई नहीं हो सकता, क्योंकि एक निश्चित सीमा के बाद स्वास्थ्य पर इसका बेहद बुरा प्रभाव पड़ता है. हालांकि, सोमवार को जब शहर के 15 स्टेशनों पर 24 घंटे का औसत एक्‍यूआई (शाम 5 बजे) 500 से अधिक हो गया था. इसके बाद कई विशेषज्ञों को इस बात का अहसास हुआ होगा कि एक्‍यूआई 500 के पार गया, तो उसे कैसे मापा जाए? 

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अंतरराष्‍ट्रीय और भारतीय एजेंसी कैसे मापती हैं प्रदूषण?

देश की राजधानी पर इस समय हवाई संकट छाया हुआ है. ऐसे में यह सवाल उठ रहे हैं कि आखिर हम क्‍यों नहीं इंटरनेशनल एजेंसियों की तरह वायु प्रदूषण की गणना नहीं करते हैं? दरअसल, IQAir का वायु गुणवत्ता सूचकांक देश की पर्यावरण संरक्षण एजेंसी द्वारा विकसित अमेरिकी मॉडल पर आधारित है. पैमाने पर मान 'अच्छे' से लेकर 'खतरनाक' तक की वायु गुणवत्ता के छह अलग-अलग स्तरों के अनुरूप हैं. भारतीय सूचकांक की तरह, अमेरिकी AQI को आम तौर पर शून्य से 500 तक का पैमाना माना जाता है, लेकिन इसमें एक अंतर है. पैमाने पर उच्चतम स्तर 'खतरनाक' है, जो 301 और उससे ऊपर का कोई भी मान हो सकता है. इसका मतलब है कि कोई ऊपरी सीमा नहीं है और 500 से अधिक का मान दिखाया जा सकता है.

दिल्‍ली में AQI 1000 या 490?

इसके अलावा, चूंकि भारतीय और अमेरिकी पैमाने AQI की गणना के लिए अलग-अलग फॉर्मूले का उपयोग करते हैं, इसलिए दोनों प्रदूषकों के एक ही इनपुट डेटा के लिए अलग-अलग स्कोर देंगे. इसलिए दोनों की तुलना करना संभव ही नहीं है. इसलिए जब सोमवार को भारतीय AQI 490 के आसपास मंडरा रहा था, तो IQAir के सूचकांक ने 1,000 से अधिक मान दिखाया. हालांकि, दोनों हवा की गुणवत्ता को दर्शा रहे थे, जो बहुत खतरनाक थी. 

वैसे बता दें कि अंतरराष्‍ट्रीय एजेंसी IQAir का AQI सेंसर-आधारित है, जबकि भारतीय AQI विश्लेषक-आधारित है. विश्लेषक-आधारित AQI को अधिक सटीक माना जाता है. दिल्ली की हवा में 24 घंटे की औसत PM2.5 सांद्रता सोमवार को रात 8 बजे बढ़कर 422.8 हो गई, जो पिछले दिन रात 10 बजे 305.5 थी. भारतीय मानकों के अनुसार, PM2.5 की सुरक्षित सीमा 60 माइक्रोग्राम/घन मीटर है, जबकि WHO की सीमा 15 है.

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