दलितों पर अत्याचार के खिलाफ उना पहुंची दलित अस्मिता यात्रा.
उना:
उना के एच डी शाह स्कूल की ओर बढ़ते दलित अस्मिता मार्च एक नई सामाजिक - राजनीतिक समीकरण समेटे हुए है. यहां 15 अगस्त को जय भीम के नारों के साथ "दलित मुस्लिम भाई भाई" के नारे लग रहे हैं. गुजरात और देश के दूसरे हिस्सों से आए दलित और मुस्लिम पैदल मार्च में एक साथ हैं.
गुजरात के बनासकांडा से आए एक दलित और मुस्लिम यहां आकर दोस्त बन गए. वो हमारा कैमरा देखकर एक साथ चिल्लाते हैं- 'अत्याचार नहीं सहेंगे. दलित मुस्लिम भाई भाई.' उनमें से मुस्लिम आंदोलनकारी गुजराती लहजे में कहता है हम पर बहुत अत्याचार हो रहा है. 'अब तक झेलते रहे. लेकिन अब हम कांग्रेस बीजेपी किसी पक्ष को नहीं सुनेंगे किसी तीसरे पक्ष को देखेंगे.'
दलित आंदोलनकारी राकेश का कहना है कि मुस्लिम और दलित गुजरात और पूरे देश में साथ-साथ लड़ेंगे दोनों पर अत्याचार हो रहे हैं. असल में गाय के नाम पर हुई राजनीति ने ये सामाजिक गठजोड़ बनाया है. दिल्ली के पास दादरी में बीफ को लेकर अखलाक नाम के युवक की हत्या और उना में गाय के नाम पर दलित युवकों की निर्मम पिटाई का वायरल हुआ वीडियो. इससे दोनों ही समुदाय एक साथ आ रहे हैं.
गुजरात की एक एनजीओ से आए इमरान कहते हैं कि हम इस दलित मार्च का समर्थन कर रहे हैं क्योंकि हमें सामाजिक बराबरी का अधिकार चाहिए. दलितों और मुस्लिम समुदाय का यह मार्च अब उना थाने के पास पहुंच चुका है और वहां पर पुलिस के खिलाफ नारे लगा रहा है. इससे साफ है कि पुलिस दमन के खिलाफ दोनों के दिल में गुस्सा है.
डॉक्यूमेंट्री फिल्म मेकर और विचारक आनंद पटवर्धन जो इस मार्च को कवर कर रहे हैं वह इसे ऐतिहासिक बदलाव मानते हैं. पटवर्धन का कहना है कि गुजरात में पहले दलितों पर अत्याचार होता रहा. फिर मुसलमानों पर हुआ और अब फिर दलितों पर अत्याचार हो रहे हैं जिससे ये गठजोड़ बन रहा है.
गुजरात के बनासकांडा से आए एक दलित और मुस्लिम यहां आकर दोस्त बन गए. वो हमारा कैमरा देखकर एक साथ चिल्लाते हैं- 'अत्याचार नहीं सहेंगे. दलित मुस्लिम भाई भाई.' उनमें से मुस्लिम आंदोलनकारी गुजराती लहजे में कहता है हम पर बहुत अत्याचार हो रहा है. 'अब तक झेलते रहे. लेकिन अब हम कांग्रेस बीजेपी किसी पक्ष को नहीं सुनेंगे किसी तीसरे पक्ष को देखेंगे.'
दलित अस्मिता यात्रा में लग रहे दलित मुस्लिम भाई भाई के नारे.
दलित आंदोलनकारी राकेश का कहना है कि मुस्लिम और दलित गुजरात और पूरे देश में साथ-साथ लड़ेंगे दोनों पर अत्याचार हो रहे हैं. असल में गाय के नाम पर हुई राजनीति ने ये सामाजिक गठजोड़ बनाया है. दिल्ली के पास दादरी में बीफ को लेकर अखलाक नाम के युवक की हत्या और उना में गाय के नाम पर दलित युवकों की निर्मम पिटाई का वायरल हुआ वीडियो. इससे दोनों ही समुदाय एक साथ आ रहे हैं.
गुजरात की एक एनजीओ से आए इमरान कहते हैं कि हम इस दलित मार्च का समर्थन कर रहे हैं क्योंकि हमें सामाजिक बराबरी का अधिकार चाहिए. दलितों और मुस्लिम समुदाय का यह मार्च अब उना थाने के पास पहुंच चुका है और वहां पर पुलिस के खिलाफ नारे लगा रहा है. इससे साफ है कि पुलिस दमन के खिलाफ दोनों के दिल में गुस्सा है.
फिल्म मेकर आनंद पटवर्धन इसे एक ऐतिहासिक बदलाव मानते हैं.
डॉक्यूमेंट्री फिल्म मेकर और विचारक आनंद पटवर्धन जो इस मार्च को कवर कर रहे हैं वह इसे ऐतिहासिक बदलाव मानते हैं. पटवर्धन का कहना है कि गुजरात में पहले दलितों पर अत्याचार होता रहा. फिर मुसलमानों पर हुआ और अब फिर दलितों पर अत्याचार हो रहे हैं जिससे ये गठजोड़ बन रहा है.
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