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This Article is From Sep 06, 2024

कर्नाटक में बीजेपी सरकार के दौर में कोविड संक्रमण काल में हुआ करोड़ों रुपये का घोटाला : कर्नाटक सरकार

कर्नाटक सरकार ने मुख्य सचिव से एक महीने के अंदर पूर्व न्यायाधीश माइकल डी कुन्हा की कोविड घोटाले की प्रारंभिक रिपोर्ट की जांच करके अपनी रिपोर्ट देने को कहा

कर्नाटक में बीजेपी सरकार के दौर में कोविड संक्रमण काल में हुआ करोड़ों रुपये का घोटाला : कर्नाटक सरकार
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (फाइल फोटो).
बेंगलुरु:

कर्नाटक सरकार ने कहा है कि, करोना वायरस संक्रमण के दौर में बीजेपी सरकार के समय करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ. कर्नाटक सरकार ने मुख्य सचिव से एक महीने के अंदर पूर्व न्यायाधीश माइकल डी कुन्हा की कोविड घोटाले की प्रारंभिक रिपोर्ट की जांच करके सरकार को अपनी रिपोर्ट देने को कहा है.

माइकल डी कुन्हा जांच आयोग की प्रारंभिक रिपोर्ट को लेकर जो जानकारी सामने आ रही हैं उसके मुताबिक तकरीबन 7000 करोड़ रुपये का घोटाला कोविड संक्रमण काल में दवा और उपकरण खरीदने में किया गया. उन दिनों कर्नाटक में मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा थे और स्वास्थ मंत्री डॉ डी सुधाकर थे. बाद में येदियुरप्पा की जगह बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया गया था.

सन 2023 में सत्ता में आने के बाद इसी साल अगस्त में कर्नाटक हाईकोर्ट के पूर्व न्यायधीश जस्टिस एमडी कुन्हा की अध्यक्षता में कथित कोविड घोटाले की जांच के लिए आयोग बनाया गया. हाल ही में इस आयोग को 6 महीने का एक्सटेंशन दिया गया है. 

कैबिनेट की गुरुवार को हुई बैठक में इस घोटाले पर भी चर्चा हुई. संसदीय कार्य मंत्री एचके पाटिल ने बताया कि जस्टिस कुन्हा की प्रारंभिक कोविड रिपोर्ट को मुख्यमंत्री ने कैबिनेट के समक्ष रखा. इस प्रारंभिक रिपोर्ट के कई खंड हैं जो मुख्यमंत्री को सौंपे गए हैं.  रिपोर्ट में करोड़ों की अनियमितताओं की बात कही गई है. रिपोर्ट में कई गुम फाइलों की भी बात कही गई है.

मुख्यमंत्री ने तीन टिप्पणियां कीं:

1. कुन्हा ने सैकड़ों करोड़ के कुप्रशासन के बारे में बहुत गंभीर बात कही है. 

2. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कई फाइलें गुम हैं जिन्हें बार-बार अनुरोध के बावजूद उनके समक्ष नहीं रखा गया.

3. अब हमारे अधिकारी रिपोर्ट का विश्लेषण करेंगे. एक महीने से भी कम समय में इसका विश्लेषण करके सरकार को सौंप दिया जाएगा.

सरकार ने फैसला किया है कि जस्टिस कुन्हा की अध्यक्षता वाली समिति का कार्यकाल 6 महीने के लिए बढ़ाया जाना चाहिए, ताकि वे अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकें. सरकार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इस रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करेगी.

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